रायपुर। महिला हिंसा मुक्त विश्व बनाने के लिए वैश्विक अभियान चलाया जा रहा है. अभियान का नाम ‘जश्न नई सोच का’ रखा गया है. इस कार्यक्रम के तहत रायपुर के पंडित रविशंकर शुक्ल ऑडिटोरियम में कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें 1200 से ज्यादा छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया.
कार्यक्रम में महिला हिंसा खत्म करने के लिए 16 दिनों तक चलने वाले महिला हिंसा मुक्ति वैश्विक अभियान का हिस्सा बनते हुए सभी ने ये शपथ ली कि वे ऐसी बराबरी वाले समाज का निर्माण करेंगे, जहां महिलाओं और लड़कियों को पुरूष और लड़कों के समान अधिकार मिले.
जेंडर आधारित हिंसा के विरूद्ध 16 दिवसीय एक्टिविज्म के वैश्विक अभियान की शुरूआत 25 नवंबर को नारी हिंसा मुक्ति के अंतर्राष्ट्रीय अभियान से की जाती है और इसका समापन मानव अधिकार दिवस यानि 10 दिसंबर को होता है.
इन 16 दिनों में ये याद दिलाने की कोशिश की जाती है कि महिला हिंसा मानव अधिकारों का घोर उल्लंघन है. इन सभी दिनों में विभिन्न वर्ग के लोग महिला हिंसा के विरूद्ध सशक्त रूप से आवाज बुलंद करते हैं, ताकि महिलाओं और लड़कियों को समानता का अधिकार मिले और लिंग आधारित भेदभाव खत्म हो.
ये कार्यक्रम ऑक्सफैम इंडिया, पंडित रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन केंद्र, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में किया गया. सीईओ ऑक्सफैम निशा अग्रवाल ने बताया कि ऑक्सफैम इंडिया ने राष्ट्रीय स्तर पर ‘बनो नई सोच अभियान’ के तहत लोगों के नजरिए में बदलाव और समाजिक नियमों में महिलाओं के प्रति सोच में बदलाव लाने के लिए जेंडर समानता के दृष्टिकोण से एक नई पहल की है, जिससे पुरूष और महिला दोनों के सोच में बदलाव आएगा और दोनों जीवन में एक-दूसरे को सम्मान करते हुए रह सकेंगे.
रविशंकर शुक्ल विवि के कुलपति प्रो. शिवकुमार पांडेय ने कहा कि “समाज में महिलाओं के प्रति सोच में बदलाव लाने की जरूरत है, जिससे कि गैरबराबरी का प्रश्न ही ना रहे.
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो मांडवी सिंह ने कहा कि “कला अभिव्यक्ति का अच्छा एवं सशक्त माध्यम है और महिला हिंसा के विरोध में ये एक कारगर औजार साबित हुआ है.