बलरामपुर। आजकल कंबल वाले बाबा सुर्खियों में हैं. बलरामपुर के सनवाल इलाके में स्याही मोड़ पर कंबल वाले बाबा रहते हैं. ये कंबल ओढ़ाकर मरीज का इलाज करते हैं, इसलिए इनका नाम कंबल वाले बाबा पड़ा.
छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा आजकल कंबल वाले बाबा के सामने नतमस्तक हैं. यही वजह है कि कंबल वाले बाबा और पैकरा दोनों इन दिनों सुर्खियों में हैं. पैकरा के अंधविश्वास का इतना विरोध होने के बावजूद उनकी श्रद्धा कंबल वाले बाबा के प्रति कम नहीं हुई है और वे दोबारा पहुंच गए कंबल वाले बाबा के पास.
गृहमंत्री रामसेवक पैकरा फिर पहुंचे कंबलवाले बाबा के पास
मंगलवार 19 सितंबर को एक बार फिर गृहमंत्री रामसेवक पैकरा कंबल वाले बाबा के पास पहुंच गए अपनी डायबिटीज के लिए दूसरी खुराक लेने. चूंकि डायबिटीज का इलाज कंबल वाले बाबा से कराने को लेकर पैकरा की काफी फजीहत हो चुकी है, इसलिए कल मीडिया पर बैन लगा दिया गया था. मीडिया के साथ-साथ मरीज और उनके साथ आए लोगों को फोटो नहीं खींचने की सख्त ताकीद की गई थी.
यहां तक कि लोगों के मोबाइल भी रख लिए गए थे.
असाध्य रोग ठीक करने का दावा
एक तरफ जहां पूरी दुनिया असाध्य रोगों का इलाज ढूंढने में करोड़ों-अरबों रुपए खर्च कर रही है. वहीं कंबल वाले बाबा का दावा है कि कैसा भी रोग क्यों न हो, वे तो कंबल ओढ़ाकर ही उसे ठीक कर देते हैं.
इधर छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा को लगता है प्रदेश के हॉस्पिटल्स और डॉक्टरों पर भरोसा नहीं है, जबकि सरकार खुद बेहतरीन इलाज देने का दावा करती है. ऐसे में पैकरा आखिर अपनी शुगर की बीमारी के लिए दूसरी खुराक लेने कंबल वाले बाबा की शरण में पहुंच ही गए, वो भी तब जब इसे लेकर आम जनता से लेकर विपक्ष और अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति के अध्यक्ष दिनेश मिश्रा तक उनकी आलोचना कर चुके हैं और उन पर अंधविश्वास को बढ़ावा देने का आरोप लगा चुके हैं.