रायपुर. आदिम जाति विकास विभाग द्वारा ’धरती आबा-जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत वन अधिकार अधिनियम 2006 के बेहतर क्रियान्वयन विषय पर संबंधित विभागों और अशासकीय संस्थानों के मध्य परिचर्चा-परामर्श हेतु एफईएस और एटीआरईई संस्था के सहयोग से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है. कार्यशाला न्यू सर्किट हाऊस, सिविल लाईन्स, रायपुर में होगा. आदिम जाति, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक विकास विभाग के प्रमुख सचिव ने पत्र जारी कर सभी जिलों के सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग जिला परियोजना समन्वयक के साथ कार्यशाला में उपस्थित रहने को कहा है. 

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 02 अक्टूबर 2024 को धरती आवा- जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान का शुभारंभ किया गया. अभियान अंतर्गत 17 मंत्रालयों के सहयोग से भारत सरकार की 25 योजनाओं को सुसंगत तरीके से धरातल पर उतारना है जिसमें वन अधिकार अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन अंतर्गत मुख्य रूप से निश्चित समयावधि में वन अधिकारों की मान्यता की प्रकिया को पूर्ण किया जाना है. विभिन्न मंत्रालयों (जनजातीय कार्य मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, मतस्य विभाग, पशुपालन विभाग इत्यादि) के योजनाओं के अभिसरण के माध्यम से वननिवासी जनजातीय परिवारों के सतत आजीविका की सुरक्षा, परस्थितिकीय संतुलन हेतु वनों की सुरक्षा, संवर्धन, संरक्षण और प्रबंधन इत्यादि जैसे लक्ष्यों की प्राप्ति शामिल है.

वन अधिकार अधिनियम, 2006 के क्रियान्वयन में हमारा राज्य देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है. राज्य में अब तक 4 लाख 79 हजार 502 व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र और सामुदायिक वन संसाधन के अंतर्गत 4377 वन अधिकार पत्र वितरित किए गए हैं. सामुदायिक वन संसाधन अधिकार मान्य ग्रामसभाओं में सामुदायिक वन संसाधनों के प्रबंधन हेतु सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन समिति के गठन की कार्यवाही की जा रही है. अब तक 2081 सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन समिति का गठन किया जा चुका है. वन अधिकार अधिनियम, 2006 अंतर्गत अधिकारों की मान्यता, वनों का प्रबंधन और संरक्षण, अभिसरण से आजीविका संवर्धन आदि संपूर्ण कार्यों के बेहतर कियान्वयन हेतु संबंधित शासकीय विभागों और अशासकीय संस्थानों की सतत् भागीदारी बेहद महत्वपूर्ण है.