• 15 दिनों के भीतर आयोगन ने सीएस से रिपोर्ट तलब की.
  • आदिवासी जमीन गैर आदिवासी द्वारा खरीदने का मामला.
  • 54 एकड़ जमीन पर भी अतिक्रमण किया एक्मे सोलर कंपनी ने.

रायपुर- रायगढ़ जिले के कुनकुनी जमीन घोटाले के बाद छत्तीसगढ़ में एक और घोटाले का उजागर हुआ है….राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में शिकायत होने के बाद आयोग ने मुख्य सचिव को नोटिस भेजकर 15 दिनों के भीतर पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है…..मामला महासमुंद जिले के भीखापाली का है, जहां आदिवासियों की सैकड़ों एकड़ जमीन को सोलर प्लांट लगाने के लिए गैर आदिवासी को भेज दिया गया…..चौंकाने वाली बात है कि ओडिशा के जिस व्यक्ति टंकाधर देहुरी ने 70 एकड़ आदिवासी जमीन खरीदी, ओडिशा में वह बीपीएल कार्डधारी हैं, यानी गरीबी रेखा के नीचे…साथ ही टंकाधर देहुरी जिस जाति का है, छत्तीसगढ़ में वह जाति अन्य पिछड़ा वर्ग में आती हैं, ऐसे में बड़ा सवाल खड़े हो रहा है कि आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को बेचे जाने पर कानूनी तौर पर प्रतिबंध लगा है तो फिर गुड़गांव की एक्मे सोलर प्लांट के लिए आखिर जमीन की खरीदी कैसे कर दी गई? मामले का खुलासा करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला ने आरोप लगाते हुए कहा है कि कई स्तर पर शिकायत करने के बावजूद इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई…..प्लांट लगाने के लिए ना केवल आदिवासी जमीन को फर्जी तरीके से खरीदा गया बल्कि 54 एकड़ जंगल में भी अतिक्रमण कर लिया गया…इसकी शिकायत 9 मई 2016 को वन मंडल अधिकारी को की गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई….प्रकरण की शिकायत 3 मई 2016 को कलेक्टर से भी की गई, बावजूद इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई….14 सितंबर 2016 को संबंधित प्रकरण की शिकायत राजस्व मंडल से की गई, लेकिन फिर भी कोई सुनवाई नहीं हुई…..कुणाल शुक्ला का कहना है कि शासन स्तर पर मामले की अनदेखी करने के बाद इसकी शिकायत राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग से की गई, जहां आयोग ने तत्काल प्रभाव से मामले को गंभीर मानते हुए मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया है…..15 दिनों के भीतर पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट भी आयोग ने मांगी है…..