Women’s Day: प्रतीक चौहान. रायपुर. शर्मा जी! आपकी बेटी बिगड़ गई है. रात 12 बजे तक लड़कों के साथ घूमती है. इसकी जल्दी शादी करवा दीजिए, नहीं तो एक दिन ये किसी के साथ भाग जाएगी.

ये ताने एक पिता को पत्रकार बेटी के बारे में अक्सर सुनने मिलते थे. हालांकि बेटी के पिता यानी शर्मा जी अब इस दुनिया में नहीं है. लेकिन पिता के जाने के बाद आज भी उस बेटी ने अपना पूरा घर संभाल रखा हैं और शर्मा जी के नाम को कभी खराब होने नहीं दिया. हम बात कर रहे है छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की महिला पत्रकार अंकिता शर्मा की. 8 मार्च को पूरे विश्व में International Women’s Day मनाया जाता है.

इसी कड़ी में लल्लूराम डॉट कॉम ने प्रदेश की तमाम महिला पत्रकारों से बातचीत की. क्योंकि ये वो वर्ग हैं, जो हमेशा दूसरों की परेशानी के लिए तो 24 घंटे खाड़ा रहता है, लेकिन इनकी परेशानी कभी सामने नहीं आ पाती.

खराब परिस्थिति से गुजरा समय
अंकिता कहती हैं कि वे मिडिल क्लास फैमली से बिलॉंग करती है. उन्होंने एक समय वो भी देखा है जब घर की परिस्थित खराब थी और उन्हें पढ़ाने तक के लिए घर में पैसे नहीं थे. इसलिए कॉलेज में जाने से पहले उन्हें पापा ने ये कहा था कि जो सबसे सस्ती कॉलेज हो वहीं एडमिशन लेना बेटा. क्योंकि उनके अलावा घर में और 2 बहन और 1 भाई है. जिनकी पढ़ाई में भी पिता को खर्च करना होता था. नम आंखों से वो इस दौरान कहती है कि मां की तो तुलना ही नहीं की जा सकती. लेकिन पिता तो पिता होते है. जो कोरोनाकाल में इस बेटी को छोड़ गए.

दीपक चौरसिया को देखकर लगा, पत्रकार बनना है

पत्रकारिता के क्षेत्र में आने के संबंध में अंकिता बताती है कि उनके घर में टीवी एंकर दीपक चौरसिया का एक शो ‘अंदर की बात’ खूब पसंद किया जाता था. इस शो को देखकर उनकी मां अक्सर अंकिता से ये कहती थी कि ‘तू भी पत्रकार बन’. यही कारण है कि उन्हें देखकर वे पत्रकारिता में आई और पत्रकारिता शुरू करने के बाद 3 साल के अंदर उन्हें दीपक चौरसिया के साथ काम करने का मौका मिला और तब उन्होंने उनकी बात अपनी मम्मी से भी कराई थी, तब वे काफी खुश थी और तब मां ने अंकिता से कहा था कि आज तुम पर गर्व है बेटा.

शर्मा जी हमेशा कहते थे ये बात…

बेटी अंकिता बताती है कि वे हर बात अपने पापा से शेयर करती थी. सुबह ऑफिस जाने से घर लौटते तक पूरे दिन भर में वे किससे मिली, किसके साथ घूमने गई वो सारी बाते वे अपने पापा से शेयर करती थी. उनके पापा उन्हें हमेशा एक बात कहते थे कि बेटा जीवन में अच्छे से पढ़ाई कर लो और एक मुकाम हासिल कर लो और दुनिया वाले क्या कहते है इसरी परवाह छोड़ दो.

 वे कहती है कि स्कूल-कॉलेज के दिनों में जब भी घर में किसी का भी रिजल्ट निकलता था तो पापा पूरे मोहल्ले में मिठाई बांटते थे और आज वे अपने पापा को काफी मिस करती है. वे ये भी कहती है कि जब उन्होंने अपनी पहली सैलरी दादी को दी और अपनी सेविंग से मम्मी-पापा कार में लॉंग ड्राइव पर ले गई थी तब उनकी आंखे भी गर्व से नम हो गई थी.

women’s day पर दिया ये संदेश

दुनिया आपके बारे में कुछ भी कहें. मम्मी-पापा से हर बात शेयर करें और उनसे कभी झूठ न बोले.