सुप्रिया पाण्डेय, रायपुर। राजधानी रायपुर में पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में दो दिनों तक महिला समानता, सुरक्षा, यौन उत्पीड़न और समाज की चिंता जैसे विषयों को लेकर खुलकर चर्चा हुई. यह चर्चा विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में हुई है. जिसका आयोजन विश्वविद्यालय की ओर से किया गया था. कार्यशाला में छात्राओं ने दिल से अपनी बात कही है.

कार्यशाला में यह समझाया गया कि समाज में अभी महिला और पुरुष के बीच समानता को लेकर भेदभाव है. एक अंतर दिखाई देता है. समाज में कई मौकों पर महिलाओं के प्रति नजरिया ठीक नहीं रहता है. ऐसी स्थिति ही असमानता को प्रकट करता है. कार्यशाला भुवनेश्वर आईं प्रोफेसर नवनीत कौर ने कहा कि आम तौर यौन शोषण की घटनाओं को लेकर समाज में अत्याधिक खुलापन नहीं. खुलकर लड़कियाँ अपनी बातों को रख नहीं पाती है. ऐसे में इस दुविधापूर्ण स्थिति को बहुत ही संवेदनशीलता के साथ समझने की जरूरत है. ऐसे विषयों को लेकर समाज में सोच को बदलने की जरूरत है.

जम्मू विश्वविद्यालय से आई प्रोफेसर सुमन जामवाल ने कहा कि आज लोगों में एक जागरुकता दिख रही है. अब बहुत अधिक निराशाजनक स्थिति नहीं है. लोग अपने खुलकर सामने आ रहे हैं. जरूरी है कि समाज को और जागरुक किया जाए. विशेषकर महिलाओं के मामले में संवेदनशीलता के साथ यह देखा जाएं कि कोई भी महिला भेदभाव का शिकार न हो.

रविशंकर विश्वविद्यालय की प्रोफेसर रीता गोपाल ने कहा कि लड़कियों के लिए इस तरह की चर्चा, कार्यशाला जरूरी है. कैंपस में कैसे सभी सेफ रहे यह बताना और समझाना जरूरी है. उन्होंने यह भी कहा कि हर संस्थान में एक ट्रेनिंग प्रोग्राम होते रहना चाहिए.

वहीं कार्यक्रम में मौजूद नंदिता ने कहा कि महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न की घटनाओं के दौरान अनेक तरह की धमकियाँ भी मिलती है. कामकाजी महिलाएं भी अनेक तरह से प्रताड़ना की शिकार होती है. उनके सामने नौकरी से लेकर अनेक तरह की असुरक्षा की भावना रहती है. ऐसी स्थिति में हर एक संस्थान में एक इंटरनल कमेटी का होना आवश्यक है. छात्राएं या कामकाजी महिलाएँ अपनी बात को उन जगहों पर बेहतर तरीके से रह सके. आपको बता दें कि इस राष्ट्रीय कार्यशाला में प्रदेश के साथ देश भर 70 से अधिक विद्यार्थी शामिल हुए.