नितिन नामदेव,रायपुर। महिलाओं के लिए पुलिस की वर्दी पहनकर देश की सेवा करना अपने आप में वीरतापूर्वक काम है. इस वर्दी को पाने के लिए अनेक परीक्षाओं और ट्रेनिंग से होकर गुजरना पड़ता है, तब जाकर पुलिस बनकर देश की सेवा करने का अवसर मिलता है. आज हम आपको एक ऐसी वर्दीधारी महिला से मिलवाने जा रहे हैं, जिन्होंने ना सिर्फ अपनी जिम्मेदारी संभाली बल्कि पंडवानी गायन से अपनी प्रतीभा का लोहा भी मनवाया है.

पद्म विभूषण तीजन बाई को ये महिला पुलिस अधिकारी अपना गुरु मानती है. दिल्ली के एक मंच पर महिला पुलिस अधिकारी और तीजन बाई ने एक साथ प्रस्तुती भी दी. पंडवानी के क्षेत्र में महिला पुलिस अधिकारी ने कई अवॉर्ड भी हासिल किए हैं और अब वे अयोध्या में भी बतौर पंडवानी गायक प्रस्तुती देने जा रही है. छत्तीसगढ़ की इस जाबांज महिला पुलिस अधिकारी को कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है.

धमतरी जिले के नक्सल प्रभावित गांव गिधावा में पली-बढ़ी तरुणा साहू अब रायपुर के मंदिर हसौद थाने में आरपीएफ पोस्ट प्रभारी के पद पर तैनात है. तरुणा को पंडवानी गायन में भी महारथ हासिल है. पुलिस अधिकारी तरुणा बताती है कि जब वो 9 साल की थी, तब से ही उन्हें पंडवानी गायन का शौक था. पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने पंडवानी गाना भी जारी रखा. शुरू से ही वे पढ़ाई में भी काफी अच्छी रही है, लेकिन उन्होंने अपने शौक को भी जिंदा रखना चाहा. ऐसे में उन्होंने पद्म विभूषण तीजन बाई के नेतृत्व में पंडवानी सीखी और फिर एक मौका ऐसा आया कि दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय के कार्यक्रम में तरुणा ने पद्म विभूषण तीजन बाई के साथ प्रस्तुती दी और कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी हिस्सा लिया.

पंडवानी के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन के लिए तरुणा को कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है. तरुणा ने अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता को दिया है. तरुणा बताती है कि उनके स्कूल में ऐसे बच्चों की कैंपेनिंग कराई जाती थी, जो गा सकते थे. उस वक्त पद्म विभूषण तीजन बाई भी स्कूल में आई थी. उस समय तरुणा ही एकमात्र ऐसी छात्रा थी जिनका चयन हुआ. पुलिस में नौकरी लगने के बाद तरुणा ने तीजन बाई से मुलाकात भी की, जिसे देखते ही तीजन बाई ने उन्हें गले से लगा लिया.

2005 में तरुणा साहू को फोक एंड नेशनल आर्ट में स्कॉलरशीप भी मिली थी. इतना ही नहीं पुलिस की परीक्षा के लिए तरुणा ने खुद को फिजिकल फीट रखा और खूब पढ़ाई की, जिसकी वजह से वे आज एक बेहतर पुलिस अधिकारी है. पंडवानी गायन के साथ ही तरुणा ने अपनी पुलिस की ड्यूटी भी बखूबी निभाई. रेल्वे में उन्हें कई बार लोगों की मदद करते देखा गया, जिसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है.

तरुणा बताती है कि ड्यूटी की कोई टाइमिंग नहीं होती. वैसे तो 8 घंटे की ड्यूटी होती है, लेकिन कभी 24-48 घंटे भी हो जाते हैं, उनकी कोशिश है कि वे छुट्टियां कम लें. ऐसा इसलिए क्योंकि पंडवानी गायन के लिए जब तरुणा को आमंत्रित किया जाए तो वे वहां भी जाए. तरुणा को अयोध्या में भी पंडवानी की प्रस्तुती के लिए आमंत्रित किया गया है. तरुणा एक ऐसी महिला है, जो पुलिस अधिकारी की ड्यूटी तो निभाती ही है, साथ ही वे अपने प्रोफेशनल लाइफ यानी पंडवानी गायन में भी काफी सक्रिय है. तरुणा बहुमुखी प्रतिभा के धनी एक ऐसी महिला है, जिन पर आज हर किसी को गर्व है.