रायपुर. यूं तो छत्तीसगढ़ पूरे साल राजनीति, नौकरशाही, अपराध और समाज में हुई कई महत्वपूर्ण घटनाओं का गवाह रहा. साल 2017 जाने को है लेकिन पूरे साल कुछ ऐसी घटनाएं हुई जो लंबे अरसे तक लोगों के दिमाग पर अंकित रहेंगी. ये खबरें न सिर्फ प्रदेश में बल्कि देश और दुनिया में भी चर्चा का विषय रही. आइए नजर डालते हैं प्रदेश की सालभर की उन घटनाओं पर जो पूरे साल चर्चा का विषय रहीं.

  1. साल की शुरूआत में ही कल्लूरी का ट्रांसफर

सूबे के सबसे विवादित और चर्चित आईपीएस अधिकारी एसआरपी कल्लूरी का बस्तर के आईजी पद से तबादला नौकरशाही के लिए साल की सबसे बड़ी खबर रही. फरवरी के पहले हफ्ते में ही सरकार ने कल्लूरी का तबादला कर प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा दी. बस्तर के आईजी पद से पुलिस हेडक्वार्टर भेजे गए कल्लूरी के तबादले के कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं. मानवाधिकारों के हनन को लेकर कल्लूरी हमेशा से मीडिया और मानवाधिकार संगठनों के निशाने पर रहे हैं. माना जा रहा है अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर सरकार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती और अपनी इमेज बिल्डिंग के तहत ही सरकार ने कल्लूरी को बस्तर से हटाने का फैसला लिया.

  1. सीनियर आईएएस बीएल अग्रवाल की गिरफ्तारी

प्रदेश की नौकरशाही के इतिहास में 21 फरवरी को काले दिन के तौर पर याद किया जाता रहेगा. जब सीबीआई ने 1988 बैच के आईएएस अफसर बीएल अग्रवाल को गिरफ्तार किया. अग्रवाल प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा के पद पर कार्यरत थे. वो अपने खिलाफ चल रही सीबीआई जांच को मैनेज कराने के लिए भगवान सिंह नाम के व्यक्ति को 1.5 करोड़ रूपये की रिश्वत दे रहे थे. भगवान सिंह ने खुद को पीएमओ में काम करने वाले एक व्यक्ति का खास बताते हुए अग्रवाल से मामला ‘सेटल’ करा देने की बात कही थी. अग्रवाल ने पूरी नौकरशाही के माथे पर साल की शुरुआत में ही जो कालिख पोती उसका असर लंबे समय तक नौकरशाही के दिलो दिमाग पर कायम रहेगा.

  1. 12 सीआरपीएफ जवानों की हत्या, घटना से दुखी राजनाथ ने नहीं मनाई होली

राज्य के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के भेज्जी पुलिस स्टेशन के कोटाचेरु गांव में नक्सलियों ने उस वक्त 112 सीआरपीएफ जवानों पर हमला कर दिया जब सुबह के वक्त वे घनों जंगलों में कांबिंग कर रहे थे. दक्षिण बस्तर का भेज्जी इलाका नक्सली हमलों के लिए कुख्यात माना जाता है. नक्सलियों के इस कायराना हमले में सीआरपीएफ के 12 जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी. इतना ही नहीं नक्सली उनके हथियार औऱ रेडियो सेट भी लूट ले गए. मुख्यमंत्री रमन सिंह ने घटना की तीखी निंदा करते हुए इसे नक्सलियों की कायराना हरकत करार दिया वहीं घटना ने पूरे देश में नक्सलियों के खिलाफ गुस्सा भर दिया क्योंकि मारे गए जवान देश के विभिन्न प्रांतों से थे. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने घटना के विरोध में होली नहीं मनाई. राजनाथ ने सभी शहीद जवानों के परिजनों को एक करोड़ रूपये देने की भी घोषणा की.

  1. साहसी न्यूज एंकर ने जीता सबका दिल

शहर के एक न्यूज चैनल की एंकर ने उस समय इतिहास रच दिया जब टीवी पर समाचार पढ़ने के दौरान उन्हें अपने पति की मौत की खबर पढ़नी पड़ी. न्यूज एंकर ने बिना अपने चेहरे पर शिकन लाए एक पत्रकार का फर्ज निभाया और अपने पति की मौत की खबर पढ़ी. एंकर के इस बेहद साहस भरे काम की तारीफ न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी हुई.

