चंद्रकांत देवांगन, दुर्ग। अब तक आपने पति-पत्नी के तलाक के मामलों में पत्नी द्वारा गुजारा भत्ता मांगने के कई मामले सुने होंगे लेकिन दुर्ग जिले में प्रदेश का पहला ऐसा मामला सामने आया है जहां बेरोजगार पति ने पत्नी से हर महीने 20 हजार रुपये गुजारा भत्ता की मांग के लिए न्यायालय से गुहार लगाई है.

मामला दुर्ग जिले के पुरानी भिलाई स्थित देवबलौदा  का है. जहां पति सुरेन्द्र कुमार कोरी ने अपनी पत्नी दीपा कोरी के विरुद्ध कुटुंब न्यायालय में भरण पोषण प्राप्त करने आवेदन दिया है. पति सुरेंद्र के अनुसार 2005 में दीपा से उसका विवाह हुआ था उस वक्त सुरेंद्र एनआरडीए में ट्रेनर के रूप में कार्यरत थे. विवाह के कुछ महीने तक दोनों के बीच सबकुछ ठीक-ठाक चला. उसके बाद दोनों के बीच अक्सर विवाद होने लगा. दोनों के बीच विवाद इतना बढ़ा कि पत्नी ने पति और ससुराल वालों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला पुलिस में दर्ज करा दिया. दीपा की शिकायत पर पति सुरेन्द्र समेत परिवार के 4 लोगों को हफ्ते भर के लिए जेल का मुंह भी देखना पड़ा.

पति सुरेंद्र व उसके परिवार के लोग 6 सालों तक इस केस से जूझते रहे जिसके बाद न्यायालय ने उन्हें सभी आरोपों से दोषमुक्त कर दिया. सुरेंद्र कोरी के अनुसार इस दौरान आर्थिक व मानसिक परेशानियों के चलते उनका परिवार टूट गया और उनकी नौकरी भी चली गयी. जिसके बाद कई प्रायवेट काम मे उन्होंने हाथ आजमाने का भी प्रयास किया. उनकी माने तो उनकी पत्नी दीपा रायपुर स्थित औद्योगिक न्यायालय में स्टेनोग्राफर हैं जो उन्हें लगातार धमकी भी देती रही.

आख़री में थक हार कर सुरेंद्र ने अपनी पत्नी से 20 हजार गुजारा भत्ता की मांग के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. जिस पर पत्नी ने आपत्ति दर्ज की तो आवेदक के वकील मोतीराम कोसरे ने कोर्ट में दलील प्रस्तुत करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के रानी सेटी विरूद्ध सुनील सेटी के मामले का हवाला दिया. जिसमें बताया गया कि हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 24 व 25 के तहत पति भी गुजारा भत्ता मांग सकता है. इसी तर्क के आधार पर तृतीय अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश निरंजन लाल चौहान ने सहमत होते हुए पति की तरफ से प्रस्तुत भरण पोषण का आवेदन चलने योग्य माना.

सुरेन्द्र के अधिवक्ता ने बताया कि चूंकि पत्नी सरकारी नौकरी में पदस्थ है और उनकी तनख्वाह 70 हजार रुपये है ऐसे में आवेदक की तरफ से अंतरिम भरण पोषण 10 हजार रुपये व स्थायी भरण पोषण के रूप में 20 हजार की मांग की गई है.