World Day Against Child Labour : छत्तीसगढ़ में बाल श्रम को रोकने के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे हैं. राज्य सरकार ने राज्य बाल श्रम अधिकार संरक्षण आयोग की सिफारिश के बाद बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए कई जनजागरण अभियान भी चलाए है. राज्य सरकार ने हर जिले में कलेक्टर्स की अध्यक्षता में टास्क फोर्स का गठन किया है. बाल श्रमिकों को मुख्य धारा से जोड़ने, उनके पढ़ने व रहने आदि की जरूरतें पूरी करने की जिम्मेदारी टास्क फोर्स को सौंपी गई है.
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस (World Day Against Child Labour)
बाल श्रम एक गंभीर समस्या है. बाल श्रम अपराध की श्रेणी में आता है इसलिए अपने थोड़े से स्वार्थ के लिए बच्चों का जीवन दांव पर ना लगाएं. बच्चे समाज और देश का भविष्य होते हैं. बचपन में खेलने और सीखने का समय होता है, न कि खतरनाक परिस्थितियों में काम करने का. बाल श्रम बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को रोक देता है और उन्हें शिक्षा के अवसर से भी वंचित करता है. अन्य सब कुरुतियो को दूर करने के लिए विश्व बाल श्रम निषेध दिवस हर साल 12 जून को मनाया जाता है.
कहा करें शिकायत
क्या आपके आस-पास कोई बच्चा बाल मजदूरी का शिकार है या कोई किशोर जिसका नियोक्ता द्वारा शोषण किया जा रहा हो? जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह कर्तव्य है की समाज की ऐसी बुराईयों के खिलाफ आवाज उठाए और ऐसे मामलों के विरुद्ध शिकायत करें. लेकिन कहाँ ?तो आपको बता दें कि बाल श्रम के खिलाफ शिकायत दर्ज करना आसान है और इसके कई तरीके हैं. पुलिस स्टेशन, टेलीफोन हेल्पलाइन, ऑनलाइन शिकायत, या डाक के माध्यम से आप शिकायत दर्ज कर सकते हैं. इसके अलावा E-Baal Nidan एक ऑनलाइन पोर्टल है. 1098 एक टोल-फ्री नंबर है.
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का इतिहास
अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ (ILO) ने पहली बार बाल श्रम रोकने का मुद्दा उठाया था, जिसके बाद वर्ष 2002 में एक ऐसा कानून पारित हुआ जिसके तहत 14 साल से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी करवाना अपराध माना गया. अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ (ILO) के 187 सदस्य देश हैं. आईएलओ ने विश्व में श्रम की प्रगति में सुधार के लिए कई सम्मेलनों का आयोजन किया है. और तो और यह मजदूरी, काम के घंटे, अनुकूल वातावरण आदि मामलों पर भी जरूरी दिशानिर्देश देता है. 1973 में, ILO सम्मेलन संख्या 138 को अपनाकर रोजगार के लिए न्यूनतम आयु पर लोगों का ध्यान केंद्रित किया गया. इसका मकसद राज्यों को रोजगार की न्यूनतम आयु बढ़ाने और बाल मजदूरी को समाप्त करना था.
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