रायपुर. Shattila Ekadashi 2022 इस बार यह 28 जनवरी को पड़ने वाली है. माघ कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि Shattila Ekadashi कहलाती है. मान्यता है कि इस दिन विधि पूर्वक स्नान, दान और तर्पण करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. पुराणों में इस एकादशी का खास महत्व बताया गया है.

इन सबके अलावा इस दिन 6 प्रकार से तिल का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में जानते हैं कि षट्तिला एकादशी पर तिल का प्रयोग छह प्रकार से कैसे करें?

तिल के प्रयोग-1

तिल के पहले पहले प्रयोग में सबसे पहले जल में तिल मिला लें. इसके बाद इस जल से स्नान करें. स्नान करते वक्त ओम् नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र बोलें. इसके बाद पीले कपड़े पहनकर सूर्य को जल अर्पित करें. ऐसा करने से जीवन दुर्भाग्य दूर होता है. साथ ही सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

तिल के प्रयोग-2

वैसे तो षट्तिला एकादशी के दिन व्रत रखना अच्छा माना गया है. लेकिन जो लोग व्रत नहीं रख सकते हैं, उन्हें भी तिल के तेल से मालिश करना चाहिए. इससे रोग दूर होते हैं. साथ ही त्वचा रोग और थकावट आदि की समस्या दूर होती है.

तिल के प्रयोग-3

षट्तिला एकादशी पर तिल से हवन करना अत्यंत लाभकारी माना गया है. इसके लिए तिल को गाय के घी में तिल मिला लें. इसके बाद ओम् नमो भगवते वासुदेवाय नमः इस मंत्र का उच्चारण करते हुए हवन करें. इसके अलावा अगर कनकधारा स्तोत्र या श्रीसूक्त का पाठ करते हुए हवन करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है. साथ ही जीवन से दरिद्रता का नाश होता है.

तिल के प्रयोग-4

एकादशी के दिन तिल मिश्रित जल का सेवन करना अच्छा होता है. इसके लिए पीन योग्य पानी में तिल मिलाकर उसे पूरे दिन पीएं. इससे कई रोग दूर होते हैं. इसके अलावा दक्षिण दिशा में मुंह करके पितरों के निमित्त तर्पण भी कर सकते हैं. ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है.

तिल के प्रयोग-5

एकादशी के दिन तिल के दान का विशेष महत्व है. महाभारत के मुतबिक जो व्यक्ति षट्तिला एकादशी पर तिल का दान करता है, वह नरक का कष्ट भोगने से बच जाता है. इसके अलावा इस दिन तिल के व्यंजनों का दान भी शुभ है.

तिल के प्रयोग-6

षट्तिला एकादशी के दिन व्रती या जो व्रत नहीं रखते हैं, उन्हें तिल से बने व्यंजनों का सेवन जरूर करना चाहिए. इसके अलावा इन दिन शाम के वक्त तिल के व्यंजन बनाकर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु को भोग लगाएं.