भिलाई। स्वयंसिद्धा ए मिशन विद अ विजन कल्चरल ग्रुप ऑफ़ मैरिड वूमेन अब गोवा में अपने नाटक की प्रस्तुति देंगी.  वरद अंबिका कला संघ गोवा में नाटक के एक फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है. जिसकी प्रस्तुति 21 अक्टूबर को अमेय विद्या प्रसारक मंडल हायर सेकेंडरी स्कूल कुर्ती के साँस्कृतिक सभागार में दी जाएगी. स्वयँसिद्धा के दस कलाकार नाटक “अस्तित्व तलाश जारी है” प्रस्तुत करेंगे.

उल्लेखनीय है कि मई 2018 में स्वयंसिद्धा द्वारा आयोजित एक्टिंग वर्कशॉप फॉर मैरिड वूमेन में कैंप डायरेक्टर के रूप में आए वरिष्ठ एक्टिंग गुरु शिवदास घोड़के जी के कुशल मार्गदर्शन में 1 घंटे का नाटक तैयार किया गया था. स्वयंसिद्धा की डायरेक्टर डॉ सोनाली चक्रवर्ती का कहना है कि यह हम गृहिणियों की जिजीविषा और जीत का परिणाम है. विवाह पश्चात भी अपनी प्रतिभा को मंच और पहचान देने की यह जिद आज हमें इस मुकाम तक लाई है.

टीम के कलाकार प्रतिदिन जोश के साथ रिहर्सल में जुटे हैं. हम वहाँ ना सिर्फ भिलाई बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करेंग. वेशभूषा में छत्तीसगढ़ की संस्कृति को शामिल करेंगे. वरद अंबिका कला संघ गोवा के निर्देशक अवधूत कुमार कामत जी का यह आमंत्रण महिला सशक्तिकरण के हमारे कार्यों को गति देगा. टीम में डॉ सोनाली चक्रवर्ती के साथ सँजीत कौर, प्रिया तिवारी, मंजू मिश्रा, सावित्री जंघेल, गायत्री हलदर, श्वेता ताम्रकार, श्वेता शाह, मंदाकिनी कांबले एवं शीतल वानखेड़े हैं.

कौन है स्वयंसिद्धा

स्वयंसिद्धा विवाहित महिलाओं का एक सांस्कृतिक समूह है जो परिवार के प्रबंधन के बाद का समय सामाजिक कार्यों को देती हैं. यह समूह अपनी लाइट एंड साउंड शो के जरिए सामाजिक सरोकार के संदेश देती हैं जिनमें स्वच्छता, बाल श्रम बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, दहेज, सामाजिक कुरीतियां, अंधविश्वास, निशक्त जनों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना, बाल युवा एवं वृद्धजनों की समस्याओं से जुड़े विषय प्रमुखता से उठाए जाते हैं. यह डेढ़ सौ से अधिक महिलाओं का समूह है जिनमें 30 लोगों की कोर कमेटी है जिनमें अलग-अलग विभाग अलग-अलग लोग संभालते हैं.

आवाज रिकॉर्ड कर करती हैं अभिनय

सोनाली चक्रवर्ती इस ग्रुप की डायरेक्टर हैं और उनके द्वारा लिखित नाटकों को रिकॉर्ड किया जाता है. जिसमें इसी समूह की महिलाएं अलग-अलग पात्रों को अपनी आवाज देने के लिए वॉयस मॉड्यूलेशन सीखती हैं. संवाद याद कर के नाटकों की प्रस्तुति गृहणियों के लिए संभव नहीं होता इसलिए इन्होने आवाज रिकॉर्ड कर उस पर अभिनय कर समाज के लिए कुछ कर गुजरने का फैसला किया जिसमें गृहिणियाँ भी जुड़ सकें एवं विवाह पूर्व सीखी गई अलग-अलग विधाओं का उपयोग विवाह पश्चात भी किया जा सके।महिलाओं की प्रतिभा को निखारने और उन्हें मंच देने की ऐसी जिद थी कि पहले नाटक के पात्र गढ़कर उसकी कास्टिंग नहीं की जाती बल्कि महिलाओं की इच्छा को देखते हुए उनके रंग रूप, कद, वजन, उम्र व इच्छा का ख्याल रखते हुए पात्र बनाए जाते हैं एवं उनके अनुरूप रिकॉर्डिंग की जाती है.

सोनाली कहती हैं कि पारिवारिक विघटन के इस विसंगतियों वाले दौर में परिवार को बांध के रखना एवं अपने बच्चों को संस्कारित करने में एक मां ही सबसे अहम भूमिका निभा सकती हैं. देश दुनिया की खबर रखने वाली शिक्षित एक्टिव एवँ स्मार्ट माँ ही बच्चों को सही दिशा का ज्ञान दे सकती है. स्वयंसिद्धा हमेशा ज्वलंत विषयों पर ही शो की प्रस्तुति देती है जिसकी रूप सज्जा, वेशभूषा, डिजाइन ,सेट डेकोरेशन, क्रिएटिव मेकअप, बैकग्राउंड डिजाइन आदि का प्रशिक्षण कार्यशाला में महिलाओं को दिया जाता है. राशन की सूची से लेकर धोबी के हिसाब तक और बच्चों की पढ़ाई से लेकर मेहमानों के मूड तक का हिसाब रखने वाली गृहणियां इस इवेंट मैनेजमेंट के काम को बड़ी सहजता से निभा ले जाती है.
निरंतर 10 वर्षों से सक्रिय यह समूह भिलाई दुर्ग के सभी प्रतिष्ठित मंचों के साथ राज्य उत्सव सरस मेला ब्रम्हाकुमारी महिला महा सम्मेलन आदि के साथ दिल्ली के श्रीभूमि उत्सव तक में अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं.