अटल शुक्ला, सीधी। भारत के संविधान एवं नियमों को ताक में रखकर सिर्फ आश्वासन के तले जेपी निगरी सुपर थर्मल पावर प्लांट द्वारा वन संरक्षण अधिनियम का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। एक तरफ भारत सरकार पर्यावरण को लेकर काफी संजीदा है वहीं दूसरी तरफ उद्योगपतियों द्वारा धनबल व पावर के दम पर संविधान एवं कानून का मजाक बनाने से भी बाज नहीं आ रहे हैं।

जेपी निगरी सुपर थर्मल पावर प्लांट जिला सीधी सिंगरौली द्वारा गोपद नदी में प्लांट की आवश्यकताओं के लिए पानी रोकने 2 मीटर डायवर्सन बीयर निर्माण की स्वीकृति वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत प्रदाय की गई थी। किंतु जेपी निगरी सुपर थर्मल पावर प्लांट द्वारा गोपद नदी में वन संरक्षण अधिनियम 1980 के प्रावधानों के तहत स्वीकृत शर्त को ना मानते हुए 13 मीटर ऊंचाई का विशाल डैम (बैराज) का निर्माण किया गया है।

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उक्त डैम कई वर्षों से बना हुआ है, किंतु नियमों के संरक्षण के लिए वन विभाग की मौन स्वीकृति कहें या अनदेखी। जेपी प्रबंधन के आश्वासन पर वन संरक्षण अधिनियम का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। जेपी निगरी सुपर थर्मल पावर प्लांट के बैराज निर्माण होने से वनस्पतियों एवं वनों को नुकसान हो रहा है। यह पर्यावरण की दृष्टि से काफी घातक है। इस संबंध में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के समय-समय पर दिए गए दिशा निर्देशों का भी खुलेआम उल्लंघन हो रहा है।

हालांकि इस पूरे मामले को विधान सभा पटल में विधानसभा प्रश्न के माध्यम से तत्कालीन विधायक राजकुमार उरमालिया द्वारा पूरे मामले को उठाया गया था। मामला उठने के बाद भी सिर्फ आश्वासन तक ही सीमित रह गया। आज तक कोई कार्रवाई कंपनी के खिलाफ नहीं की गई है। कंपनी प्रबंधन द्वारा सत्ता और पावर का इस्तेमाल कर मामले को मैनेज कर लिया गया बताया जाता है।

हालांकि इस पूरे मामले को लेकर जब वन मंडल अधिकारी सीधी क्षितिज कुमार से बात की गई तो उन्होंने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच कराने की बात कही जांच के बाद कार्यवाही करने का आश्वासन भी दिया है।

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