जितेन्द्र सिन्हा, गरियाबंद। रोजी-मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले परिवार के सामने मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है. सड़क हादसे में रीढ़ की हड्डी में चोट लगने से तीन सालों से जवान बेटा चारपाई पर पड़ा हुआ है. उसके इलाज में माता-पिता कर्ज में डूब चुके हैं. थकहार कर परिवार बेबस व लाचार परिजनों ने शासन-प्रशासन से मदद की बाट जोह रहा है.

जिले के ग्राम बोइरगांव निवासी 27 वर्षीय जीवन दास मानिकपुरी 17 फरवरी 2019 को जीवन दास मानिकपुरी अपने घरेलू काम निपटा कर छुरा कंसिघि से आ रहे था. उक्त दरमियान देर शाम सेमहरा के पास अज्ञात वाहन के चपेट में लेने से युवक की रीढ़ टूट गई. घटना के बाद सरकारी व प्रायवेट अस्पतालों में इलाज कर एक मोटी रकम खत्म करने के बाद भी हालत में सुधार नहीं होने पर युवक की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है.

रीड़ की हड्डी में चोट लगने से कमर के निचले हिस्से का कोई भी शरीर काम नहीं करने से जीवन चल फिर नहीं सकता, जिसके चलते घर में मां या फिर उनकी पिता नहाने से लेकर शौच तक उठाने का काम करते हैं. जीवन के शरीर में कोई हलचल नहीं होने से परिजनों द्वारा उठाकर एयर बेग वाली बिस्तर में लिटाया जाता है, जो बिजली से चलती रहती है. जरा सी बिजली बंद हुई कि बिस्तर में एयर की कमी होने से शरीर में इंफैक्शन होने लगता है.

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कमर के निचला हिस्सा काम नहीं करने से परिजनों ने शासन-प्रशासन से ट्रायसिकल की मांग को लेकर लिखित में आवेदन दिए थे. बावजूद आज तक उन्हें योजना का लाभ नही मिला. आखिरकार थकहार परिजनों ने खुद ट्रायसिकल खरीदी, लेकिन वह भी अब जवाब देने लगा है. जवान बेटे के इलाज में जमा पूंजी व कर्ज लेकर इलाज करा थकहार कर परिवार बेबस व लाचार परिजनों ने शासन-प्रशासन से मदद की बाट जोह रहा है.

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