रायपुर। एक अनूठी और अभिनव पहल के तहत, यूनिसेफ द्वारा  बस्तर जिला प्रशासन के साथ मिलकर 6,000 युवा स्वयंसेवकों का एक कैडर बनाया जाएगा।  यह कैडर COVID महामारी के खिलाफ जंग में और लोगों में इस महामारी के प्रति जागरूकता लाने में अहम् भूमिका निभाएगा।

यह अनूठी पहल ‘युवोदय के रूप में जानी जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य युवाओं और किशोरों की शक्ति और क्षमता को सही दिशा दिशा देते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी कार्यक्रमों का समर्थन करना हैं, जिससे आजीविका, स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, स्वच्छता और कृषि जैसे क्षेत्रों में बड़ा सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। स्वयंसेवक स्वास्थ्यवर्धक व्यवहार को बढ़ावा देंगे, परिवारों में COVID की रोकथाम के बारे में जागरूकता पैदा करेंगे और यह भी सुनिश्चित करेंगे की छात्रों को समुदाय-स्तर पर प्रतिदिन 1-2 घंटे के लिए सीखने की सुविधा मिले।  बच्चों का सम्पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित करने में और एनीमिया की रोकथाम हेतु महिलाओं और बच्चों को आयरन टेबलेट की खुराक देने के कार्य में भी  ‘युवोदय’ स्वयंसेवक  फ्रंट लाइन कार्यकर्ताओं की मदद करेंगे। इसके अलावा, स्वयंसेवक सर्वेक्षण करने और सरकारी कार्यक्रमों की निगरानी करने में भी मदद करेंगे। स्वयंसेवकों द्वारा गाँवों में ” ग्राम सूचना केंद्र” संचालित कर ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं के प्रति जागरूक किया जाना भी प्रस्तावित है।

छत्तीसगढ़ के माओवादी-प्रभावित बस्तर जिले के हर गाँव, हर वार्ड और हर बस्ती में युवोदय कार्यक्रम के तहत 5-10 स्वयंसेवक मौजूद होंगे, जो शिक्षक, मितानिन और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं जैसे फ्रंट लाइन वर्कर्स की सहायता करेंगे। ये वालंटियर्स नेहरू युवा केंद्र के स्पोर्ट्स क्लब सदस्यों, राष्ट्रीय सेवा योजना (एन एस एस ) के कैडेट्स, स्व-सहायता समूहों के युवा सदस्यों और अन्य समूहों में से चयनित किये जाएंगे। बस्तर जिले में लगभग 3000 ‘सीख मित्र’ पहले से ही मौजूद हैं, जो समुदाय के छात्रों की सीखने की प्रक्रिया जारी रखने हेतु कार्यरत हैं।

यूनिसेफ और बस्तर जिला प्रशासन द्वारा 23 सितम्बर को जगदलपुर में एक MoU (समझौता ज्ञापन) हस्ताक्षरित किया जाएगा। इस MoU की अवधि दो वर्ष की होगी। युवोदय कार्यक्रम का अपना एक प्रतीक चिन्ह और थीम गीत होगा, साथ ही वालंटियर्स को यूनिफार्म भी प्रदान की जाएगी।

युवोदयएक ज़रूरी पहल

यूनिसेफ छत्तीसगढ़  के चीफ जॉब ज़करिया का कहना है कि COVID के प्रतिकूल प्रभाव से पिछले 50 वर्षों में की गयी प्रगति शून्य हो सकती है, विशेष रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और बच्चों के संरक्षण के क्षेत्र में प्राप्त बढ़त समाप्त हो सकती है। । उन्होंने कहा कि – “हम बच्चों और कमज़ोर वर्ग के लोगों पर COVID के प्रतिकूल प्रभाव पड़ने नहीं दे सकते। युवा सामाजिक परिवर्तन के उत्प्रेरक हैं और इस संकट की घड़ी में उनकी ऊर्जा का उपयोग सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए किया जा सकता है ”।

यह कार्यक्रम वर्ष 1990 के समपूर्ण  साक्षरता अभियान (टीएलसी) की तर्ज पर तैयार किया गया है। जॉब ज़करिया कहते हैं कि जब स्तिथि गंभीर हो और बदलाव लाने की तत्परता हो, तब स्वयंसेवा ही सबसे बेहतर उपाय होता है। COVID महामारी ने ये दोनों ही कारण उत्पन्न कर दिए हैं, जिसके चलते युवोदय की पहल की गयी है।

स्वयंसेवकों के लिए भी लाभ

बस्तर जिले के जिला कलेक्टर रजत बंसल, आईएएस, का कहना है कि ‘युवोदय’ कार्यक्रम का संचालन  जिला प्रशासन के नेतृत्व में, यूनिसेफ, वालंटियर्स और गैर-सरकारी संगठनों की सहायता से किया जाएगा। युवोदय कार्यक्रम की निगरानी और मार्गदर्शन के लिए जिला, विकासखंड और ग्राम पंचायत स्तर पर नोडल  अधिकारी नियुक्त किये जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत स्वयंसेवकों को कौशल विकास  प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा। यह अनुभव उन्हें भविष्य में रोज़गार प्राप्त करने में भी मदद करेगा। इसके अलावा, सभी वालंटियर्स यानी स्वयंसेवकों को सामुदायिक सेवाओं के लिए प्रमाण पत्र भी प्रदान किये जाएंगे और उन्हें समुदाय में सम्मानित किया जाएगा।

830,000 की कुल आबादी और 70% आदिवासी जनसँख्या वाले बस्तर जिले में सामाजिक-आर्थिक सूचक काफी कम है।

यूनिसेफ के बारे में:

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