रायपुर. माघ माह में देवता पृथ्वी पर आते हैं और मनुष्य रूप धारण कर प्रयाग में स्नान, दान और जप करते हैं. माघ माह को स्नान, जप, तप का माह माना जाता है. इस मास में भगवान कष्ट दूर करने के लिए विभिन्न मंत्र के अलावा बटुक भैरव मंत्र जाप करने दान करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है और समस्त कष्टों के मुक्ति मिलती है. सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति पाने के लिए व स्वयं को और अपने परिवार को ऊपरी बाधाओं से सुरक्षित रखने में भैरव आराधना चमत्कारिक परिणाम देने वाली है.
रूद शिव के त्रिनेत्र की ज्वाला से जन्मे हैं भैरव. इनका जन्म अहंकार और असत्य के नाश के लिए हुआ है. रुद को उग्र देवता के रूप में पूजा जाता है पर इनका एक बहुत ही प्यारा और सौम्य रूप है बटुक भैरव का. भैरव के वैसे तो आठ रूप है, जिसमे बटुक रूप एक चौदह-पन्द्रह साल के बालक का है. भैरव की प्रसन्नता के लिए श्री बटुक भैरव मूल मंत्र का पाठ करना शुभ होता है.
शनि के प्रकोप का शमन भैरव की आराधना से होता है. भैरवनाथ के व्रत एवं दर्शन-पूजन से शनि की पीडा का निवारण होता है. अनुकम्पा की कामना रखने वाले उनके भक्त तथा शनि की साढेसाती, ढैय्या अथवा शनि की अशुभ दशा से पीडित व्यक्ति कालभैरव भैरवनाथ की उपासना करें, तो उन्हें सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है.
भैरवजी कलियुग के जाग्रत देवता हैं. भक्ति-भाव से इनका स्मरण करने मात्र से समस्याएं दूर होती हैं. इनका आश्रय ले लेने पर भक्त निर्भय हो जाता है. भैरवनाथ अपने शरणागत की सदैव रक्षा करते हैं. अगर ये प्रयोग 41 दिन तक कर लिया जाये, तो व्यक्ति का असम्भव लगने वाला कठिन से कठिन कार्य भी श्री बटुक भैरव की कृपा से अति शीघ्र सिद्ध हो जाता है.
श्री वटुक भैरव अष्टोत्तर शतनाम का विशेष महत्व है. इसके 21 पाठ मन्त्र विधि सहित कोई नित्य करें, तो ये सिद्ध हो जाता है और फिर जाग्रत रूप से कार्य करता है. रोग दोष आधी व्याधि का नाश करता है. इससे अभिमन्त्रित भस्म जल किसी रोगी पर छिड़कने से रोग दूर हो जाता है. किसी पर कोई ऊपरी बाधा हो तो वो दूर हो जाती है. बहुत ही अच्छा और कृपा करने वाला है. कलयुग में अन्य देवता तो समय आने पर फल देते है पर भगवान वटुक भैरव जिस दिन से इन्हें पूजो उसी दिन से अपना प्रभाव दिखाने लगते हैं.
मंत्र जप की विधि
पूजा स्थल पर भैरव यंत्र की स्थापना करें. मंत्र का जप नियमित रूप से व समय के अनुसार ही करें. तिल के तेल का दीपक व धुप आदि लगायें. अब भगवान श्री गणेश का ध्यान करें. उपरांत भैरव बाबा का ध्यान करते हुए मंत्र जप आरम्भ करें. मंत्र जप की संख्या अपने सामथ्र्य अनुसार निश्चित करें. प्रतिदिन समान मात्रा में जप करें.
काल भैरव मंत्र साधना विधि भैरव तांत्रिक यंत्र
घर से हर प्रकार की नकारात्मक शक्तियों को दूर करने में भैरव बाबा की आराधना करना आपके लिए सर्वोत्तम विकल्प है. तंत्र शास्त्र में भी भैरव बाबा को विशिष्ट स्थान प्राप्त है. बुरी शक्तियों से छुटकारा पाने में, नजर दोष दूर करने में, शत्रुओं का नाश करने में व घर में सुख-शांति बनाये रखने में भैरव उपासना को विशेष महत्व दिया जाता है.
आपत्ति से उबरने के लिए बटुक भैरव के मंत्र
“ ॐ âha oa बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय oa âha ॐ ”
विधि – आटे की लोई का दिया बनाकर तिल के तेल का दीपक जलाएं उक्त मन्त्र का 108 बार जाप करके दिया बाहर रखें और एक दोने में 4 मुट्ठी आटा और एक मुट्ठी शक्कर लेकर पेड़ के तन्ने में रख दें. बटुक भैरव मन्त्र का जाप करने से विपत्ति टल जाती है.
शत्रु नाश् उपाय
- यदि आप भी अपने शत्रुओं से परेशान हैं तो शाम से उपाए करें और अपने शत्रुओं से मुक्ति पायें.
एक सफेद कागज पर भैरव मंत्र जपते हुए काजल से शत्रु या शत्रुओं के नाम लिखें और उनसे मुक्त करने की प्रार्थना करते हुए एक छोटी सी शहद की शीशी में ये कागज मोड़ के डुबो दें व ढक्कन बंद कर किसी भी भैरव मंदिर या शनि मंदिर में अर्पित कर दें. यदि संभव न हो तो किसी पीपल के नीचे गाड़ सकते हैं. कुछ दिनों में शत्रु स्वयं कष्ट में होगा और आपको छोड़ देगा.
मंत्र –
ॐ क्षौं क्षौं भैरवाय स्वाहा.
शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए एक लघु प्रयोग –
इस प्रयोग से एक बार से ही शत्रु शांत हो जाता है और परेशान करना छोड़ देता है, पर यदि जल्दी न सुधरे तो पांच बार तक प्रयोग कर सकते हैं. ये प्रयोग शनि, राहु एवं केतु ग्रह पीड़ित लोगों के लिए भी बहुत फायदेमंद है.
इसके लिए किसी भी मंगलवार या शनिवार को भैरवजी के मंदिर जाएँ और उनके सामने एक आटे का चैमुखा दीपक जलाएं. दीपक की बत्तियों को रोली से लाल रंग लें. फिर शत्रु या शत्रुओं को याद करते हुए एक चुटकी पीली सरसों दीपक में डाल दें. फिर निम्न श्लोक से उनका ध्यान कर 21 बार निम्न मन्त्र का जप करते हुए एक चुटकी काले उड़द के दाने दिए में डाले. फिर एक चुटकी लाल सिंदूर दिए के तेल के ऊपर इस तरह डालें जैसे शत्रु के मुंह पर डाल रहे हों. फिर 5 लौंग ले प्रत्येक पर 21-21 जप करते हुए शत्रुओं का नाम याद कर एक एक कर दिए में ऐसे डालें जैसे तेल में नहीं किसी ठोस चीज में गाड़ रहे हों. इसमें लौंग के फूल वाला हिस्सा ऊपर रहेगा. फिर इनसे छुटकारा दिलाने की प्रार्थना करते हुए प्रणाम कर घर लौट आएं.