  1. नक्सलियों ने ली 25 सीआरपीएफ जवानों की जान, सरकार की चूलें हिली

2010 के बाद हुए सबसे भीषण हमले में नक्सलियों ने घात लगाकर सुकमा जिले के बुर्कापाल गांव में 25 सीआरपीएफ जवानों की हत्या कर दी. नक्सलियों की इस हरकत ने 25 अप्रैल को 25 सीआरपीएफ जवानों की जान ले ली. करीब 300 गुरिल्ला माओवादियों ने सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन को निशाना बनाकर घटना को अंजाम दिया. घटना ने राज्य सरकार के साथ साथ केंद्र सरकार के माथे पर भी शिकन ला दी. प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने न सिर्फ घटना की कड़ी निंदा की बल्कि सरकार ने इस घटना के बाद नक्सलियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. केंद्र ने नक्सलियों पर नकेल कसने के लिए वायु सेना के हेलीकाप्टरों को इलाके में तैनात कर दिया. सरकार ने नक्सलियों से बदला लेते हुए महीने भर के भीतर 15 नक्सलियों को मार गिराया और दर्जनों नक्सलियों को सरेंडर करने पर मजबूर कर दिया.

  1. होनहार बेटी ने देश में ऊंचा किया राज्य का नाम

दंतेवाड़ा का नाम हमेशा बुरी वजहों से ही देश के सामने आता रहा है. इस बार लोग दंतेवाड़ा को नक्सलियों के कारण नहीं बल्कि नम्रता जैन की वजह से जानने लगे. जून 2017 में देश की सबसे प्रतिष्ठित यूपीएससी परीक्षा के रिजल्ट घोषित किए गए जिसमें नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा की नम्रता जैन ने अपना परचम लहरा दिया. भिलाई इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी की छात्रा रही नम्रता ने 99वीं रैंक हासिल कर राज्य के लोगों को गर्व करने का मौका दिया. मुख्यमंत्री रमन सिंह ने जहां नम्रता को खुद ट्वीट कर बधाई दी वहीं उनकी इस सफलता ने राज्य के युवाओं को देश की सबसे कठिन परीक्षा में बैठने के लिए प्रोत्साहित करने का काम किया. नम्रता ने सफलता हासिल करने के बाद कहा कि मैंने नक्सलवाद का दंश झेला है और मैं इसे जड़ से खत्म करना चाहती हूं.

  1. वोटरों को साधने छत्तीसगढ़ पहुंचे अमित शाह

राज्य में अगले साल होने वाले चुनावों को लेकर भाजपा कोई कोर कसर रखने के मूड में नहीं है. यही वजह रही कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तीन दिन के तूफानी दौरे पर छत्तीसगढ़ पहुंचे. शाह ने न केवल पार्टी के एमपी, एमएलए और कार्यकर्ताओं के पेंच कसे बल्कि एससी और एसटी वोटर्स को रिझाने का भी मौका नहीं चूके. शाह ने सतनामी संत गुरू घासीदास जी के जन्म स्थान गिरौधपुरी जाकर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए. शाह का ये कदम राज्य के अनुसूचित जाति के 12 फीसदी वोटरों को लुभाने का एक प्रयास माना जा रहा है. माना जा रहा है कि ये वर्ग कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक है. शाह उसमे सेंध लगाने की कोशिशों में जुटे हैं. शाह ने ताबड़तोड़ 16 मीटिंग करके न सिर्फ कार्यकर्ताओं के पेंच कसे बल्कि राज्य के टाप लेवल के नेताओं को भी संदेश दिया कि छत्तीसगढ़ में सत्ता वापसी उनकी प्राथमिकता में है.

