लंदन। विश्व प्रसिद्ध महान वैज्ञानिक प्रोफेसर स्टीफन हॉकिंग का 76 साल की उम्र में निधन हो गया है. इसके कारण पूरी दुनिया में शोक की लहर है. स्टीफन हॉकिंग ने शारीरिक अक्षमताओं के बावजूद ये साबित किया था कि अगर इंसान में इच्छाशक्ति हो, कुछ करने का जज्बा हो, तो वो कुछ भी कर सकता है.
स्टीफन हॉकिंग के परिवार के प्रवक्ता ने बताया कि उनके तीनों बेटों लकी, रॉबर्ट और टिम ने कहा है कि उनके पिता इस दुनिया को छोड़कर जा चुके हैं. उनका निधन आज तड़के हुआ. उन्होंने कहा कि उनकी जगह को कभी कोई नहीं भर सकता और वे हमेशा उनकी कमी महसूस करते रहेंगे.
चमत्कारिक शख्सियत रहे हैं स्टीफन हॉकिंग, जिन्होंने मौत को भी मात दे दी
हमेशा व्हीलचेयर पर दिखने वाले स्टीफन एक महान वैज्ञानिक रहे हैं. अल्बर्ट आइंसटीन के बाद उनकी गिनती सबसे बड़े भौतिकशास्त्रियों में होती है. इनका जन्म इंग्लैंड में 8 जनवरी 1942 को हुआ था.
स्टीफन हॉकिंग को मोटर न्यूरोन की बीमारी थी, जो उन्हें 21 साल की उम्र में हुई थी. उस वक्त डॉक्टरों ने उन्हों कहा था कि वे सिर्फ 2 या 3 साल ही जी पाएंगे. लेकिन अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से उन्होंने इस बीमारी को हरा दिया. उनकी बीमारी को डॉक्टरों ने Amyotrophic Lateral Sclerosis (ALS) बताया था. इस बीमारी में शरीर के सारे अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं और मरीज़ की मौत हो जाती है. और स्टीफन के साथ यही हुआ भी. दिमाग को छोड़कर उनके सारे अंगों ने काम करना छोड़ दिया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.
यहां तक कि स्टीफन हॉकिंग के शरीर की सभी मांसपेशियों से उनका नियंत्रण खो गया. उनका कोई भी अंग काम नहीं करता था. अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि ”मैं अपने गाल की मांसपेशी के जरिए, अपने चश्मे पर लगे सेंसर को कम्प्यूटर से जोड़कर ही बातचीत करता हूं”. बता दें कि स्टीफन हॉकिंग के दिमाग को छोड़कर उनके शरीर का कोई भी भाग काम नहीं करता था.
यहां तक कि स्टीफन हॉकिंग ने इस बीमारी से लड़ते हुए बड़े-बड़े वैज्ञानिक खोज किए और ब्रह्मांड के रहस्यों को सुलझाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया. वे आखिरी वक्त तक पढ़ाने के लिए यूनिवर्सिटी जाते रहे.
ब्लैक होल और बिग बैंग थ्योरी को समझने में उन्होंने अहम योगदान दिया है. उनके पास 12 मानद डिग्रियां हैं और अमेरिका का सबसे उच्च नागरिक सम्मान उन्हें दिया गया. 1974 में ब्लैक हॉल्स पर किए गए उनके रिसर्च ने इस पर आधारित थ्योरी को ही मोड़ दिया था. उनकी ‘अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’ किताब दुनियाभर में बेहद पसंद की गई थी. इसके अलावा इनकी किताबें द ग्रांड डिजाइन, यूनिवर्स इन नटशेल, माई ब्रीफ हिस्ट्री, द थ्योरी ऑफ एवरीथिंग भी बेहद पॉपुलर हैं.
स्कूल में नहीं थे अच्छे विद्यार्थी
आश्चर्य की बात ये है कि महान ब्रह्मांड विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग स्कूल में अच्छे विद्यार्थी नहीं थे. उन्हें औसत नंबर भी नहीं आते थे. हालांकि उनकी गणित में गहरी रुचि थी.