संदीप सिंह ठाकुर,मुंगेली. लोरमी के वन इलाकों में स्वास्थ सुविधा के लिये कोई एक नाम जाना जाता है तो वो है महिला स्वास्थ कार्यकर्ता लता दर्रो. लता दीदी जो जंगल में रहकर बैगा आदिवासियों की सेवा करती है और इन्हें स्वास्थ की बेहतर सुविधा उपल्ब्ध कराती है.
बतादें बस्तर की रहने वाली लता दर्रो साल 1998 में लोरमी के सुदूर जंगल के सुरही गांव में स्वास्थ कार्यकर्ता के रूप में आई. तब यहां कोई रहकर काम नहीं करना चाहते थे. ऐसे में लता यहां आई और सेवाभाव से बैगा आदिवासियों के इलाज करने लगी. इतना ही नहीं लता दर्रो ने संस्थागत प्रसव को बढावा देने के भी कार्य वनांचल में किये. इस महिला ने हजार से भी अधिक स्वस्थ सफल प्रसव कराये है. जिसके लिये इनकी अलग पहचान बनी है.
सुरही कटामी महामाई डगनिया छपरवा सहित 20से अधिक गांव ऐसे है, जहां कोई भी समस्या होने पर लता दर्रो को ही पहले याद किया जाता है. इन्हें ही अपना परिवार मान चुकी लता दर्रो को भी अब इन भोले भाले बैगाओं की सेवा करने में ही खुशी मिलती है. जिनके लिये प्रमोशन को भी ठुकरा देती है और इस कार्य के लिए उन्हें अनेक सम्मान भी दिया गया.उन्होंने वनांचल में ग्रामीणों की सेवा करने अपना विवाह तक नही किया.
लता दर्रो को आदर्श मानकर अब बहुत सी महिला स्वास्थ कार्यकर्ता व नर्स उनके जैसा कार्य करना चाहती है. जिससे समाज में एक नाम व पहचान हो और शहरी सुख सुविधाओं के लिये शहरी इलाके में पदस्थापना से हटकर इन भोले भाले ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ सुविधा प्रदान करने का कार्य करने का संकल्प ले रही है.
लोरमी के बीएमओ डॉ दाऊ बताते हैं उनकी यह महिला स्वास्थ कार्यकर्ता कितने तकलीफों में भी कार्य करके खुश रहती है. ये भी बताया कि डयूटी में जाते कई बार जंगली जानवरों से भी उनका सामना हुआ. जिसमें लता की जान बची और एक बार नाले में बहते बहते बची, लेकिन इन तमाम परेशानियों के बावजूद भी अपना हौंसला व धैर्य नहीं खोया और काम करती रही.
वहीं मुंगेली कलेक्टर डोमन सिंह ने भी लता दर्रो के सेवाकार्यो की जमकर तारीफ की और सबके लिये प्रेरणादायक बताया.