World Media Reaction On Manmohan Singh Death: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने गुरुवार को 92 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. उनके निधन के बाद पूरी दुनिया के लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे है. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए दुनिया भर के मीडिया संस्थानों ने उनकी उपलब्धियों पर खबरे प्रकाशित की है. इसमें पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान सहित दुनिया अमेरिका (United States), ब्रिटिश (British) व अन्य सभी मीडिया में निधन को लेकर खबरे प्रकाशित की जा रही है. अमेरिकी अखबार ने उनके निधन पर लिखा कि, मनमोहन सिंह ने भारत के लिए वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के रूप में रास्ता तैयार किया साथ ही भारत-अमेरिका के रिश्तो को मजबूत करने में अहम रोल निभाया है. वहीं पाकिस्तानी (Pakistan) अखबार ‘डॉन’ ने श्रद्धांजलि देते हुए लिखा मनमोहन सिंह को भारत को अभूतपूर्व आर्थिक विकास की ओर ले जाने और करोड़ों लोगों को घोर गरीबी से बाहर निकालने का श्रेय दिया है.
अमेरिकी अखबार सीएनएन की रिपोर्ट
अमेरिकी अखबार सीएनएन ने कहा कि वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के रूप में भारत के उभरने का रास्ता तैयार किया. अमेरिकी अखबार के मुताबिक मनमोहन सिंह ने यूएस-भारत के रिश्तों को और मजबूत करने में अहम रोल निभाया. 92 साल की आयु में उनका निधन हो गया है. नीली पगड़ी पहनने के लिए मशहूर मनमोहन सिंह भारत के पहले सिख अल्पसंख्यक प्रधानमंत्री थे. उन्होंने 2004 से 2014 तक दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का नेतृत्व किया.
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अमेरिकी अखबार ने लिखा, ‘उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच मधुर संबंधों के एक नए युग की भी शुरुआत की जिसके कारण 2008 में दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक परमाणु ऊर्जा समझौते पर हस्ताक्षर हो पाया. उनके निधन पर विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने एक बयान में उन्हें “अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी के सबसे महान समर्थकों में से एक” बताया है.’
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अखबार ने लिखा कि 2014 में प्रधानमंत्री पद जाने और नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद मनमोहन सिंह ने राजनीति में अपनी सक्रियता कम कर ली. निधन के कुछ महीने पहले, मनमोहन सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ काम किया. उन्होंने कहा था, ‘मैं ईमानदारी से मानता हूं कि इतिहास मेरे प्रति आज की मीडिया और संसद में विपक्षी दलों की तुलना में अधिक दयालु होगा.’
जानें पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान क्या लिखा
पाकिस्तान के लगभग सभी बड़े अखबारों ने मनमोहन सिंह के निधन पर खबर प्रकाशित की है. ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने एक रिपोर्ट में लिखा कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और देश के आर्थिक उदारीकरण के वास्तुकार मनमोहन सिंह का 92 साल की आयु में निधन हो गया है. अखबार ने लिखा कि लंबी बीमारी के कारण गुरुवार देर शाम को उन्हें दिल्ली के एम्स अस्पताल में लाया गया और 9:51 मिनट पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
अखबार ने लिखा, ‘पेशे से अर्थशास्त्री, मनमोहन सिंह ने 1990 के दशक की शुरुआत में वित्त मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था को बदलने में अहम भूमिका निभाई थी. आर्थिक उदारीकरण की उनकी नीतियों ने भारत को वैश्विक बाजारों के लिए खोल दिया जिससे देश के तेज गति से विकास के लिए मंच तैयार हुआ.’
पाकिस्तान में अंग्रेजी के सबसे बड़े अखबार ‘डॉन’ ने मनमोहन सिंह के निधन पर समाचार एजेंसी रॉयटर्स के हवाले से एक खबर छापी है. अखबार ने लिखा, ‘प्रधानमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल में ‘अनिच्छुक शासक (Reluctant King)’ के रूप में जाने गए, शांत स्वभाव वाले मनमोहन सिंह यकीनन भारत के सबसे सफल नेताओं में से एक थे. उन्हें भारत को अभूतपूर्व आर्थिक विकास की ओर ले जाने और करोड़ों लोगों को घोर गरीबी से बाहर निकालने का श्रेय दिया जाता है. उन्होंने बतौर प्रधानमंत्री दो कार्यकाल पूरे किए थे.’
अखबार ने लिखा कि 2004 में मनमोहन सिंह का प्रधानमंत्री बनना बेहद ही अप्रत्याशित था. डॉन लिखता है, ‘सोनिया गांधी ने उन्हें यह पद संभालने के लिए कहा था. इटली की होने की वजह से उन्हें डर था कि अगर वो देश का नेतृत्व करेंगी तो उनके विरोधी इसका इस्तेमाल सरकार पर हमला करने के लिए करेंगे.’
