रायपुर. 30 वर्षीय युवक को कैंसर हो गया था. वे अपने सीने में 7 किलो वजनीय ट्यूमर का बोझ लेकर जिंदगी और मौत से लड़ रहा था. लेकिन अंबेडकर अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे नई जिंदगी दी, और सीमेंट से उसकी कृत्रिम पसलिया बनाई गई है.
पं. जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर से सम्बद्ध डाॅ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में 8 घंटे चली लंबी सर्जरी के बाद उस युवा मरीज के सीने से 7 किलो का ट्यूमर निकाला, जिसे डॉक्टर दुर्लभ ट्यूमर बता रहे है. चिकित्सकीय भाषा में इस ट्यूमर को कोंड्रोसारकोमा यानी उपास्थि (काॅर्टिलेज) का ट्यूमर कहा जाता है. काॅर्टिलेज (एक प्रकार की हड्डी) में होने वाला यह ट्यूमर दिल, फेफड़े और वक्षीय गुहा (डायफ्राॅम) को प्रभावित करते हुए इनकी दीवारों से चिपका हुआ था.
यह आॅपरेशन चिकित्सालय के चार विभागों के संयुक्त प्रयास से संभव हुआ है. इसमें प्रमुख सर्जन के तौर पर एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के काॅर्डियोथोरेसिक वैस्कुलर डाॅ. निशांत चंदेल के साथ डाॅ. के. के. साहू, प्लास्टिक सर्जन डाॅ. केएन ध्रुव और डाॅ. दयाल, रेडियोडाग्नोसिस विभाग के डाॅ. सी.डी. साहू के साथ एनेस्थिया विभाग के डाॅ. ओपी सुंदरानी शामिल हैं. सर्जरी के बाद मरीज अभी चिकित्सालय के क्रिटिकल केयर यूनिट में चिकित्सकों की देखरेख में भर्ती है. डॉक्टरों का दावा है कि महानगरों के बड़े अस्पतालों में होने वाले इस दुर्लभ व जटिल आॅपरेशन को एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में सफलतापूर्वक किया गया, जो अस्पताल के लिए बड़ी सफलता की बात है.
इस तरह किया गया आॅपरेशन
डॉक्टरों के मुताबिक मरीज का कैंसर काफी बढ़ गया था जिसके कारण मरीज की सबसे पहले कीमोथेरेपी की गई. इसके बाद इंटरवेंशन रेडियोलाॅजिस्ट डाॅ. सी. डी. साहू ने ट्यूमर में ब्लड सप्लाई बंद करने के लिये एंडोवैस्कुलर क्वालिंग प्रोसीजर डीएसए मशीन के माध्यम से किया. इस प्रोसीजर से ट्यूमर की वाॅस्कुलैरिटी कम हो गयी. इसके बाद काॅर्डियोथोरेसिक वैस्कुलर सर्जन डाॅ. निशांत चंदेल के नेतृत्व में छाती की पांच पसलियों को काटकर निकालते हुए अंदर तक चिपके हुए ट्यूमर को निकाला गया जो कि हृदय, फेफड़ों एवं पेट में स्प्लीन से चिपका हुआ था. इस ट्यूमर को सावधानी पूर्वक सभी अंगों को सुरक्षित रखते हुए निकाला गया. उसके बाद बोन सीमेंट (आर्टिफिशियल सीमेंट जिसका इस्तेमाल हड्डी जोड़ने के लिये किया जाता है के द्वारा) और ट्यूब के जरिये आर्टिफिशियल रिब्स यानी पसली बनाई गई.
इसमें छोटे रिब्स को मेटल प्लेट से और दो रिब्स को सीमेंट के जरिये बनाया गया. प्लास्टिक सर्जन डाॅ. के.एन ध्रुव और डाॅ. दयाल ने ट्यूमर को निकालने के बाद खाली हुए स्थान को पीठ और पेट के मसल के जरिये फ्लैप विधि से रीकंस्ट्रशनसर्जरी किया.