रायपुर- वन विभाग का एक ईमानदार-बहादुर अधिकारी था दौलत लदेर। वन माफियों के खिलाफ जंग में मारा गया। वर्दीधारी जवान होता, तो लिखा जाता शहीद हो गया। शहीद का दर्जा नहीं दे सकते, लेकिन उनकी मौत किसी शहादत से कम नहीं था। यही वजह है कि वन विभाग के 50 वर्ष पूर्ण होने के मौके पर राजधानी में आयोजित गौरवशाली आयोजन में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने दिवंगत दौलत लदेर की पत्नी पुष्पा को सम्मानित कर लदेर को सच्ची श्रद्धांजलि दी। वैसे मुख्यमंत्री दिवंगत दौलत के सम्मान में हर वर्ष बहादुर वनकर्मियों को पुरस्कृत करने की घोषणा पहले ही कर चुके हैं। इसी कड़ी में पहला पुरस्कार 1 लाख सम्मान राशि दौलत लदेर की पत्नी पुष्पा को दिया गया।
मुख्यमंत्री ने वन विभाग के 50 वर्ष पूर्ण आयोजित कार्यशाला में वन अधिकारियों को संबोधित भी किया। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों का नही पता, लेकिन छत्तीसगढ़ में मैं वन विभाग को सबसे बड़े फोर्स के तौर पर मानता हूं। 44 फीसदी वनों का संरक्षण और संधारण आसान नही है। डा.रमन सिंह ने कहा कि लदेर का बलिदान ये बताता है कि वन अधिकारी कर्तव्यपरायण के लिए जान की बाजी तक लगा देते हैं। उनके मृत्यु उपरांत उनके नाम से सम्मान की शुरुआत हुई है। ये एक सराहनीय पहल है। वन अधिकारियों के बीच पहुंचे डा.रमन सिंह ने कहा कि मैं बचपन मे सोचता था कि जहां बिजली नहीं, सड़क नही कोई बुनियादी सुविधा नही, आख़िर लोग वहां कैसे रहते हैं….लेकिन मैं जब मुख्यमंत्री बना तो इसका एहसास हुआ कि जीवन मे वन से बेहतर कोई जगह नही।
वृक्षारोपण को लेकर डा.रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में हम सालाना 8 करोड़ वृक्षारोपण का लक्ष्य रख रहे हैं। इतना ही लक्ष्य उत्तरप्रदेश, बिहार और मध्यप्रदेश का भी है। इतने वृक्ष लगाकर उसका संरक्षण कर ले तो ये बड़े जंगल की तरह हो जाएगा। उन्होंने वन अधिकारियों से पूछा कि क्या हमारे आधुनिक लैब में बेस्ट क्वालिटी का तेंदूपत्ता या दूसरे पेड़ लगा सकते हैं? टिश्यू कल्चर लैब में उच्च गुणवत्ता के पौधे तैयार कर सकते है? इस दिशा में सोचने की जरूरत है। डा.रमन सिंह ने कहा कि साल, सागौन और महुवा जैसे वृक्षों को जंगल मे रहने वाला कभी नही काटता। ये उनकी आमदनी का जरिया है। इसलिए अब नए रूप में जंगल को बेहतर कैसे कर सकते है? जंगल मे रहने वालों के लिए उसे उत्पादकता बढ़ाने वाला कैसे बना सकते हैं? इस पर काम करने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पृथ्वी का श्रृंगार वन है, वन्य प्राणी है।
डा.रमन सिंह ने कहा कि उनकी सुबह बहुत अच्छी होती है, क्योंकि सीएम हाउस में 40 प्रकार की चिड़िया है। सुबह चिड़ियों की चहचहाट से उनकी नींद खुलती है। शाम को उनकी चहचाहट इतनी होती है कि कोई बात नही कर सकता। ये बड़ा अच्छा लगता है। मेरे घर के भीतर जंगल जैसा महसूस होता है। डा.रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ के जंगलों में अब जानवर बढ़ रहे हैं। हाथी, भालू बढ़ गए है और इसका क्रेडिट मैं वन विभाग को देता हूँ। शेर तब आएगा जब जंगल मे हिरण आएगा। यदि जंगल मे घास लगा दे तो हिरण जैसे दूसरे जानवर आएंगे। जानवरों को बॉर्डर पार करने के लिए आधार कार्ड की जरूरत नही है। डा. रमन सिंह ने कार्य़शाला में मौजूद वन विभाग के ब्रांड एम्बेसडर अनिल कुम्बले की तारीफ करते हुए कहा कि कुंबले जितने अच्छे क्रिकेटर हैं उतने ही अच्छे फोटोग्राफर। जंगल मे यदि आप बंदूक लेकर जाएंगे तो कोई स्वागत नही करेगा और यदि कैमरा लेकर जाएंगे तो जंगल स्वागत करेगा।