पाकिस्तान के एक अन्य न्यूज नेटवर्क जियो टीवी ने समाचार एजेंसी एएफपी के हवाले से प्रकाशित अपनी खबर में लिखा है, ‘पूर्व प्रधानमंत्री एक साधारण टेक्नोक्रेट थे, जिनके पहले कार्यकाल को भारत के आर्थिक विकास के लिए खूब सराहा गया था. लेकिन उनका दूसरा कार्यकाल बड़े भ्रष्टाचार घोटालों, धीमी विकास दर और महंगाई के साथ खत्म हुआ. दूसरे कार्यकाल में मनमोहन सिंह की अलोकप्रियता और राहुल गांधी के फीके नेतृत्व के कारण साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहली बार भारी जीत मिली.’
ब्रिटिश मीडिया ने मनमोहन सिंह के संघर्षो भरे दिन को किया याद
ब्रिटिश अखबार द गार्जिन ने मनमोहन सिंह के संघर्ष भरे दिनों को याद करते हुए बताया कि कैसे वह रात में स्ट्रीट लाइट के नीच पढ़ा करते थे. रिपोर्ट में वित्त मंत्री रहते हुए उनके कार्यकाल की तारीफ की गई.
ब्रिटिश अखबार ने लिखा कि मनमोहन सिंह को 1991 में राजनीति में उतारा गया, जब भारत सबसे खराब आर्थिक संकटों में से एक का सामना कर रहा था और कर्ज न चुकाने की वजह से डिफॉल्ट के कगार पर आ गया था. तब तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव ने मनमोहन सिंह को अपना वित्त मंत्री बनाया.
अखबार ने बतौर वित्त मंत्री सिंह की उपलब्धियों का बखान करते हुए लिखा, ‘मनमोहन सिंह ने लाइसेंस राज को खत्म कर दिया, जो तय करता था कि फैक्ट्रियां क्या प्रोडक्ट बना सकती हैं और किस तरह की ब्रेड बेची जा सकती है. उन्होंने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए रुपये का अवमूल्यन किया, प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों को निजी और विदेशी निवेश के लिए खोला और टैक्स में कटौती की. उनके इन साहसी प्रयासों ने भारत के विकास की शुरुआत की जिससे मनमोहन सिंह को भारत का इकोनॉमिक लिबरेटर यानी आर्थिक मुक्तिदाता का नाम मिला.’
कतर की न्यूज नेटवर्क अलजजीरा
कतर के न्यूज नेटवर्क अलजजीरा ने भी मनमोहन सिंह के निधन पर कई खबरें प्रकाशित की हैं. अलजजीरा ने लिखा कि मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भारत का अभूतपूर्व आर्थिक विकास हुआ और उन्होंने गरीबों के लिए रोजगार प्रोग्राम जैसी कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू कीं.
मनमोहन सिंह एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री थे जो भारत के केन्द्रीय बैंक के गवर्नर और सरकार के सलाहकार बने, लेकिन जब 1991 में उन्हें अचानक वित्त मंत्री बना दिया गया, तब उनके पास राजनीतिक जीवन की कोई स्पष्ट योजना नहीं थी. मनमोहन सिंह भारत की अर्थव्यवस्था को और अधिक खोलना चाहते थे लेकिन उनकी ही पार्टी के भीतर राजनीतिक विवादों और गठबंधन सहयोगियों की मांग के कारण इस दिशा में वो बहुत आगे नहीं जा पाए थे. 1996 तक के अपने कार्यकाल के दौरान मनमोहन सिंह ने वो सुधार किए जिन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को भुगतान संतुलन के गंभीर संकट से बचाया और ऐसे उपाय किए जिससे अलग-थलग पड़े देश के द्वार दुनिया के लिए खुल गए.
तुर्की की मीडिया
तुर्की के सरकारी ब्रॉडकास्टर टीआरटी वर्ल्ड ने अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित एक खबर में समाचार एजेंसी रॉयटर्स के हवाले से एक खबर प्रकाशित की है जिसका शीर्षक है- भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, भारत के आर्थिक सुधारों के वास्तुकार मनमोहन सिंह का 92 साल की आयु में निधन.
टीआरटी वर्ल्ड ने आगे लिखा, ‘सादगी भरी जीवनशैली और ईमानदारी के लिए मशहूर सिंह को व्यक्तिगत रूप से भ्रष्ट नहीं माना जाता था. लेकिन उनके दूसरे कार्यकाल में कई घोटाले सामने आए और वो अपनी सरकार के संबंधित लोगों पर कार्रवाई करने में असफल रहे जिसे देखते हुए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हुए.’
रिपोर्ट में लिखा गया कि विश्व के सभी नेताओं के बीच डॉ. मनमोहन सिंह को बहुत सम्मान दिया जाता था लेकिन भारत में उन्हें हमेशा इस धारणा का सामना करना पड़ता था कि सरकार में असली ताकत सोनिया गांधी के पास है.
लेख में तुर्की की मीडिया ने लिखा कि मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री कार्यकाल में अंतिम सालों में भारत की विकास यात्रा डगमगा गई क्योंकि वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल और सरकार की धीमी निर्णय-प्रक्रिया ने निवेश को प्रभावित किया.
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