मुंबई। महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण बिल को मंजूरी मिल गई है. विधानसभा में सीएम देवेन्द्र फडणवीस ने बिल को सदन में रखा. जहां बिल ध्वनिमत से पारित हो गया. इसके बाद विधान परिषद ने भी इस बिल पर अपनी मुहर लगा दी है. बिल पास होने के बाद अब महाराष्ट्र में मराठाओं को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 16 प्रतिशत आरक्षण मिलने का रास्ता साफ हो गया है. महाराष्ट्र में 76 फीसदी मराठा खेती किसानी और मजदूरी कर जीवन यापन कर रहे हैं. जबकि इस समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मात्र 6 प्रतिशत लोग सरकारी अर्ध-सरकारी नौकरियों में हैं.

मराठा आरक्षण के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग ने सिफारिश की थी, जिसके बाद बिल को कैबिनेट ने भी मंजूरी दे दी थी. मराठा आरक्षण के लिए विशेश कैटेगरी SEBC बनाई गई है. सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि हमें पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट मिली थी, जिसमें तीन सिफारिशें की गई हैं. मराठा समुदाय को सोशल एंड इकनॉमिक बैकवर्ड कैटेगरी (SEBC) के तहत अलग से आरक्षण दिया जाएगा. हमने पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है और इन पर अमल के लिए एक कैबिनेट सब कमिटी बनाई गई है.

आपको बता दें मराठा समुदाय के आरक्षण की मांग 1980 से लंबित पड़ी है. राज्य पिछड़ा आयोग ने 25 विभिन्न मानकों पर मराठों के सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक आधार पर पिछड़ा होने की जांच की थी. जांच में मराठाओं की स्थिति काफी दयनीय पाई गई थी.

गौरतलब है कि पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखने वाले मराठाओं को अब महाराष्ट्र में अलग से आरक्षण मिल पाएगा. देश में इस तरह से किसी वर्ग से बाहर स्वतंत्र रुप से किसी समुदाय को आरक्षण देने का यह पहला मामला है. आपको बता दें कि राजस्थान, हरियाणा समेत कई राज्यों में इसी तरह अलग-अलग समुदाय आरक्षण की मांग कर रहे हैं.