लखनऊ. कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री सुप्रिया श्रीनेत ने कांग्रेस कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने कहा कि देश की आधी आबादी को उनका हक दिलाना ऐसा प्रतीत होता है की बस थाली सजाई गई. लखनऊ के लोग ठग्गू के लड्डू को जानते हैं और बीजेपी की भी यही टैग लाइन है की ऐसा कोई सगा नही जिसको हमने ठगा नहीं. ये झुनझुना है बीजेपी का और उन्होंने महिलाओं की इंटेलिजेंस को बहुत कम तौला है. अगर ये महिला आरक्षण लागू करना चाहते तो ये तत्काल लागू करते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि इस बिल की असलियत है कि महिला आरक्षण का इंतजार बढ़ा रहेगा और गृह मंत्री कह रह हैं कि 2029 तक लागू होगा और बाकी सांसद के अनुसार 2039 तक लागू होगा. अडानी का महाघोटाला छुपाने के लिए पहले इंडिया का नाम बदलने की राजनीत हुई और जब उससे काम नही बना तो महिला बिल ले आए जिसके लिए उन्हें अनिश्चितकाल का इंतजार है. इस बिल में अनुसूचित जन जाति जनगणना की जरूरत है. राजीव गांधी जब महिला आरक्षण बिल ला रहे थे तो 7 लोगों ने इसका विरोध किया जिसमें बीजेपी के सांसद थे. लेकिन हमने इस बिल का बिना किसी कंडीशन समर्थन किया.

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कांग्रेस नेत्री ने कहा कि इस देश के सर्वोच्च पद पर बैठे 90 आईएएस अधिकारियों में सिर्फ 3 अनुसूचित जनजाति के हैं और इसलिए जाती जनगणना जरूरी है क्योंकि अनुमान के अनुसार 51 प्रतिशत से ज्यादा आबादी है. बीजेपी की महिला सांसद जब हाथरस कांड होता है तो ये चुप रहती हैं, ये चिन्मयानंद के मामले में चुप रहती हैं, ये मणिपुर मामले पर चुप रहती हैं, इनकी चुप्पी अंकिता भंडारी के मामले में भी नही टूटती है. बीजेपी क्यों जाति जनगणना नहीं करा रही है. ओबीसी वर्ग के लोगों को आज छला जा रहा है.

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