रायपुर। विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर संजीवनी कैंसर केयर फाउंडेशन द्वारा लोगों को जागरूक किया जा रहा है. विभिन्न कैंसर के विशेषज्ञों ने तंबाकू के उपयोग और उसके हानिकारक प्रभावों के बारें में आम जनता को समझाइश दी और अपने अनुभव भी साझा किए. कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने कैंसर विशेषज्ञों के साथ मिलकर स्वयं को तंबाकू से दूर रखने का संकल्प लिया. इसके साथ तंबाकू के हानिकारक प्रभाव के बारे में अन्य लोगों को जागरूक करने की बात भी कही.
जागरूकता को लेकर संजीवनी कैंसर केयर फाउंडेशन के डायरेक्टर डॉ युसूफ मेमन ने बताया कि भारत में कैंसर से हर साल 13 लाख से अधिक लोगों की मौत होती है. यानी प्रतिदिन 3500 मौतें.. तंबाकू से होने वाली बीमारी और मौत का प्रभाव देश के समाजिक और आर्थिक विकास पर भी पड़ता है. तंबाकू से सेवन से कई तरह की बीमारियों को आमंत्रण मिलता है. धूम्रपान करने वाले व्यक्ति अकेले नहीं है, जिन्हें तंबाकू से कैंसर हो. उनके आसपास के लोग भी इस बीमारी के शिकार हो सकते हैं, जिससे बचने की जरूरत है.
डॉ. अर्पण चतुर्मोहता ने तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों की जानकारी देते हुए कहा कि जब तंबाकू के हानिकारक प्रभावों पर आमतया लोग केवल फेफड़ों के कैंसर के बारे में सोचते हैं. हालांकि, तंबाकू का सेवन फेफड़ों के कैंसर के दस में से नौ मामलों का कारण बनता है. इस बात की जागरूकता जरूरी है कि तम्बाकू का उपयोग आपके शरीर में लगभग कहीं भी, मूत्राशय, रक्त और फेफड़े सहित कैंसर का कारण बन सकता है. गर्भाशय ग्रीवा, बृहदान्त्र (कोलोन) और मलाशय (रेक्टम), अन्नप्रणाली (इसोफेगस), गुर्दे (ब्लैडर) और रेनल पेल्विस, यकृत (लिवर), फेफड़े, ब्रांकाई और श्वासनली, मुंह और गले, अग्न्याशय (पैंक्रियाज), पेट और आवाज बॉक्स (लैरिंक्स) में टोबैको की वजह से कैंसर हो सकता है.
डॉ अनिकेत ठोके ने लोगों को तंबाकू सेवन छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से तंबाकू छोड़ने के बाद के कुछ लाभों को साझा किया, उन्होंने बताया कि 20 मिनट के बाद रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) और नाड़ी की दर (पल्स रेट) सामान्य हो जाती है. हमारे शरीर के रक्त में ऑक्सीजन का स्तर आठ घंटे के बाद सामान्य हो जाता है. दिल का दौरा पड़ने का खतरा कम होने लगता है. 24 घंटे के बाद कार्बन मोनोऑक्साइड शरीर से बाहर निकल जाती है. स्वाद और गंध की इंद्रियों में सुधार होता है. 72 घंटे के बाद सांस लेना आसान हो जाता है, फिर हमारे शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ने लगता है.
डॉ दिवाकर पांडे ने साझा किया कि सिगरेट, सिगार और पाइप से निकलने वाले धुएं में कम से कम 70 रसायन कैंसर का कारण बन सकते हैं. जब कोई व्यक्ति उस धुएं में सांस लेता है तो रसायन उनके ब्लड स्ट्रीम में प्रवेश करते हैं, जहां वे अपने शरीर के सभी हिस्सों में जाते हैं. इनमें से कई रसायन आपके डीएनए को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. जो यह नियंत्रित करता है कि आपका शरीर कैसे नई कोशिकाओं का निर्माण करता है और प्रत्येक प्रकार की कोशिका को अपना काम करने के लिए निर्देशित करता है. क्षतिग्रस्त डीएनए, कोशिकाओं को उन तरीकों से बढ़ने का कारण बन सकता है, जिनकी अपेक्षा नहीं की जा सकती है. इन असामान्य कोशिकाओं में कैंसर में विकसित होने की काफी संभावना होती है.
डॉ. विकास गोयल ने इस वर्ष के विश्व तंबाकू निषेध दिवस की थीम “तंबाकू: हमारे पर्यावरण के लिए खतरा” के बारे में बताते हुए कहा कि तंबाकू विश्व स्तर पर हर साल 80 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु का कारण बनता है, साथ ही यह पर्यावरण को नष्ट कर रहा है और इसके माध्यम से मानव स्वास्थ्य एवं अर्थव्यवस्था को भी खतरे में डाल रहा है. तंबाकू उत्पादन, निर्माण और खपत, हमारे पानी, मिट्टी, समुद्र तटों और शहर की सड़कों में, रसायन, पॉयसन, माइक्रोप्लास्टिक सहित सिगरेट के टुकड़े, और ई-सिगरेट अपशिष्ट का कारण बनता है जो कि हमारे पर्यावरण को भारी जानी पहुंचाते हैं. तंबाकू के सेवन से शरीर के लगभग हर अंग में कैंसर होने की संभावना होती है.
डॉ राकेश मिश्रा ने साझा किया कि धूम्रपान तम्बाकू सेवन के बहुत से रूपों में से एक है। सिर्फ सिगरेट पीना ही नहीं बल्कि धूम्रपान रहित तंबाकू उत्पाद, (जैसे कि चबाने वाला तंबाकू) भी कैंसर का कारण बन सकता है, जिसमें एसोफेजिएल, मुंह और गले, और अग्नाशय का कैंसर भी शामिल हैं. डॉ रमेश कोठरी एवं डॉ सतीश देवांगन आगे कहा कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट, स्वाद और रसायनों वाले तरल को गर्म करके एक धुंध (मिस्ट) उत्पन्न करती है. जिनमें से कई काफी हानिकारक रसायन भी होते हैं, इसीलिए लोगों को किसी भी प्रकार के तंबाकू प्रोडक्ट से दूर रहना चाहिए. इस कार्यक्रम में उपस्थित शहर के जागरूक लोगों ने कैंसर विशेषज्ञों के साथ मिलकर स्वयं को तंबाकू उत्पादों से दूर रखने और समाज के लोगों को तंबाकू के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने का संकल्प लिया.
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