यमुना का जलस्तर सामान्य हो गया है, फिर भी लोग चिल्ला, यमुना खादर, विकास मार्ग, पुराना उस्मानपुर और गढ़ी मांडू समेत अन्य जगहों पर सड़क पर टेंट लगाकर रहे हैं। लोगों ने बताया कि अब उनके पास पर्याप्त राशन भी नहीं बचा है जाे कुछ भी था वह बाढ़ में बर्बाद हो गया है। इन लोगों ने आरोप लगाया कि बाढ़ के एक-दो दिन तक सरकार की ओर से मदद की गई, लेकिन पानी कम होने के बाद प्रशासन की ओर से न के बराबर मदद की जा रही है।
लोगों ने बताया कि पहले गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) की ओर से यहां पर हर घंटे कुछ न कुछ मदद मिल जाती थी, लेकिन अब वह भी कम हो चुकी है। बाढ़ प्रभावितों ने बताया कि यमुना का पानी कम होते ही वह अपने घरों तक गए लेकिन खाने-पीने का सारा सामान खराब हो चुका था। जो बची हुई चीजें थीं वह साथ लेकर आ गए। कोई संस्था खाने-पीने की चीजें लेकर मदद के लिए पहुंचती है, तो लंबी कतार की वजह से हर जरूरतमंद तक सामान नहीं पहुंच पाता है।
दानदाताओं में फोटो लेने की होड़
लोगों ने बताया कि यहां पर कुछ लोग ऐसे भी आते हैं, जो दान करते वक्त हर एक व्यक्ति की फोटो क्लिक करते रहते हैं। वह थोड़ा सा भी कुछ देते हैं, तो वह पहले उसकी फोटो लेते हैं और वीडियो बनाते हैं। फिर उसके बाद वह लोगों की मदद करते हैं। ऐसे में लोग मदद लेते वक्त खुद को शर्मिंदा महसूस करते हैं।
टेंट में रात-दिन गुजारना बहुत मुश्किल हो रहा है। किसी तरह हम लोग यहां पर रहे हैं। शुरू-शुरू में यहां कई लोग मदद के लिए आते थे, लेकिन पानी कम होने के बाद अब यहां पर लोगों ने आना कम कर दिया है।
-ओम प्रकाश, बाढ़ पीड़ित
यमुना का पानी कम होते ही अपने घर गया। जाकर देखा, तो सारा सामान खराब हो चुका था। जो बचा हुआ सामान था उसे हम लोग यहां टेंट में ले आए। जब सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा, तो फिर से घर में लौट जाएंगे।
शिविरों में दिन में गर्मी और रात में मच्छरों से मुसीबत
शबनम ने बताया कि वह बेला गांव की झुग्गियों में अपने तीन बच्चों और पति के साथ रहती है। पति माली का काम करते हैं और दिन में काम पर निकल जाते हैं। वह अपने बच्चों के साथ राहत शिविर में ही रहती है। सुबह 9 बजे नाश्ते में उन्हें चाय और बिस्कुट दिया जा रहा है। दोपहर एक बजे चावल और आलू की सब्जी और रात में तीन रोटियां मिलती है। इससे ही गुजारा करना पड़ रहा है। खाने-पीने की उतनी समस्या नहीं है, लेकिन इतनी गर्मी में कोई सड़क किनारे कैसे गुजारा करे। दिन में इतनी उमस होती है कि टेंट में एक पल भी रहना मुश्किल हो जाता है। रात में मच्छर सोने नहीं देते। टॉयलेट की व्यवस्था ठीक नहीं होने से महिलाओं को सबसे अधिक परेशानी हो रही है।
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