कर्ण मिश्रा,ग्वालियर। इस बार वर्ल्ड एथेलेटिक्स डे आज यानी 7 मई को मनाया जा रहा है. कुछ लोग होते हैं, जो जिंदगी के अंधेरों से लड़कर न सिर्फ खुद रौशन होते हैं, बल्कि उनकी रौशनी से लोगों को संघर्ष की नई राह नजर आती है. कुछ ऐसी ही मिसाल ग्वालियर के सूरज मनकेले हैं. ग्वालियर का अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग क्रिकेटर सूरज मनकेले बचपन में पोलियों का शिकार हो गया था. दिव्यांगता के चलते बच्चे सूरज को अपने साथ क्रिकेट नहीं खिलाते थे. उस वक्त सूरज ने कुछ कर गुजरने की ठान ली. 20 साल के संघर्ष के बाद सूरज आज इंटरनेशनल क्रिकेटर बन गया है. सूरज भारतीय दिव्यांग टीम की तरफ से दुनिया के कई देशों में खेल चुका है. सूरज के संघर्षों की कहानी के चलते साउथ अफ्रीका के एक लेखक ने अपनी बुक में सूरज को विश्व के 101 प्रेरणादाई व्यक्तियों में शामिल किया है.

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ग्वालियर के रहने वाले सूरज मनकेले बचपन में पोलियो का शिकार हुए लेकिन एक पैर से लाचार होने के बावजूद सूरज ने हिम्मत नहीं हारी. बचपन से क्रिकेट के शौकीन रहे सूरज को दूसरे बच्चे अपने साथ क्रिकेट इसलिए नहीं खिलाते थे, क्योंकि सूरज का एक पैर दिव्यांग था. उन दिनों सूरज ने कुछ कर गुजरने की ठान ली. सूरज ने अपनी पढ़ाई के साथ ही क्रिकेट सीखा, जिसके दम पर पिछले 20 साल से क्रिकेट में अपना जलवा बिखेर रहे हैं. सूरज मध्य प्रदेश टीम दिव्यांग क्रिकेट टीम के कप्तान है.

वहीं भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम के ओपनर बल्लेबाज भी है. सूरज मनकेले अब तक श्रीलंका, सिंगापुर सहित कई देशों में भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम की तरफ से खेल चुके हैं. सूरज ने दुबई में दिव्यांग प्रीमियर लीग में जलवा दिखाया. सूरज ने मुंबई आइडियल टीम की तरफ से दुबई में दिव्यांग प्रीमियर लीग उम्दा खेल दिखाया. सूरज का कहना है उन्होंने जिंदगी में काफी संघर्ष किया जिसके चलते आज ने कामयाबी मिली है. सूरज के मुताबिक खुद को कमजोर समझने की बजाए मेहनत करें तो कामयाबी जरूर मिलेगी. 

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उधर सूरज अपने बेहतरीन क्रिकेट के दम पर ग्वालियर जिले में ही एक स्कूल में शिक्षक के तौर पर पदस्थ हुए है. बीते 15 साल से सूरज बच्चों को तालीम देने के साथ ही अपना क्रिकेट का हुनर भी बढ़ा रहे हैं. बचपन में जब सूरज को पोलियो हुआ था तो उसका पूरा परिवार परेशान था. सूरज की मां विद्या देवी का कहना है कि बचपन में उन्हें अपने बेटे की दिव्यांगता के चलते कई बार भारी दुख होता था, लेकिन सूरज ने अपनी मेहनत और परिवार के सहयोग से आज जो मुकाम हासिल किया उससे उन्हें सूरज पर गर्व होता है.

अपने खेल की बदौलत सूरज को आज दुनियाभर के क्रिकेट प्रेमी जानते हैं. सूरज के संघर्षों की कहानी के चलते साउथ अफ्रीका के एक लेखक ने अपनी बुक में सूरज को विश्व के 101 प्रेरणादाई व्यक्तियों में शामिल किया है. इसमें अमेरिका, रूस के राष्ट्रपति, इज़राइल, भारत के PM सहित समाजिक, धर्मिक क्षेत्र की हस्तियां शामिल है. आज सूरज की कामयाबी पर पत्नी सुनीता भी गर्व महसूस करती है, सुनीता ने सूरज को हर कदम पर आगे बढ़ने का साहस दिया. सूरज उन लाखों दिव्यांगों के लिए एक मिसाल है, जो शारीरिक कमजोरी के चलते कई बार निराश हो जाते हैं, तो वही सूरज उन भले चंगे लोगों के लिए एक सबक है, जो सब कुछ सामान्य होने के बावजूद भी लाचारी का रोना रोते हैं.

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