धीरज दुबे. कोरबा. वर्षाकाल प्रारंभ होने के पूर्व शहर के प्रमुख नाले की सफाई करायी जाती है ताकि बारिश के दिनों में जल भराव की समस्या से निजात मिल सके। इस वर्ष भी निगम प्रशासन द्वारा ऐसा करने का दावा किया गया है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है, खासकर शारदा विहार, ईमलीडूग्गु की बजबजाती नाले। वहीं दूसरी ओर जिस नाले की पानी को जानवर पीने से परहेज करते हैं उससे निस्तारी करने यहां के रहवासी मजबूर हैं।
इसे जहर पीने की मजबूरी ही कहेंगे कि विषाक्त हो चुके नाले के पानी का उपयोग लोग नहाने के साथ पीने के लिए भी कर रहे हैं। शहरी क्षेत्र में पानी की किल्लत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सारे सरोवर सूख चुके हैं। नहर से कटकर कुछ पानी जब पथरीली चट्टानों के बीच जमता है तो भीषण गर्मी में यह भी गरीबों के लिए अमृत बन जाता है। तस्वीरों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि गंदे हो चुके पानी का उपयोग लोग नहाने के साथ पीने के लिए भी कर रहे हैं। शायद इससे बड़ी त्रासदी और क्या होगी कि कोरबा की माटी में जहां बड़ी नदियां बहती है और निगम प्रशासन के पास जल आपूर्ति का बेहतर संसाधन है इसके बावजूद यह दृश्य देखने को मिल रहा है।
शहर में प्रमुख चार नाले हैं जिसकी सफाई नहीं कराने की वजह से कई स्थलों पर जल भराव की समस्या काफी बढ़ जाएगी। खासकर शहर में रविशंकर नगर से मुड़ापार बस्ती, शारदा विहार कालोनी से ईमलीडुग्गू तक जाने वाला नाला, संजय नगर-सीतामणी नाला, रामसागर पारा-नदी सहित लालूराम कालोनी नाला प्रमुख है। जहां कि मुक्कमल सफाई नहीं होने की वजह से इन बस्तियों में जल भराव की पूरी संभावना बनी रहती है। इस वर्ष भी निगम प्रशासन द्वारा मानसून पूर्व सफाई व्यवस्था को मुक्कमल करा देने का दावा किया जा रहा है लेकिन इस क्षेत्र का जायजा लिया गया तब चौकाने वाले तथ्य सामने आया। खासकर नाला में जहां-जहां पुल-पुलिया बना है वहां की नालियां जाम है। इसके अलावा गंदगी से पूरा नाला अटा पड़ा है। ऐसे में बारिश के पानी की निकासी कैसे होगी यह समझ से परे है। वहीं दूसरी ओर ईमलीडुग्गू क्षेत्र का अवलोकन करने पर यह ज्ञात हुआ कि इस नाले की सफाई को लेकर निगम प्रशासन कभी गंभीर नहीें रहा है।
वयोवृद्ध रामकौशल का कहना है कि मजबूरी में अपने घर के सामने की गंदगी की सफाई करते हैं। क्योंकि ऐसा नहीं करने पर घरों में पानी के घुसने की पूरी संभावना बनी रहती है। वहीें वृद्धा क्रांति बाई ने बताया कि लगभग 15 वर्ष पूर्व यह नाला स्वच्छ और निर्मल था। जिसकी वजह से बर्तन धोने व कपड़े साफ करने के लिए इसका उपयोग करते थे। लेकिन अब गंदगी से पटा हुआ है। इसी तरह ईमलीडुग्गू निवासी कीर्तन बाई कहती हैं कि पिछले 12 वर्षों से उनके क्षेत्र में सफाई करने के लिए कोई नहीं पहुंचा है। बरसात के दिनों में अक्सर घरों के अंदर पानी प्रवेश कर जाता है। इसी तरह नानू नामक युवक ने मजबूरी प्रकट करते हुए कहा कि गंदा पानी उपयोग करने के सिवाय उनके पास कोई रास्ता नहीं है। वहीं रामकली व स्थानीय पार्षद सुफलदास महंत कहते हैं कि निगम प्रशासन में शिकायत करने का कोई असर नहीं पड़ता और वर्षाकाल में इसका खामियाजा स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ता है।
इस संबंध में निगम के कार्यकापालन अभियंता आरके माहेश्वरी का कहना है कि शहर के बड़े नालों की सफाई जारी है। आगे भी होता रहेगा।