रेणु अग्रवाल,धार : हर साल 8 मार्च को महिला दिवस मनाया जाता है। इसे मनाने का मकसद महिलाओं की उपलब्धियों, उनके जज्बे, उनकी ऐतिहासिक यात्राओं और उनके जीवन को याद करना है। ऐसे में आज हम आपको एक आदिवासी बाहुल्य जिले की महिला के बारे में बताने जा रहे है, जिनके जज्बे को आप भी सलाम करेंगे।

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एक ओर जहां आदीवासी बाहुल्य जिले में महिलाओं का घर से बाहर निकल कर काम करना ही मुश्किल भरा होता है। वहीं एक युवती ऐसी भी है, जो मूक, बीमार और दुर्घटना में घायल पशुओं की सेवाओं के लिए दौड़ पड़ती है। उनका पशुओं के प्रति प्रेम देखकर लोग भी उनकी तारीफ करते नहीं थकते है।

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वैसे तो युवतियों के ढेर सारे सपने होते है। इस उम्र में फैशन,मेकअप ,घूमना फिरना जैसे कई शौक युवतियों के होते है। वहीं धार शहर में एक ऐसी भी युवती है, जो पिछले लगभग 4 सालों से मूक पशुओं की सेवा करती आ रही है वो भी निःस्वार्थ भाव से। उनकी जिंदगी बचाने की लिए वे रोजाना जद्दोजहद करती है। यहीं नहीं इसके अलावा वह कई महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध करवा रही है।

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धार शहर में कहीं भी कोई भी मूक जानवर निराश्रित बीमार हो तो लोग सबसे पहले विजया शर्मा और उनकी टीम को याद करते है। फोन करते ही विजया अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंच जाती है। जहां पर भी कहीं कोई स्ट्रीट डॉग बीमार है या कोई गाय निराश्रित है बूढ़ी बीमार है उनकी सेवा के लिए वे हाजिर हो जाती है। विजया 34 वी बटालियन के समीप गोसेवा केंद्र पर मूक पशुओ की सेवा करती नजर आती है।

वह कहती है यह प्रेरणा उन्हें उनकी मां से मिली है। माँ भी सेवा करती थी लेकिन पूरा समय मेरी वजह से नही दे पाती थी। इसलिए मैंने बड़ी होकर तय किया कि मैं मां का यह सपना पूरा करूँगी। विजया ने अपनी टीम के साथ मिलकर अभी तक कितनी ही गाय,कुत्तो का उपचार कर उन्हें स्वस्थ कर चूंकि है। वहीं आज भी कई गायों की कुत्तो की सेवा वह कर रही है। वही कई महिलाओं को वह अपने पैरों पर खड़े होने में मदद कर रही है। गाय के गोबर से वह कंडे,गणपति ,गोबर के लट्ठे ,व दिए अन्य सामग्री व जैविक खाद बनाती है जिसको बेचकर जो भी आमदनी होती है उससे यहां काम करने वाली महिलाएं सशक्त हो रही है। विजया शर्मा का कहना है कि उन्हें अभी बहुत बहुत कुछ करना है। उन्हें जीव,दया और मां का सपना पूरा करना है।

VIJYAA SHRMA