रायपुर. छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के दामाद पुनीत गुप्ता के फर्जीवाड़ों के किस्से खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. आर्थिक अनियमितताओं के आरोपों से घिरे डॉ. पुनीत गुप्ता के खिलाफ अब अकादमिक फजीवादी के भी मामले सामने आए हैं. उच्च पदस्थ प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक डॉ. पुनीत गुप्ता की पीएचडी की डिग्री पर सवाल हैं.

बताते हैं कि इस डिग्री के लिए उन्होंने आवश्यक छह माह पीएचडी कोर्स वर्क किये बिना पंजीयन करवा लिया था और बाद में रिसर्च के लिए उन्होंने पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर के बायो टेक्नोलॉजी विभाग के शोध केंद्र में जरूरी 240 दिन की उपस्थिति भी नहीं दी . अर्थात उन्होंने शोध के लिए ना तो छुट्टी ली और ना ही निर्धारित कोर्स वर्क पूरा किया और उन्हें डिग्री भी मिल गई ! उच्च शिक्षा के जानकार यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या डॉ. पुनीत गुप्ता को बिना शोध कार्य के डिग्री दे दी गई !

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ सिंह के दामाद ने ताबड़तोड़ डिग्री हासिल करने के लिए जमकर फर्जीवाड़ा किया है. दिलचस्प बात है कि उन्होंने ऐसे विवि से डिग्री हासिल की हैए जहां पर मेडिकल की पढ़ाई तक नहीं होती. इतना ही नहीं उन्होंने पीजी नेफ्रोलॉजी में किया हैए जबकि उन्हें पीएचडी की उपाधि बायोटेक्नालॉजी में प्राप्त हुई. इस पीएचडी की डिग्री के आधार पर वे चार इंक्रीमेंट का आर्थिक लाभ भी ले चुके हैं. जानकार सूत्रों के मुताबिक पुनीत गुप्ता ने 3 अक्टूबर 2009 को रविशंकर शुक्ल विवि रायपुर में पीएचडी के रजिस्ट्रेशन करवाया थाए जबकि यूजीसी की गाइडलाइन के मुताबिक रजिस्ट्रेशन से 6 माह पहले कोर्स वर्क करना अनिवार्य होता है लेकिन उन्होंने नहीं किया था. साफ है कि उन्होंने रिसर्च भी नहीं किया होगा. जानकार बताते हैं कि उनका रिसर्च पेपर किसी और के द्वारा तैयार करवाया गया है. इसी तरह यह नियम है कि स्कूल ऑफ साइंस एंड बायोटेक्नालॉजी में पीएचडी के लिए 240 दिनों की उपस्थिति अनिवार्य हैए इसका भी पालन नहीं किया गया है.

इसी प्रकार उन्होंने सरगुजा विवि अंबिकापुर से डॉक्टर ऑफ साइंस ( क्वद्ध के लिए तमाम तरह के हथकंडे अपनाए. इसके लिए उन्होंने अपने आवेदन में रविवि की संदेहास्पद बायोटेक्नालॉजी में पीएचडी की अधिसूचना लगाई तथा सरगुजा विवि के परिक्षेत्र में मेडिकल की पढ़ाई नहीं होने के बावजूद आवेदन किया. हालांकि सरगजा विवि के कुलपति ने उनके आवेदन को 8 सितंबर 2018 को खारिज कर दिया था. आवेदन खारिज होने के बाद मंत्रालय के उच्चाधिकारियों की ओर से कुलपति पर दबाव बनाया गया. इस मसले पर सरगुजा विवि के कुलपति डॉ रोहिणी प्रसाद का कहना है कि विवि में डीएससी में रजिस्ट्रेशन के नियमानुसार मापदंड को पूरा नहीं करने के कारण आवेदन को खारिज किया गया था. इस मामले में पूरी प्रक्रिया नियमानुसार की गई थी.

दरअसल सरगुजा विवि में मेडिकल के कोर्स संचालित नहीं है और डीएससी के लिए विवि के परिक्षेत्र में एक साल निवास रहने का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य होता है और पुनीत गुप्ता इन दोनों मापदंडों में खरे नहीं उतरे.