निशा मसीह, रायगढ़. खदान प्रभावित इलाकों में विकास कार्यों के लिए डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड की राशि प्रभावित इलाकों में कम और शहरों में अधिक हो रही है। सेंटर फार साइंस एंड इंवारयरमेंट यानि सीएसई की रिपोर्ट में ये बात उजागर हुई है कि जिले मे डीएमएफ फंड की 41 फीसदी राशि शहरों में खर्च कर दी गई। विकास कार्यों की बजाए इस राशि को केंद्र व राज्य की योजना जैसे उज्जवला और सौभाग्य योजना के साथ साथ सडकों के निर्माण पर खर्च कर दिया गया।
सीएसई की इस रिपोर्ट के बाद आरटीआई कार्यकर्ता जिला प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं।केंद्र सरकार उद्योग व खनिज प्रभावित इलाकों के लिए डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड की स्थापना की है। इस फंड में खनन से मिलने वाले राजस्व की 4 फीसदी राशि प्रभावित क्षेत्र के विकास के लिए रखी जाती है और उसे उन क्षेत्रों में ही विकास कार्यों पर खर्च किया जाता है। लेकिन सेंट्रल फार साइंस एंड इंवायरमेंट की रिपोर्ट में ये बात उजागर हुई है जिले में 41 फीसदी राशि प्रभावित इलाकों की बजाए शहरी क्षेत्रों में खर्च कर दी गई।
रायगढ़ जिले की बात करें तो इस मद में हर साल 70 करोड़ रुपए जमा किए जाते हैं। जिले में 83 गांव ऐसे हैं जो कि खनन से पूरी तरह से प्रभावित हैं। सबसे ज्यादा तमनार ब्लाक में 13 गांव और पुसौर ब्लाक में सबसे कम 3 गांव प्रभावित हैं। सीएसई की रिपोर्ट में कहा गया है कि रायगढ़ डीएमएफ को लेकर सही प्लानिंग नहीं गई है जिसकी वजह से तकरीबन 41 फीसदी राशि निर्माण कार्यों में और 16 फीसदी राशि उज्जवला योजना में खर्च कर दी गई है। इतना ही नहीं 16 फीसदी राशि सौभाग्य योजना के तहत विद्युतीकरण के लिए कर दी गई है। लेकिन प्रभावित गांव जो कि पेयजल व स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं उन गावों तक बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंच पाई हैं।
खास बात ये है कि रायगढ़ ब्लाक में प्रभावित गावों की संख्या सिर्फ 11 है, लेकिन इस ब्लाक में सर्वाधिक 84.4 करोड़ की राशि खर्च की गई है. जबकि लैलूंगा ब्लाक में सिर्फ 4 प्रभावित गावों के लिए 10.14 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इतना ही नहीं धरमजयगढ क7 गावों के लिए 8.51 करोड़ की ही स्वीकृति दी गई है।
आरटीआई कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी का कहना है कि माइंस प्रभावित इलाको में लोग स्वास्थ्य शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं और प्रशासन इन गावों की बजाए शहरों में विकास कार्यों पर डीएमएफ की राशि खर्च कर रहा है। कार्यकर्ता का यह भी कहना है कि इस खर्च में मनमाने ढंग से निर्माण कार्य शहरी क्षेत्रों में करवाए जा रहे हैं और इसमें भारी भ्रष्टाचार भी हो रहा है। जिसकी जांच आवश्यक है।
इस मामले में रायगढ़ कलेक्टर शम्मी आबिदी का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड से उन निर्माण कार्यों को कराया गया है, जो कि लोगों की जरुरतों से संबंधित था और लोगों ने चक्काजाम तक की स्थिति निर्मित कर दी थी। सडकों में हैवी गाडियां चलतीं हैं, वो माइंस से कनेक्टेड हैं और कहीं न कहीं माइंस की गाडियों की वजह से ही सडकें जर्जर हो रही हैं। कलेक्टर का ये भी कहना है, कि आने वाले समय में ये प्रयास किया जाएगा कि इस रेस्यु में सुधार हो और प्रभावित इलाकों में ही राशि अधिक खर्च हो।