रायपुर। क्या नक्सलवाद को पालने का काम सरकार कर रही है ? क्या नक्सलियों को सरकार फंडिग कर रही है ? क्या घोटाले की रकम नक्सिलयों तक सत्ता के रास्ते पहुँच रही है ? क्या प्राकृतिक संसाधनों पर सरकार, ठेकेदारा और नक्सलियों की मिलीभगत है ?  ये तमाम सवाल इसलिए खड़े हो गए हैं, क्योंकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल सीधे तौर पर गंभीर आरोप लगाए हैं. कांग्रेस का आरोप है कि हर चुनावी साल में भाजपा सरकार नक्सलियों को मोटी रकम भेजती है ! लेकिन भाजपा इन आरोपों पर कांग्रेस को ही घेर दिया है.

बस्तर के भीतर जंगलों में नक्सलियों की हुकूमत चलती है. इस सच्चाई सरकार भी वाकिफ है और आम जन भी. और एक सच्चाई ये भी कि नेताओं की राजनीति भी नक्सलवाद के मुद्दे पर आगे बढ़ती है. लिहाजा चुनावी वर्ष में इस मुद्दे को भूनाने हर राजनीतिक दल के लोग करते हैं. इसी कड़ी में एक सीधा हमला बोलने का अवसर विपक्ष के नेताओं को मिल गया है. भूपेश बघेल ने मौका देख चौका लगाते हुए यह आरोप सरकार पर जड़ा है कि नक्सलियों को सरकार पैसा पहुँचाने का काम कर रही है. प्राकृतिक संसाधनों से होने वाली कमाई में घोटाला कर घोटाले की रकम नक्सलियों तक पहुँचाई जा रही है.

भाजपा विधायक श्रीचंद सुंदरानी ने कांग्रेस पर पलटवार करते हए कहा कि विपक्ष को नक्सलवाद पर राजनीति नहीं करनी चाहिए. सरकार नक्सल समस्या निपटने हर संभव प्रयास कर रही है. जवान शहीद हो रहे हैं और विपक्ष इसका मजाक बनाने में लगी है.

मसलन सवाल वहीं के वहीं है और उसका जवाब आया नहीं. क्योंकि नोटबंदी के बाद ये कहा गया था कि नक्सलियों की कमर टूट जाएगी. लेकिन लगातार हो रही बड़ी घटनाओं से ऐसा लगता नहीं है. सवाल ये भी है कि नक्सली टूट नहीं रहे तो फूल-फल कैसे रहे हैं ? क्या नकस्ल समस्या राजनीतिक समस्या बन गई है. यही वजह कि नक्सलियों को चंदा भी मिलता और उनका धंधा भी चलता है. लेकिन इसका हल किसके पास है क्योंकि नेता तो सिर्फ बयानों में उलझे हुए नजर आते हैं.