राम कुमार यादव, सरगुजा। छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में नवरात्रि उत्सव के दौरान बीते शनिवार, 27 सितंबर को हुए विवाद ने शहर के सांस्कृतिक माहौल को गरमा दिया है। फेमस यूट्यूबर एल्विश यादव और कच्चा बादाम फेम अंजली अरोड़ा का गरबा-डांडिया कार्यक्रम स्थानीय हिंदू संगठनों के विरोध के कारण रद्द कर दिया गया, जिसे लेकर अब यादव समाज ने आपत्ती जताई है।
जानकारी के अनुसार, एल्विस यादव के अंबिकापुर पहुंचने पर हिंदू संगठन के युवकों ने उनके काफिले पर हमला करने का प्रयास किया। हालांकि, पुलिस ने समय रहते हस्तक्षेप कर उनका काफिला सुरक्षित निकाला। विरोध की स्थिति को देखते हुए रविवार को अंजली अरोड़ा का डांडिया कार्यक्रम भी रद्द कर दिया गया। नतीजतन, दोनों कलाकार बिना प्रस्तुति दिए वापस लौट गए।

एल्विस का कार्यक्रम रद्द होने के बाद यादव समाज का आक्रोश
एल्विस यादव के कार्यक्रम रद्द होने के बाद यादव समाज में गहरा आक्रोश देखा गया। समाज के नेताओं ने इस घटना की निंदा की और डांडिया एवं गरबा कार्यक्रमों में आने वाले कलाकारों पर भविष्य में प्रतिबंध लगाने की मांग उठाई। यादव समाज का कहना है कि किसी भी कलाकार के कार्यक्रम का विरोध गलत है और इससे अंबिकापुर जैसी सांस्कृतिक रूप से समृद्ध जगह पर बड़े कलाकार आने से हिचकिचाएंगे। उनका मानना है कि इससे शहर की सांस्कृतिक पहचान पर नकारात्मक असर पड़ेगा।

यादव समाज ने कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया कि एल्विश यादव के कंटेंट को अश्लीलता की श्रेणी में रखा गया और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के कारण उन्हें गैर सनातनी बताया जा रहा है। समाज ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा कि केवल एफआईआर या कंटेंट की वजह से किसी को गैर सनातनी नहीं माना जाना चाहिए।
यादव समाज के नेता नरेंद्र यादव ने कहा कि एल्विश यादव की एफआईआर पर अदालत का फैसला अभी नहीं आया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सनातन धर्म के नाम पर शहर का माहौल बिगाड़ा जा रहा है और कलाकारों को प्रस्तुति देने से रोका जाना शहर की गरिमा को चोट पहुंचाता है। उन्होंने चेतावनी दी कि अब जब एल्विश यादव और अंजली अरोड़ा के कार्यक्रम रोक दिए गए हैं, तो आने वाले दिनों में गोविंदा और अन्य कलाकारों के कार्यक्रमों को भी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
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