वाशिंगटन। भारत से अलग होकर मुल्क बने पाकिस्तान को 75 साल हो चुके हैं, कई पीढ़ियां आई और चली गईं, लेकिन पाकिस्तानियों की भारत को लेकर सनक का नमूना कहीं और नहीं बल्कि अमेरिका तक में देखने का यदा-कदा मिल जाता है, जहां विदेश विभाग के प्रवक्ता से भारत से जुड़े मुद्दों पर सवाल पूछकर अपनी खीज निकालते रहते हैं. ताजा सवाल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कांवर यात्रा के दौरान दुकानों में मालिकों को नाम लिखने के फरमान को लेकर पूछा गया.

पाकिस्तान के एक पत्रकार ने नेम प्लेट मुद्दे का जिक्र अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर के सामने किया और कहा कि इस पर अमेरिका का रुख क्या है, अमेरिका इस फैसले पर क्या सोचता है.

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा, ‘हमने कुछ रिपोर्ट देखी है. सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई को उन नियमों के लागू होने पर रोक लगा दी है. वे अब प्रभावी नहीं हैं. हम दुनिया में कहीं भी सभी के लिए धर्म और आस्था की स्वतंत्रता के अधिकार के लिए सार्वभौमिक सम्मान को बढ़ावा देने और उसकी रक्षा करने के लिए हमेशा प्रतिबद्ध हैं. हमने सभी धर्मों के सदस्यों के लिए समान व्यवहार के महत्व पर अपने भारतीय समकक्षों के साथ बातचीत की है.’

क्या था योगी सरकार का आदेश?

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने आदेश जारी किया था कि कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाली खाने-पीने की सभी दुकानों पर नेम प्लेट लगाना अनिवार्य होगा. इस आदेश को लोगों ने धार्मिक चश्मे से देखा और विरोध करना शुरू कर दिया. विपक्ष ने कहा कि इस फैसले की वजह से लोगों में सामाजिक भेदभाव बढ़ेगा और एक खास वर्ग से लोग सामान नहीं खरीदेंगे. विपक्ष ने इस फैसले पर हंगामा किया, जबकि आदेश के तत्काल बाद दुकानदारों ने बोर्ड लगा लिए थे.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया था फैसला?

योगी सरकार के इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने इसी सप्ताह रोक लगा दी थी. यूपी, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नेम प्लेट लगाने की कोई जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दुकानों पर इस बात का जिक्र जरूर हो कि वे किस तरह का खाना परोस रहे हैं.