कर्ण मिश्रा,ग्वालियर/मनीष मारू,आगर मालवा। जिस उम्र में बुजुर्गों को अपनी संतानों के सहारे की जरूरत होती है, उस उम्र में उन्हें दर दर की ठोकरे खाने छोड़ दिया जाता है. अभद्र व्यवहार के साथ मकान, जमीन और पैसों के लिए उन्हें प्रताड़ित किया जाता है. समाज की इस तस्वीर को सुधारने 01 अक्टूबर को विश्व वद्ध दिवस मनाया जाता है. ग्वालियर पुलिस कंट्रोल रूम में स्थित पुलिस की आलंबन सेल के जरिए बुजुर्गों का सहारा बन रही है. वहीं आगर मालवा जिले में कई जीवित बुजुर्गों को मृत और कई को पलायन बताकर सामाजिक सुरक्षा पेंशन बंद कर दी गई है.

ग्वालियर पुलिस ऐसे बुजुर्गों का सहारा बनी है. पुलिस के पास लगातार ऐसे मामले पहुंच रहे हैं. जिनमें बुजुर्ग अपनों से ही प्रताड़ित हैं. ऐसे बुजुर्गों की मददगार बनी है. पुलिस कंट्रोल रूम में स्थित पुलिस की आलंबन सेल प्रताड़ित बुजुर्ग जब यहां अपनी गुहार लेकर पहुंचते हैं, तो सबसे पहले उन्हें परेशान करने वाले को बुलाया जाता है. इन्हें समझाया जाता है. जब नहीं मानते तो एफआइआर तक कराई जाती है. यही वजह है अब बुजुर्गों को उनका हक पुलिस दिलवा रही है. 9 माह में 127 बुजुर्गों को पुलिस ने उनका हक दिलाया. आंकड़ों के मुताबिक करीब 40 प्रतिशत बुजुर्ग जो आलंबन में शिकायत लेकर आ रहे हैं. वह अपने बच्चों से ही प्रताड़ित हैं.

एक नजर में समझिए

1 जनवरी 2022 से 30 सितंबर 2022 तक पुलिस के पास 301 बुजुर्ग शिकायत लेकर पहुंचे. यह लोग जनसुनवाई, थाने और सीधे पुलिस अधिकारियों के पास शिकायत लेकर पहुंचे. यहां से यह मामले आलंबन सेल भेजे गए.

आलंबन सेल में तैनात महिला पुलिस अधिकारी और काउंसलरों ने बुजुर्गों से बात की, उन्हें परेशान करने वालों को बुलाया. 127 बुजुर्गों को उनका हक दिलाया गया.

301 में से 96 मामले ऐसे हैं, जिनमें सख्त कार्रवाई की जरूरत थी. इन्हें यहां से थाने भेजा गया और इनमें से 17 मामलों में तो एफआइआर तक हुई.

58 मामले बुजुर्गों के मकान, जमीन पर कब्जे के थे. इन्हें एसडीएम कोर्ट में निराकरण के लिए भेजा गया. अब एसडीएम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. 11 मामले अभी पेंडिंग हैं.

बुजुर्गों के साथ किए जा रहे इस दुर्व्यवहार और उसे रोकने के लिए किए जा रहे प्रयास को लेकर एडिशनल एसपी क्राइम राजेश दंडोतिया का कहना है कि जब भी कोई बुजुर्ग अपनी शिकायत लेकर पहुंचते हैं, तो पुलिस अधिकारी उन्हें थाने से आलंबन सेल में भेजा जाता है. यहां इंचार्ज और काउंसलरों की टीम उनसे बात करती है, समझाइश के बाद अगर बुजुर्गों को उनका हक मिलता है, तो ठीक है वरना जरूरत पड़ने पर थाने भेजा जाता है. जिससे एफआइआर सहित अन्य कार्रवाई हो सके. ASP का यह भी कहना है कि बुजुर्गों की मदद के लिए पुलिस तत्पर है. आलंबन सेल और थानों के माध्यम से 127 बुजुर्गों को उनका हक दिलाया गया है. हम इसे और सशक्त बनाने जा रहे हैं,विश्व व्रद्ध दिवस के मौके पर विशेष ड्राइव चला कर वुजुर्गो से जुड़े मामलों का निराकरण कराया गया हैं.

बुजुर्गों की बंद कर दी सामाजिक सुरक्षा पेंशन

आगर नगर पालिका के कर्मचारियों की लापरवाही का खामियाजा शहर के सैकड़ों बुजुर्गों को भुगतना पड़ रहा है. दरअसल दिसंबर 2021 में नगर पालिका के कर्मचारियों ने लापरवाही पूर्वक या यह कहें कि बंद कमरे में बैठकर एक भौतिक सत्यापन किया. इस लापरवाही पूर्वक किये गए सर्वे का खामियाजा सामाजिक सुरक्षा पेंशन पाने वाले कई बुजुर्गों को भुगतना पड़ रहा है. इन कर्मचारियों ने कई जीवित पेंशन धारियों को सर्वे रिपोर्ट में मृत घोषित कर दिया. वही सैकड़ो बुजुर्गों का शहर से पलायन बता कर उन्हें अपात्र कर दिया.

अब करीब 9 माह से यह बुजुर्ग नगर पालिका के चक्कर लगा रहे हैं. हालांकि इनमें से कुछ बुजुर्ग जिनका पलायन बताया गया था उनकी पेंशन मिलने लगी. मगर अब भी सैकड़ों लोग सामाजिक सुरक्षा पेंशन से वंचित है. बुजुर्ग थावर आगर शहर के रावण बल्डी क्षेत्र में रहते हैं. नगरपालिका के रिकार्ड में इन्हें मृत बता कर इनकी पेंशन बंद कर दी गई. अब थावर जी के साथ ही इनकी पत्नी झंन्नू बाई नगरपालिका के चक्कर लगाकर पेंशन शुरू करवाने की गुहार लगा रहे हैं.

बात यहीं खत्म नहीं होती. वार्ड 15 में घर की सफाई में जुटी दुर्गाबाई और वार्ड 13 में फूलों को गूथ रहीं कमलाबाई की भी यही परेशानी है. इन दोनों महिलाओं को भी नगरपालिका ने रिकार्ड में मृत बता कर पेंशन बंद कर दी. इनके अलावा आगर भी में ऐसे सैकड़ो लोग है, जिनकी सामाजिक सुरक्षा पेंशन पात्र होने कर बावजूद बंद कर दी गई. कुछ लोगों को जीवित होने के बाद भी मृत बता दिया. तो कई लोगो का शहर से पलायन होना दर्शा दिया.

शिकायतों के बावजूद अब तक कई लोग पेंशन पाने से वंचित है. इस मामले में अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. हालांकि नगर पालिका अध्यक्ष नीलेश पटेल का कहना है कि उनके द्वारा सभी पात्र लोगों की पेंशन शुरू करवाने के प्रयास किए जा रहे हैं. साथ ही जिन कर्मचारियों ने भौतिक सत्यापन में लापरवाही बरती है, उन पर भी कार्रवाई प्रस्तावित की जाएगी.

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