  1. साय की सादगी की दुनिया हुई कायल

वरिष्ठ भाजपा नेता और जाने माने आदिवासी नेता नंदकुमार साय की खेतों में हल चलाते फोटो मीडिया में क्या छपी. लोगों ने साय की सादगी को हाथोहाथ लिया. कई बार विधायक व सांसद रहे साय फिलहाल राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष हैं. जसपुर जिले के अपने पैतृक गांव बघोरा में कंधे पर गमछा डाले बेहद साधारण वेशभूषा में बैलों से खेत जोतते साय की फोटो इस कदर इंटरनेट पर वायरल हुई कि उनकी सादगी की हर तरफ चर्चा होने लगी. साय साल के इंटरनेट सेंसेशन रहे.

  1. शाह के बाद राहुल ने भी पकड़ी छत्तीसगढ़ की फ्लाइट

अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ने कमर कस ली. अमित शाह ने जहां तीन दिनी दौरा कर भाजपा नेताओं के पेंच कस दिए वहीं कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी भी इस मामले में पीछे नहीं रहने वाले थे. 28 जुलाई को दो दिन के दौरे पर राहुल राजधानी रायपुर पहुंचे और कार्यकर्ताओं में जोश भरा. नक्सलियों के गढ़ में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए राहुल ने बस्तर के जगदलपुर में बकायदा जनअधिकार रैली कर संदेश दिया कि वो नक्सलियों से नहीं डरते हैं और नक्सल प्रभावित इलाकों में भी कांग्रेस जोर-शोर से चुनाव लड़ेगी.

  1. जवानों की करतूतों से शर्मसार हुआ प्रदेश

अगस्त में पड़ने वाला रक्षाबंधन का त्यौहार राज्य के माथे पर ऐसा कलंक लगा गया जिसे कोई भी याद करना नहीं चाहेगा. रक्षाबंधन के मौके पर दांतेवाड़ा के पालनार के एक स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में सीआरपीएफ जवानों पर स्कूली छात्राओं ने आरोप लगाया कि स्कूल के टायलेट में जवानों ने उनके साथ छेड़छाड़ व अभद्रता की. घटना की विस्तृत जांच भी कराई गई जिसमें संलिप्त जवानों को बाद में गिरफ्तार किया गया लेकिन घटना ने राज्य में मौजूद केंद्रीय सुरक्षा बलों के माथे पर ऐसा कलंक लगा दिया जिसे धोना उनके लिए आसान नहीं होगा.

  1. लगभग 1000 गायों की मौत ने गौरक्षा के नाम पर चल रहे धंधे की खोली पोल, गरमाया सियासी तापमान

दुर्ग में भाजपा नेता हरीश वर्मा द्वारा चलाई जा रही गौशाला में हुई 200 गायों की मौत ने गौसेवा के नाम पर चल रहे गोरखधंधे की पोल खोल दी. इसके अलावा राज्य के विभिन्न जिलों में ऐसे मामले सामने आए जिसमें कथित गौशालाओं में गायों की मौत की खबरें सामने आती रही. दुर्ग, बेमेतरा और धमतरी में प्रमुख रूप से गायों की मौत के मामले सामने आये. इन मामलों के सामने आते ही प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने जहां सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया वहीं भाजपा नेताओं के सामने इस मुद्दे पर चेहरा बचाना मुश्किल हो गया. गायों की मौत ने राज्य के राजनीतिक तापमान को एकाएक गर्मा दिया.

  1. दस दिन में दस हजार टायलेट बनाकर स्थापित किया कीर्तिमान

अपनी तरह के अनूठे कीर्तिमान में रायपुर जिले के अभनपुर ब्लाक में स्वच्छ भारत मिशन के तहत ब्लाक में मात्र दस दिन में दस हजार टायलेट का निर्माण कर रिकार्ड बनाया. सात सितंबर से शुरू हुए निर्माण कार्य के दस दिनों के भीतर ही दस हजार टायलेट बना दिए गए. खास बात ये रही कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी इनके निर्माण कार्य में श्रमदान किया. अब पूरा अभनपुर ब्लाक औऱ इसके अंतर्गत आने वाली 91 ग्राम पंचायतें खुले में शौच मुक्त क्षेत्र घोषित कर दिए गए हैं. निसंदेह राज्य की ये उपलब्धि इसके हर एक नागरिक के लिए गौरव का विषय है.

