रायपुर. अब छत्तीसगढ़ की सीमेंट फेक्टरियों में भी प्लास्टिक के कचरे का उपयोग वैकल्पिक बिजली बनाने में किया जाएगा. राज्य सरकार की संस्था छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने इस दिशा में एक नई पहल की है. इस सिलसिले में मंडल द्वारा रविवार को यहां अपने मुख्यालय में विचार-मंथन के लिए प्रदेश के प्रमुख सीमेंट उद्योगों के प्रतिनिधियों की बैठक आयोजित की गई. बैठक में छह नगर निगमों -रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, भिलाई, रायगढ़ और कोरबा के आयुक्त भी शामिल हुए. उल्लेखनीय है कि प्रदेश के अधिकतर सीमेंट संयंत्र इन्हीं शहरों के आसपास हैं.
बैठक का आयोजन आवास एवं पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव तथा पर्यावरण संरक्षण मंडल के अध्यक्ष अमन कुमार सिंह के निर्देश पर किया गया. पर्यावरण संरक्षण मंडल के सदस्य सचिव संजय शुक्ला की अध्यक्षता में हुई बैठक में सीमेंट उद्योगों के प्रतिनिधियों से कहा गया कि पूरी दुनिया में प्लास्टिक अपशिष्ट (कचरे) का उपयोग सीमेंट संयंत्रों के किलनों में वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोत के रूप में किया जा रहा है.
विशेषज्ञों ने इसे एक सुरक्षित तकनीक भी बताया है. इस तथ्य को देखते हुए छत्तीसगढ़ के सीमेंट संयंत्रों में भी प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल बिजली बनाने में किया जाना चाहिए. बैठक में तय किया गया कि प्रदेश के सभी 168 शहरों से निकलने वाले प्लास्टिक कचरे की मात्रा, उसके परिवहन की व्यवस्था और कौन-कौन से सीमेंट संयंत्रों को कितनी मात्रा में उपलब्ध कराया जा सकता है, इसके बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट संचालक नगरीय प्रशासन और विकास विभाग से अगले 15 दिनों के भीतर प्राप्त की जाए.
यह भी निर्णय लिया गया कि सीमेंट संयंत्रों को प्लास्टिक अपशिष्ट नियमित रूप से उपलब्ध कराने के लिए सीमेंट उद्योगों से चर्चा करके एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी निर्धारित की जाए.
पर्यावरण संरक्षण मंडल के सदस्य सचिव संजय शुक्ला ने कहा कि प्रदेश में प्लास्टिक कचरे की समस्या को हल करने के लिए दोनों पक्षों को परस्पर समन्वय से काम करना होगा. उन्होंने बताया कि प्रदेश में संचालित दस प्रमुख सीमेंट उद्योगों को ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक कचरे का उपयोग सीमेंट किलनों में करने के लिए इस योजना पर विचार किया गया है. इस परियोजना पर अमल शुरू होने के बाद यह नगरीय निकायों के साथ-साथ सभी के लिए लाभदायक होगी. बैठक में यह भी तय किया गया कि प्लास्टिक कचरे के कैलोरिफिक वेल्यू के आधार पर सीमेंट उद्योगों द्वारा आवश्यक शुल्क का भुगतान स्थानीय निकायों को किया जाएगा.
इससे शहरों में प्लास्टिक कचरे का त्वरित निपटान होने के साथ-साथ नगरीय निकायों के राजस्व में भी वृद्धि होगी. यह भी उल्लेखनीय है कि इस वर्ष आयोजित विश्व पर्यावरण दिवस की थीम प्लास्टिक प्रदूषण को पराजित करने के नारे पर केन्द्रित की गई थी.छत्तीसगढ़ सरकार और पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ व्यापक जनजागरण अभियान भी चलाया गया. केन्द्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा प्लास्टिक कचरे की समस्या से निपटने के लिए अपशिष्ट प्लास्टिक नियम 2016 जारी किया गया है, जिसमें इस कचरे के प्रभावी प्रबंधन के लिए अलग-अलग एजेंसियों के लिए अलग-अलग जिम्मेदारियां भी तय की गई हैं. बैठक में छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के अपर सचिव श्री पी. अरूण प्रसाद सहित सीमेंट उद्योगों की ओर से -मेसर्स अल्ट्राटेक सीमेंट, अम्बुजा सीमेंट, एसीसी सीमेंट, जे.के.लक्ष्मी सीमेंट, सेन्चुरी सीमेंट, नुवोको विस्टास कार्पोरेशन लिमिटेड, श्री सीमेंट लिमिटेड और इमामी सीमेंट के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे.