रायपुर. भगवान के भैरव रूप के स्मरण मात्र से ही सभी प्रकार के पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं. भैरव की पूजा व उपासना से मनोवांछित फल मिलता है. भैरव जी की पूजा-अर्चना करने व व्रत एवं षोड्षोपचार पूजन करना अत्यंत शुभ एवं फलदायक माना गया है.
शास्त्रों के अनुसार बुधवार को कालभैरव का दर्शन एवं पूजन मनवांछित फल प्रदान करता है और रात्रि के समय जागरण कर शिव एवं पार्वती की कथा एवं भैरव कथा का श्रवण और मनन करना समस्त प्रकार के भय और काल के डर को दूर करता है.
मध्य रात्रि होने पर शंख, नगाड़ा, घंटा आदि बजाकर भैरव जी की आरती करनी चाहिए. भगवान भैरवनाथ का वाहन स्वान (कुत्ता) है. अत: इस दिन कुत्ते को भोजन कराना चाहिए.
हिंदू मान्यता के अनुसार इस दिन प्रात: काल पवित्र नदी या सरोवर में स्नान कर पितरों का श्राद्ध व तर्पण कर भैरव जी की पूजा व व्रत करने से समस्त विघ्न समाप्त हो जाते हैं. भैरव जी की पूजा व भक्ति से भूत, पिशाच एवं काल भी दूर रहते हैं.
कालाष्टमी के दिन काल भैरव के साथ इस दिन देवी कालिका की पूजा-अर्चना एवं व्रत का भी विधान है. भैरव की पूजा-अर्चना करने से परिवार में सुख-शांति, समृद्धि के साथ स्वास्थ्य की रक्षा भी होती है.