सुधीर दंडोतिया, भोपाल। जिस तरह शरीर में मन, बुद्धि और आत्मा होती है, उसी प्रकार समाज का भी मन, बुद्धि और आत्मा होती है। जिसके कारण भारत एक जीता जागता राष्ट्र पुरुष है। यह विचार साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दुबे ने व्यक्त किया है। उन्होंने वनवासी कल्याण आश्रम के सभागार में युवा संवाद कार्यक्रम के अंतर्गत ‘भारत– कल, आज और कल’ विषय पर युवाओं से संवाद किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भोपाल विभाग के संघचालक सोमकांत उमालकर ने की।

डॉ. दुबे ने कहा कि इस राष्ट्र का कल कैसा था, इस राष्ट्र का आज कैसा है और आने वाला कल कैसा होना चाहिए। यह इस बात से तय होता है कि हम कैसा राष्ट्र बनाना चाहते हैं। हम सब मिलकर जैसा समाज–देश बनाएंगे, वैसा ही हमारे राष्ट्र का भविष्य होगा। उन्होंने कहा कि हमें बचपन से पुस्तकों में पढ़ाया गया कि वर्षों तक अकबर का राज, जहांगीर का राज और बाबर का राज रहा। उसके बाद लगभग 200 साल तक अंग्रेजों का राज भारत पर रहा। यानी कि देश हमेशा से बाह्य सत्ताओं के द्वारा गुलाम बनाया जाता रहा है। लेकिन क्या यही शिक्षा है, क्या सच में यह भारत का इतिहास है? यह भारत का इतिहास नहीं है।

भारत का इतिहास बहुत समृद्ध है। दुनिया के सभी देश अपना जन्मदिवस मनाते हैं, लेकिन भारत का जन्मदिवस कब आता है, यह किसी को नहीं पता। क्योंकि भारत पुरातन राष्ट्र है। उन्होंने प्रश्न उठाया कि कुछ लोगों का कहना है कि भारत का जन्म 15 अगस्त को हुआ है, लेकिन फिर वह भारत कौन–सा था, जिसमें श्रीराम का जन्म हुआ। जहां वराहमिहिर और महर्षि वाल्मीकि ने जन्म लिया।

डॉ. विकास ने अपने उद्बोधन में भारत की संकल्पना को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि भारत सनातन राष्ट्र है, जो देव निर्मित और प्रकृति निर्मित है। आज के भारत के संदर्भ में उन्होंने कहा कि आज हमारा देश तेजी से विकास करनेवाले देशों में प्रमुख है। वैश्विक पटल पर भारत की धमक बढ़ गई है। सभी क्षेत्रों में भारत की उपलब्धियों ने भारत के प्रति देखने के दुनिया के दृष्टिकोण को बदल दिया है। इस अवसर पर उन्होंने युवाओं के प्रश्नों का उत्तर भी दिया।

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