रायपुर. छत्तीसगढ़ में ठंड के मौसम की शुरुआत हो चुकी है. ठंड के समय बच्चों में निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है. इलाज बहुत जरूरी है नहीं तो निमोनिया जानलेवा भी साबित हो सकता है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में हर साल 35 हजार बच्चों की मौत होती है. इनमें 5 हजार से ज्यादा निमोनिया के कारण हैं.

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दुनियाभर में सबसे ज्यादा मौत का कारण निमोनिया है. भारत में छह तरह के वायरस संक्रमण में निमोनिया टॉप पर रहा है. यूनिसेफ के आंकड़े के अनुसार, निमोनिया के कारण भारत में हर साल शून्य से पांच वर्ष आयु वर्ग के एक लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है. 2030 तक भारत में 17 लाख से अधिक बच्चों की निमोनिया से मौत की आशंका जताई जा रही है.

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5 साल से कम और 65 से अधिक के लिए द्यातक
फेफड़ के अंदर इंफेक्शन को निमोनिया कहते हैं. निमोनिया पांच साल से कम उम्र के बच्चों का सबसे बड़ा हत्यारा है. इस मौतों में 14 फीसदी बच्चों की मौत निमोनिया के कारण होती है. निमोनिया से जुड़ी 80 फीसदी मौतें जीवन के पहले 2 वर्षों के दौरान बच्चों में होती है. बच्चों और बुजुर्गों में निमोनिया का खतरा ज्यादा हानिकारक हो सकता है.

नि:शुल्क होता है निमोनिया का टीका
प्रभावी टीके ज्यादातर मामलों को टाल सकते हैं, शुरुआती और सही इलाज, साधारण एंटीबायोटिक्स से बचपन के निमोनिया का इलाज कर सकते हैं. अधिक गंभीर मामलों को चिकित्सा ऑक्सीजन के साथ इलाज किया जाना चाहिए. केंद्र सरकार द्वारा सभी स्वास्थ्य केंद्रों में निमोनिया के टीकों को नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है.

जागरुकता के लिए मनाया जाता दिवस
अगर निमोनिया के लक्षण बच्चों या बुजुर्गों में दिखें तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए. लोगों में जागरूकता लाने के लिए हर साल 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है. यह दिन पहली बार 12 नवंबर 2009 को ग्लोबल कोएलिशन अगेंस्ट चाइल्ड न्यूमोनिया द्वारा मनाया गया था.

कैसे करें बचाव
इस बीमारी से बचने के लिए साफ-सफाई पर ख़ासा ध्यान दें, लेकिन सबसे ज्यादा ज़रूरी टीकाकरण है. ज्यादा वयस्कों और बुजुर्गों में डॉक्टर की सलाह के अनुसार टीकाकरण किया जाता है. सर्दी-जुखाम को साधरण ना समझे, लक्षण को नजऱअंदाज़ न करें और तुरंत जांच करवाएं व डॉक्टर की सलाह लें.

निमोनिया में कैसा हो खानपान
निमोनिया के दौरान कोशिश होनी चाहिए कि रोगी को केवल संतुलित आहार दिया जाए. रोगी के पोषण व रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्यों का ख़ास ख्याल रखा जाए. प्रोटीन युक्त आहार, जैसे अंडे, मछली, हल्दी, अदरक, हरी पत्तेदार सब्जिय़ों का सेवन लाभदायक है, लेकिन इस सन्दर्भ में भी केवल सम्बंधित डॉक्टर की सलाह पर रोगी का खानपान तय करें.

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