  1. भाजपा सांसद की गंदी जुबान ने कराई किरकिरी

नेताओं के बयान अक्सर उनकी सोच को दर्शा ही देते हैं. कोरबा में 2 अक्टूबर को आयोजित कुश्ती प्रतियोगिता में भाजपा सांसद बंशीलाल महतो के शर्मनाक बयान ने पूरी दुनिया में राज्य के लोगों का सर नीचा कर दिया. समारोह में दिए भाषण के दौरान महतो ने कहा कि कोरबा की टुरी और छत्तीसगढ़ की लड़कियां टनाटन हो गई हैं. सांसद महोदय के इस घटिया बयान के वायरल होते ही विपक्ष ने भाजपा पर हमले करने शुरू कर दिए. कई महिला संगठनों ने भी इस बयान पर गहरी आपत्ति जताई और पूरे देश में सांसद के बयान की आलोचना की गई.

  1. सेक्स सीडी, पत्रकार की गिरफ्तारी पर पूरे देश में बवाल

अक्टूबर की हल्की सर्दी में हुई एक घटना ने देश के राजनीतिक गलियारों में गर्मी पैदा कर दी. राज्य के ताकतवर मंत्री राजेश मूणत को कथित तौर पर एक सेक्स सीडी में शामिल होने का वीडियो वायरल होता है. मंत्री की शिकायत पर पुलिस जांच करती है. गाजियाबाद से बीबीसी के पूर्व पत्रकार रहे विनोद वर्मा को पुलिस गिरफ्तार करती है. इसके लपेटे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल भी आ जाते हैं. मामला राजनीतिक रंग ले लेता है. मीडियाकर्मी से जुड़ा मामला होने के चलते दिल्ली तक में मामले की गूंज उठती है. पूरे देश में इस गिरफ्तारी के विरोध में बवाल होता है और फिलहाल साल जाते-जाते विनोद वर्मा को जमानत मिल जाती है. मामले की जांच सीबीआई कर रही है. देखना है अगले साल इस मामले में कोई नया खुलासा होता है या फिर ये भी दूसरी खबरों की तरह समय बीतने के साथ दम तोड़ देता है.

  1. एक ही नंबर की 19 पजेरो ने खड़े किए रमन पर सवाल

साल जाते-जाते मुख्यमंत्री रमन सिंह ऐसे बवाल में फंसते नजर आए जिसने उनकी अच्छी खासी किरकिरी कराई. अपने चौथे टर्म की उम्मीद लगाए बैठे रमन सिंह ने हाल ही 19 मित्सुबिशी पजेरो खरीदी. इस खरीद में ऐसा कुछ नहीं था जिसपर उंगली उठती लेकिन इन गाड़ियों को अलाट किए गए रजिस्ट्रेशन नंबर पर बवाल शुरू हो गया. रमन के आलोचकों का कहना है कि 19 का कुल योग 1 होता है. संख्या 1 जीत का निशान है और इसीलिए जान बूझकर 19 पजेरो की खरीद का आर्डर दिया गया. चूंकि मुख्यमंत्री अपने चौथे टर्म की उम्मीद कर रहे हैं इसलिए उन्होंने जानबूझकर गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन नंबर 4 आवंटित करने के आदेश दिए. रमन ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया लेकिन इस आरोप के बाद सीएम विपक्षियों के निशाने पर एक बार फिर आ गए.

  1. बतौर चीफ मिनिस्टर रमन ने पूरे किए 14 साल

7 दिसंबर 2003 को सत्ता संभालने के बाद रमन ने लगातार सीएम के पद पर 14 साल पूरे किए. अभिभूत रमन ने जनता का शुक्रिया करते हुए और भी मेहनत से काम करने का वादा राज्य की जनता से किया. अब रमन की नजरें अपने चौथे टर्म पर हैं. देखते हैं बतौर सीएम रमन सिंह चौथी पारी की शुरुआत कर पाते हैं या नहीं.

