रायपुर: राज्य सरकार ने आंदोलनरत शिक्षाकर्मियों के अड़ियल रूख को देखते हुए अब उनके संगठन के प्रमुख नेताओं को चिन्हांकित करने और उनकी बर्खास्तगी जल्द करने का मन बना लिया है। अगले दो-तीन दिनों में उनके बड़े नेताओं की बर्खास्तगी का सिलसिला शुरू हो जाएगा। उच्च पदस्थ सरकारी सूत्रों ने आज यहां बताया कि सरकार ने शिक्षाकर्मियों से बातचीत के दरवाजे हमेशा खुले रखे हैं और उन्हें सरकारी शिक्षकों के बराबर वेतनमान भी दिया जा रहा है।

सरकारी सूत्रों के मुताबिक शिक्षाकर्मियों के संगठन के प्रतिनिधियों को पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री आर.पी. मंडल ने बातचीत के लिए भी आमंत्रित किया था, उन्होंने प्रतिनिधि मंडल को उनकी मांगों पर एक समिति बनाने और समिति से तीन माह के भीतर रिपोर्ट प्राप्त करने  का प्रस्ताव रखा था, लेकिन शिक्षाकर्मियों के प्रतिनिधियों ने इस पर अपनी सहमति नहीं दी। उन्होंने  विशेष रूप से संविलियन की मांग पर अड़ियल रूख अपनाया, जबकि यह मांग तकनीकी और व्यावहारिक दृष्टि से पूर्ण करना सरकार के लिए मुमकिन नहीं है। उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि शिक्षाकर्मियों का संगठन प्रदेश के लाखों स्कूली बच्चों के भविष्य को ताक पर रखकर पिछले 11 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है।

इसके फलस्वरूप कई स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो पा रही है। इसे देखते हुए सरकार ने आंदोलन कर रहे शिक्षाकर्मियों और उनके नेताओं के खिलाफ कड़े कदम उठाने का निर्णय लिया है। हालांकि बच्चों के हितों को ध्यान में रखकर आम नागरिकों, सरकारी अधिकारियों और उनके परिजनों, एनसीसी और एनएसएस के छात्रों सहित कई सेवाभावी लोगों ने स्व-प्रेरणा से आगे आकर स्कूलों में पढ़ाने का काम शुरू किया है।

शासकीय सूत्रों के अनुसार इसके अलावा लगभग 11 हजार शिक्षाकर्मी आंदोलन नहीं कर रहे हैं और शिक्षाकर्मियों के सात संगठनों ने भी इस हड़ताल से स्वयं को अलग कर लिया है। चूंकि वर्तमान में आंदोलन कर रहे शिक्षाकर्मी संगठन ने अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रखी है। इसकी वजह से शांति और कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित होने की आशंका को देखते हुए सरकार ने उनके नेताओं के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की भी तैयारी कर ली है।