रायपुर। बिलासपुर के अचानकमार टाइगर रिजर्व में 1 दिसंबर 2015 को पकड़े गए जंगली हाथी सोनू को लेकर हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने माना कि सोनू हाथी की उपेक्षा की गई. हालांकि उसे वापस जंगल में छोड़ा जाए या नहीं, इसका फैसला कोर्ट ने वन विभाग के विवेक पर छोड़ दिया है. साथ ही ये ताकीद की है कि इस तरह की घटना भविष्य में फिर सामने नहीं आए. हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी सोनू हाथी के लिए दायर की गई जनहित याचिका का निराकरण करते हुए की.

बता दें कि 1 दिसंबर 2015 को अचानकमार टाइगर रिजर्व से सोनू हाथी को पकड़ लिया गया था. प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने सोनू हाथी को पकड़कर हाथियों के रहवास क्षेत्र में छोड़ने के आदेश दिए थे, लेकिन अचानकमार के अधिकारियों ने सोनू को जंजीरों से बांध दिया था. इसके कारण उसके पांव में गंभीर जख्म हो गया. इसके बाद सोनू को गैरकानूनी रूप से पकड़ने और उसका इलाज कराने के लिए के लिए रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने जनहित याचिका दायर की थी. याचिका स्वीकार करने के बाद सोनू का इलाज करने के लिए केरल से डॉक्टर राजीव टीएस और डॉक्टर राकेश चित्तौरा आए थे

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश टीबीएन राधाकृष्णन एवं न्यायमूर्ति शरद कुमार गुप्ता की युगलपीठ ने कहा कि सोनू हाथी की उपेक्षा की गई और उसके स्वास्थ्य, इलाज का ध्यान नहीं रखा गया.

बता दें कि इससे पहले हाथी विशेषज्ञ डॉ राजीव टी एस ने कोर्ट के आदेश के मुताबिक 12 जुलाई 2017 को सोनू हाथी के स्वास्थ और व्यवहार की जांच कर हाईकोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. गौरतलब है कि डॉ राजीव ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि अचानकमार अभयारण्य सोनू को रखने के लिए उपयुक्त जगह नहीं है और उसे हाथियों के रहवास क्षेत्र में कैम्प में रखा जाना चाहिए, जहां पर उसे जंगली हाथियों से घुलने-मिलने का मौका मिले और वो धीरे-धीरे फिर से जंगली हाथियों जैसा बर्ताव कर सके.

हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ शासन और प्रधान मुख्य वन संरक्षक को निर्देश दिया है कि ऐसी घटना दोबारा नहीं हो.

गौरतलब है कि वन विभाग को दी गई रिपोर्ट में डॉ राकेश चित्तौरा ने कई उदाहरणों को पेश करते हुए बताया कि अफ्रीका में हाथी के बच्चे जो कि केप्टिव हथनियों से होते हैं, उन्हें भी युवावस्था में वापस जंगल में छोड़ा गया है. भारत में भी वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने कई केप्टिव एलीफैंट को अरुणाचल प्रदेश और असम के जंगलों में सफलतापूर्वक छोड़ा है। डॉ राकेश चित्तौरा ने भी सोनू को रेडियो कॉलर लगा कर जंगल में छोड़ने का सुझाव वन विभाग को दिया है.

कोर्ट ने केरल के डॉ राजीव टीएस, एनीमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया, छत्तीसगढ़ के वन विभाग के अधिकारियों की भी तारीफ की, जिन्होंने सोनू हाथी के स्वास्थ्य और बेहतर इलाज का ध्यान रखा.