  1. सीआरपीएफ जवान ने की अपने साथियों की हत्या  

नक्सली इलाकों में तैनात केंद्रीय सुरक्षा बलों के सिर पर तनाव किस कदर हावी है. इसका नमूना उस वक्त देखने को मिला जब बीजापुर के सीआरपीएफ कैंप में तैनात जवान ने मामूली कहासुनी के बाद अपने ही चार साथियों की हत्या कर दी. इस घटना में पांच जवान गंभीर रूप से घायल हो गए. घटना के बाद इस बात पर चर्चा शुरू हो गई कि नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात जवानों को भी आराम देने और तनावमुक्त माहौल देने का समय आ गया है. राज्य में अपने किस्म की इस तरह की पहली घटना ने सरकारी मशीनरी को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि जवानों को तनावमुक्त माहौल कैसे प्रदान किया जाय.

  1. राज्य के इस गांव ने आजादी के बाद पहली बार देखी बिजली, पीएम हुए भावुक

आजादी के बाद पहली बार राज्य के बलरामपुर जिले के सुदूर स्थित जोकापाट गांव ने बिजली देखी. आजादी के बाद 71 सालों से बिजली की राह देख रहा ये गांव अभी तक इलेक्ट्रिसिटी से महरूम था. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना ‘ प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना’ ‘सौभाग्य’ के तहत इस गांव को रौशन किया गया है. जोकापाट गांव के सरपंच ने कहा आखिरकार हमारे गांव में भी बिजली आ गई. अब हमारे बच्चे भी जीवन में तरक्की कर सकेंगे और बेहतर तरीके से पढ़ाई कर सकेंगे. प्रधानमंत्री मोदी ने बेहद भावुक होते हुए कहा कि मैं इस गांव को बिजली मिलने पर बहुत खुश हूं, ये मेरे लिए बेहद भावुक क्षण है.

  1. शिक्षाकर्मियों की हड़ताल और रहस्यमय तरीके से हड़ताल खत्म करने की घोषणा

नवंबर के आखिरी में सभी ब्लॉक में शिक्षाकर्मियों ने हड़ताल शुरु कर दी. मुख्य मांगों में संविलियन और सातवां वेतनमान था. 2 दिसबंर से शिक्षाकर्मियों ने रायपुर में हड़ताल की घोषणा की. इसे देखते हुए शासन ने पहल की. बातचीत के लिए शिक्षाकर्मी नेताओं को बुलाया लेकिन सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया. इसके बाद 1 दिसंबर को जब शिक्षाकर्मी नेता हड़ताल की अनुमति मांगने गए तो रायपुर प्रशासन ने उन्हें अनुमति नहीं दी. कई शिक्षाकर्मी नेता गिरफ्ता हो गए. जो बचे वो अंडरग्राउंड हो गए. इसके बाद भी 3 दिन हड़ताल चली. कांग्रेस ने 5 दिसंबर को प्रदेश बंद का ऐलान कर दिया. लेकिन अचानक 4 दिसंबर की रात शिक्षाकर्मी नेता रायपुर जेल पहुंच गए और हड़ताल खत्म करने का बिना शर्त ऐलान कर दिया गया.

  1. धान के समर्थन मूल्य में बोनस की घोषणा से किसानों का जीता दिल

लंबे अरसे से प्रदेश के किसान धान का समर्थन मूल्य बढ़ाए जाने की मांग कर रहे थे. ये ऐसा मुद्दा था जिस पर विपक्ष सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा था. मुख्यमंत्री रमन सिंह ने सिर्फ एक घोषणा करके किसानों को राहत देने के साथ उनके हितैषी होने का भी संदेश दे दिया. सरकार ने किसानों को धान के समर्थन मूल्य में 300 रूपये प्रति क्विंटल के बोनस की घोषणा की. इससे राज्य के 13 लाख किसान लाभान्वित हुए. इससे सरकार के खजाने पर 2100 करोड़ रूपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा लेकिन भारतीय जनता पार्टी आगामी चुनावों में इसे अपने पक्ष में भुनाने में जुट गई. मुख्यमंत्री के इस फैसले से विपक्ष द्वारा उन पर लगाए जा रहे किसान विरोधी सरकार का टैग हटाने में मदद मिली वहीं रमन के मास्टर स्ट्रोक से विपक्ष चारों खाने चित होता नजर आया.