शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला हुई। कार्यशाला में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन, उससे जुड़ी चुनौतियों और संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया गया। कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में कार्यशाला में राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, उच्च शिक्षा मंत्री इन्दर सिंह परमार, स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह भी मौजूद रहे।
एमपी दूसरा राज्य जो दोबारा परीक्षा दिलाने का काम कर रहा
स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने कहा-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा अनुसार नहीं शिक्षा नीति का गठन किया गया।अभी भी हमें शिक्षा पर काम करने की जरूरत है। जो बच्चे शिक्षा लेने में लेट हो जाते हैं उन बच्चों को राज्य शिक्षा बोर्ड के तहत एडिशन दिलाया जा रहा है। जो बच्चे टॉपर रहे उन्हें लैपटॉप देने का काम कर रहे हैं। स्कूल जाने के लिए साइकिल उपलब्ध कराई। मध्य प्रदेश दूसरा राज्य है जो दोबारा परीक्षा दिलाने का काम कर रहा है। सिल्वर में भारत सरकार की इच्छा समेत लोकल विषयों को जोड़ने का काम कर रहे हैं। 450 रुपये में निजी स्कूल के छात्रों को कोर्स भी देने का काम कर रहे हैं।
उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि-राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हमने काम करने की काफी कोशिश की। राष्ट्रीय मिशन के द्वारा अभी तक 56 प्रशिक्षण कार्यक्रम किए जा चुके आगे भी कर रहे हैं। भाषा जोड़ने का काम करती है, तोड़ने का काम नहीं करती। 13 भाषाओं को हमने महाविद्यालयों में जोड़ने का काम किया है।
देश में 30 करोड़ और एमपी में 1 करोड़ 35 लाख विद्यार्थी
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा- मध्य प्रदेश वह प्रयोगशाला जहां सनातन धर्म का रक्षा हुआ है.. मुगलों को भी इंपैक्ट रहा है। भारत की शिक्षा नीति नई नहीं है…यह सनातन काल से ही आध्यात्मिक रही है। मैकाले प्रणाली होगी देश में या हमारी शिक्षा नीति होगी। देश में 30 करोड़ और एमपी में 1 करोड़ 35 लाख विद्यार्थी हैं..मध्यप्रदेश की आधी आबादी स्वर्णिम आयु वर्ग में है। प्रदेश अभी युवाओं का प्रदेश है..आने वाले 25 सालों पर ऐसा ही रहेगा.. ये आंकड़े बताते हैं..शिक्षा नीति का अब महत्व आप समझ गए होंगे। मध्य भारत में जितने वाटर बॉडी हैं..यह इंजीनियर का उत्कृष्टता का उदाहरण है..तब की शिक्षा और वैज्ञानिकता कितनी महान थी। मेरा सुझाव है कि NCERT के साथ राज्य शासन का एक पाठ्यक्रम को लेकर समन्वय होना चाहिए..यह मेरा सुझाव है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने एमपी के सामने क्या चुनौतियां हैं वो बताई
संबोधन में कहा -40% प्रदेश बच्चे अभी प्रदेश के पीछे हैं..यह चुनौती है। स्कूल में बच्चे 1 या 2 बच्चे ही उत्तर देते हैं..गलती या डर के कारण चुप रहते हैं..यह भारत के विद्यार्थियों की मनोस्थिति है..इसे सुधारना होगा। AI ऐसा टूल बनता जा रहा है..इस पर एमपी को ध्यान देना चाहिए..यह बेहद महत्वपूर्ण टूल है। 08 लाख शिक्षकों AI से जोड़ना भी चुनौती है..यह न्यू जेनरेशन स्किल है..यह भी चुनौती है..इसकी व्यवस्था एमपी को करनी होगी। एमपी के सामने एक चुनौती है कि जो भी बच्चा पहली कक्षा में आया वो कम से कम 12 वीं तक पढ़े..इसे जन आंदोलन बनाना पड़ेगा, ताकि बच्चा बीच में खेल या मजदूरी या अन्य किसी कारण से स्कूल न छोड़े..समाज को भी काम करना होगा।
न्यूट्रीशन मिल जाए तो फिर अब्दुल कलाम निकल सकता
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने राज्य सरकार से निवेदन किया और कहा- बहुत सारे स्कूलों में कार्यक्रमों के गुलदस्ता दिया जाता है। एक के बाद एक लाइन लगी रहती है। एक गुलदस्ता का मूल्य कम से कम 500 रुपए है। इसके स्थान पर फलों की टोकरी दे दी जाए। 50 लाख ऐसे बच्चे होंगे जो 5वीं क्लास से नीचे होने के बाद कई फलों को परिस्थितिवश नहीं देख पाए होंगे। काजू मिले किशमिश मिले फल मिले कुछ न्यूट्रीशन मिल जाए तो फिर अब्दुल कलाम निकल सकता है। आज हम आत्मनिर्भर निरोग्य बहुत सारी बातों पर विचार कर रहे हैं लेकिन जब तक पढ़ाई मजबूत न होगी छात्र मजबूत ना होंगे तो यह सब बातें कैसे संभव है यह सोचना होगा।
स्कूल शिक्षा के साथ उच्च शिक्षा में भी बदलाव
सीएम डॉ मोहन ने कहा-स्कूल शिक्षा के साथ उच्च शिक्षा में भी हमने बदलाव किया.. शिक्षा नीति के साथ योजनाओं के साथ प्लानिंग कर नए तरीके से छात्रों के भविष्य को गढ़ने का काम किया। हमारे प्रदेश में संदीपनी विद्यालय ऐसे हैं जो विश्व स्तरीय चुने गए एक इंदौर एक रतलाम। 370 सांदीपनि विद्यालय बनकर तैयार है। शिक्षा को लेकर प्रदेश नया आयाम नया अध्याय लिख रहा है.. सभी वर्गों की मदद कर हम इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। बीएससी एग्रीकल्चर भी हमने शुरू किया है.. एक विश्वविद्यालय में सभी प्रकार की पढ़ाई के लिए हम काम कर रहे हैं पुरातन काल में भी यही होता था।
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