WPI Inflation August 2024 : रोजमर्रा की जरूरी वस्तुओं के सस्ते होने से अगस्त महीने में थोक महंगाई दर घटकर 1.31% पर आ गई है. यह इसका 4 महीने का सबसे निचला स्तर है. अप्रैल में यह 1.26% पर थी. जबकि एक महीने पहले जुलाई में थोक महंगाई दर घटकर 2.04% पर आ गई थी.
इससे पहले 12 सितंबर को सरकार ने खुदरा महंगाई के आंकड़े जारी किए थे. अगस्त महीने में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 3.65% पर पहुंच गई है. जुलाई महीने में यह 3.54% पर थी. सब्जियों के महंगे होने से अगस्त महीने में खुदरा महंगाई दर बढ़ी है.
खाद्य पदार्थों और प्राथमिक वस्तुओं के दाम घटेव (WPI Inflation August 2024)
रोजमर्रा की जरूरी वस्तुओं की महंगाई दर 3.08% से घटकर 2.42% पर आ गई. खाद्य पदार्थों की महंगाई दर 3.55% से घटकर 3.26% पर आ गई. ईंधन और बिजली की थोक महंगाई दर 1.72% से बढ़कर -0.67% पर आ गई. विनिर्माण उत्पादों की थोक मुद्रास्फीति दर 1.58% से घटकर 1.22% हो गई.
होलसेल महंगाई के तीन पार्ट होते हैं:
प्राइमरी आर्टिकल जिसका वेटेज 22.62% है. फ्यूल एंड पावर का वेटेज 13.15% और मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट का वेटेज सबसे ज्यादा 64.23% है. प्राइमरी आर्टिकल के भी चार हिस्से हैं:
- फूड आर्टिकल्स जैसे अनाज, गेहूं, सब्जियां
- नॉन फूड आर्टिकल में ऑइल सीड आते हैं
- मिनरल्स
- क्रूड पेट्रोलियम
थोक महंगाई दर का आम आदमी पर असर
थोक महंगाई दर में लंबे समय तक बढ़ोतरी का सबसे ज़्यादा उत्पादक क्षेत्रों पर नकारात्मक असर पड़ता है. अगर थोक महंगाई दर लंबे समय तक ऊंची बनी रहती है, तो उत्पादक इसका बोझ उपभोक्ताओं पर डाल देते हैं. सरकार WPI को सिर्फ़ करों के ज़रिए ही नियंत्रित कर सकती है.
उदाहरण के लिए, कच्चे तेल में तेज़ उछाल की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती की थी. हालांकि, सरकार कर कटौती को एक सीमा के भीतर ही कम कर सकती है. धातु, रसायन, प्लास्टिक, रबर जैसे फ़ैक्टरी से जुड़े सामान का WPI में ज़्यादा वज़न होता है.
महंगाई कैसे मापी जाती है ?
भारत में महंगाई दो तरह की होती है. एक खुदरा और दूसरी थोक महंगाई. खुदरा महंगाई दर आम ग्राहकों द्वारा दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है. इसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) भी कहते हैं. वहीं, थोक मूल्य सूचकांक (WPI) का मतलब है कि थोक बाजार में एक व्यापारी दूसरे व्यापारी से जो कीमतें वसूलता है.
महंगाई मापने के लिए अलग-अलग मदों को शामिल किया जाता है. उदाहरण के लिए थोक महंगाई में विनिर्मित उत्पादों की हिस्सेदारी 63.75%, खाद्य जैसे प्राथमिक वस्तुओं की 22.62% और ईंधन एवं बिजली की 13.15% है. वहीं, खुदरा महंगाई में खाद्य एवं उत्पादों की हिस्सेदारी 45.86%, आवास की 10.07% और ईंधन समेत अन्य मदों की भी हिस्सेदारी है.
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