प्रदीप गुप्ता,कवर्धा. जिला अस्पताल में डॉक्टरों और नर्सों की लापरवाही थमने का नाम नहीं ले रही है, रविवार को भी ऐसा ही मामला देखने को मिला, जहां शनिवार सुबह 10 बजे से जिला अस्प्ताल में भर्ती विशेष पिछड़े बैगा जनजाति की महिला की डिलवरी जिला अस्पताल में उसके ही परिजनों ने कराई.
क्योंकि देर रात जब महिला को लीवर पेन हुआ तब परिजन नर्स व डॉक्टर को ढूंढने निकले लेकिन वे नहीं मिले. तब तक आधा घंटे से अधिक समय हो चुके थे ऐसे में परिजन ने ही डिलवरी कराया. तब तक बच्चे की मौत हो चुकी थी. महिला छह माह की गर्भवती थी. वहीं मामला सामने आने के बाद अब अस्पताल प्रबंधन द्वारा ड्यूटी में ही रहने का दावा कर रहेा है, यही नहीं अब गलती उल्टे परिजनों के ऊपर ही थोपी जा रही है.
कवर्धा जिले में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले विशेष पिछडे बैगा जनजाति के लेागों को हर सुविधाएं मिलने का दावा किया जाता है. लेकिन जिले में ही दावे की पोल खुल रही है. बोडला विकासखंड के ग्राम सरहा निवासी सुखयारिन बैगा छह माह ही गर्भवती थी, उसे कुछ शारीरिक परेशानी होंने पर शनिवार की सुबह 10 बजे जिला अस्प्ताल में परिजनों ने भर्ती कराया था.
इस बीच डॉक्टर और नर्स ने मात्र चेकअप कर औपचारिकता निभा दी. पेट में बच्चे की कोई हलचल न होने की शिकायत के बाद भी तुरंत जो एक्शन लेना था वह नहीं लिया गया. जिसके बाद रविवार सुबह -सुबह लगभग 3 बजे महिला को लीवर पेन हुआ.
कमरे में सो रही थी नर्स..
तब परिजन डॉक्टर और नर्स को बुलाने निकाले लेकिन ड्यूटी रूम में कोई भी नजर नहीं आया. स्टाफ को ढूंढते तब तक आधा घंटें से अधिक हो चुका था, ऐसे में परिजनों ने ही डिलेवरी करा दिया, लेकिन बच्चे की मृत्यु हो चुकी थी.
जिसके बाद आसपास के अन्य मरीज के परिजन ने कमरे में सो रही नर्स के बारे में जानकारी दी. तब परिजनो ने नर्स को उठाकर मामले की जानकारी दी. जिला अस्प्ताल में आपात समय के लिए 24 घंटे की ड्यूटी लगाई जाती है. लेकिन यहां आने वाले मरीजों को समय पर डॉक्टर और नर्स नहीं मिलते. ऐसे में कई बार मरीजाों की जान तक चली जाती है. इस केस में अच्छा यही रहा कि महिला की जान बच गई.