भारत सरकार के इंवेस्टिगेशन ट्रैकिंग सिस्टम फॉर सेक्सुअल अफेंस (आईटीएसएसओ) की जून महीने की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश ने केंद्र शासित राज्यों को छोड़कर बड़े राज्यों में महिला संबंधी यौन उत्पीड़न के मामलों के निपटारे में प्रथम स्थान प्राप्त किया है. वहीं योगी सरकार यौन उत्पीड़न संबंधी मामलों के काॅम्प्लाएंस रेश्यो में भी बड़े राज्याें में पहला स्थान प्राप्त किया है. इसके साथ ही पूरे देश में उत्तर प्रदेश में यौन उत्पीड़न संबंधी मामलों में पेंडेंसी सबसे कम है. ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों के यौन उत्पीड़न संबंधी मामलों की पेंडेंसी को जीरो करने के निर्देश दिये हैं. बता दें कि योगी सरकार पिछले कई वर्षों से महिला संबंधी अपराधों के डिस्पोजल रेट, कंप्लायंस रेट में पहले स्थान पर बना हुआ है.
यूपी देश भर के राज्यों में महिला संबंधी अपराधों के निस्तारण में अव्वल, 98.60 प्रतिशत मामले किये निस्तारित
महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन की नोडल पद्मजा चौहान ने बताया कि बेटियों और महिलाओं की सुरक्षा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकताओं में शामिल है. इसी का नतीजा है कि भारत सरकार के इंवेस्टिगेशन ट्रैकिंग सिस्टम फॉर सेक्सुअल अफेंस (आईटीएसएसओ) की 21 अप्रैल 2018 से 3 जून-2025 तक की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश महिलाओं और बच्चियों से संबंधित अपराधों के निस्तारण में देश भर के राज्यों में पहले स्थान पर है. प्रदेश का निस्तारण रेश्यो 98.60 प्रतिशत है. इस दौरान उत्तर प्रदेश में कुल 1,22,130 एफआईआर दर्ज की गई. वहीं केंद्र शासित राज्यों में दादरा और नगर हवेली व दमन एवं दीव 98.80 प्रतिशत के साथ पहले स्थान पर है.
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देश के बड़े राज्यों की बात करें तो महिलाओं और बच्चियों से संबंधित अपराधों के निस्तारण में उत्तर प्रदेश पहले, दिल्ली 97.60 प्रतिशत के साथ दूसरे और हरियाणा 97.20 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर है. जबकि वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश इस रैंकिंग में सातवें स्थान पर था. उस समय मामलों के निस्तारण की दर 95 प्रतिशत थी. इसी तरह कंप्लायंस रेट (60 दिन के अंदर चार्जशीट दाखिल करने की दर) में गोवा 88.50 प्रतिशत के साथ पहले, दादरा और नगर हवेली व दमन एवं दीव 88.30 प्रतिशत के साथ दूसरे और उत्तर प्रदेश 80.60 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर है. वहीं अगर बड़े राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश 80.60 प्रतिशत के साथ पहले, उत्तराखंड 80 प्रतिशत के साथ दूसरे और मध्य प्रदेश 77 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर है जबकि वर्ष 2018 में प्रदेश इस रैंकिंग में दसवें स्थान पर था.
नोडल पद्मजा चौहान ने बताया कि उत्तर प्रदेश का पेंडेंसी रेट (लंबित मामलों का अनुपात) केवल 0.20 प्रतिशत है, जो इसे देश में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला राज्य बनाता है. वहीं मणिपुर, तमिलनाडु और बिहार का पेंडेंसी रेट काफी अधिक (मणिपुर: 65.7 प्रतिशत, तमिलनाडु: 58.0 प्रतिशत और बिहार 34.5 प्रतिशत) है. जबकि वर्ष 2018 में इस रैंकिंग में प्रदेश सातवें स्थान पर था. यह उपलब्धि योगी सरकार की नेतृत्व क्षमता और महिला सुरक्षा के प्रति सख्त नीति को दर्शाती है. नोडल ने बताया कि महिला संबंधी मामलों के निस्तारण के लिए डब्ल्यूसीएसओ (वूमेन एंड चाइल्ड सेफ्टी आर्गेनाइजेशन) द्वारा हर महीने केसों की समीक्षा की जाती है.
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इसके साथ जिलों और कमिश्नरेट स्तर पर एएसपी रैंक के अधिकारी द्वारा पॉक्सो मामलों की कड़ी निगरानी, लंबित मामलों पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए नियमित फॉलोअप, दो महीने से ज्यादा लंबित केस वाले आईओ को मुख्यालय बुलाकर व्यक्तिगत समीक्षा, आईओ के लिए नियमित ट्रेनिंग और कानूनी कार्यशालाओं का आयोजन, समय पर जांच पूरी करने वाले अधिकारियों को प्रशंसा पत्र और लापरवाही बरतने वाले आईओ के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाती है. इसी का नतीजा है कि आज इसके परिणाम हम सबके सामने हैं.
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