नगरी। छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले का ब्लाक नगरी सिहावा क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. नगरी से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर घनघोर जंगल के बीच मादागिरी नाम की पर्वत है. यहां पर्वत सप्तरिषि में से एक गौतम ऋषि का स्थान माना जाता है.
सीतानदी उदंती अभ्यारण के अंतर्गत अरसीकन्हार रेंज में मादागिरी पहाड़ी स्थित है . प्राकृतिक के सुंदर नजारों से परिपूर्ण जंगल से घीरा पहाड़ की सुंदरता देखते ही बनता है. नवरात्रि के दिनों में यहां पर मेला लगता है. जिसमें ओडिशा, बस्तर, धमतरी, दुर्ग, रायपुर, भिलाई सहित बड़ी दूर दूर से लोग यहां पहुंचते हैं और बाबा गौतम ऋषि का दर्शन कर प्राकृतिक सौंदर्य का लुफ्त उठाते हैं.
वन विभाग के द्वारा किए गए हैं लाखों खर्च
श्रद्धालु और पर्यटकों को यहां पर आकर्षित करने के लिए इस धार्मिक स्थल को डेवलप करने के लिए वन विभाग के द्वारा लाखों रुपए को पानी की तरह बहाया गया है. यहां पर शेर, भालू, बंदर, देवी देवताओं की मूर्तियां, ऋषि-मुनियों की मूर्तियां, अन्य वन जीव की मूर्तियां पहाड़ पर स्थापित की गई है. साथ ही पहाड़ पर सीढी और पर्यटकों के लिए के शेड का निर्माण भी कराया गया है.
लेकिन अव्यस्था और देखरेख के अभाव में बहुत ही कम समय में मूर्तियां क्षतिग्रस्त हो रही हैं।
झरिया के पानी पीने पर मजबूर पर्यटक
जंगली रास्तों से होकर यहां पहुंचने और पहाड़ चढ़ने पर पर्यटक थक जाते हैं लेकिन पहाड़ के ऊपर उन्हें पानी तक नसीब नहीं है. मादागिरी पहाड़ के नीचे एक झरिया है. इसी झरिया के अशुद्ध पानी से पर्यटकों को अपनी प्यास बुझानी पड़ रही है. इससे पर्यटकों की सेहत खराब होने का खतरा हमेशा बना रहता है. ग्रामीणों ने बताया कि वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी सिर्फ धार्मिक आयोजनों में यहां पर आते हैं. नवरात्र के अवसर पर पहाड़ के ऊपर जसगीत सहित अन्य धार्मिक आयोजन होते हैं. ऐसे में पहाड़ के ऊपर पानी पहुंचाना सबसे कठिन काम होता है और ग्रामीणों के द्वारा पहाड़ के नीचे बोर खनन की मांग वर्षों से की जा रही है. लेकिन वन विभाग के द्वारा आज तक उचित व्यवस्था नहीं की गई है तथा मजबूरन ग्राम के ग्रामीणों को कावर में लादकर आवश्यकता के अनुसार ही ऊपर पानी चढ़ाना पड़ रहा है. जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
क्षेत्र में पक्की सड़क का निर्माण होना अति आवश्यक
यह क्षेत्र अति पिछड़ा हुआ व संवेदनशील क्षेत्र में आता है. इस क्षेत्र में प्राकृतिक सौंदर्य का नजारा देखते ही बनता है. नदी-नाले व वन से अच्छादित क्षेत्र लोगों का मन मोह लेता है क्षेत्र में कई पर्यटक स्थल व धार्मिक स्थल हैं. जहां तक पहुंचने के लिए लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है यहां की सभी सड़क कच्ची हैं. जहां दो पहिया वाहन ही बरसात के दिन में चल पाती है. कई सड़कों पर जगह-जगह गड्ढे व नदी नालों पर एक भी पूल नहीं है. अगर इस क्षेत्र में पक्की सड़क वह नदी नालों में पुल का निर्माण करा दिया जाए तो यह क्षेत्र एक बड़ा पर्यटक स्थल बन सकता है. जिससे पर्यटकों का हमेशा आना-जाना रहेगा और इस क्षेत्र के ग्रामीण लोगों वा क्षेत्र का विकास भी ही होगा.