अखिलेश जायसवाल,रायपुर. मध्यप्रदेश के विंध्य क्षेत्र के शहडोल लोकसभा सीट के लिए बीजेपी-कांग्रेस में कांटे की टक्कर देखी जा रही है. वो इसलिए की दोनों ही पार्टियों ने दलबदलू महिला नेत्रियों पर भरोसा जताया है और उन्हें टिकट दी है. बीजेपी की हिमाद्री सिंह और कांग्रेस की प्रमिला सिंह टिकट मिलने के बाद से काफी खुश है, क्योंकि उनकी टिकट फिक्स हो गई. अब कार्यकर्ताओं के साथ जोरों-शोरों से प्रचार-प्रसार कर रही हैं. दोनों ही नेत्री अपनी-अपनी जीत का दावा भी कर रही हैं. लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है इसका खुलासा तो 23 मई को हो जाएगा.

मतदाताओं को साधने औऱ लोक लुभावन वादे कर दोनों नेत्री सड़कों पर उतरकर लोगों से मिल रही है. उन्हें जीतने के बाद बड़े-बड़े सपने दिखाने की कोशिश कर रही हैं. लोकसभा में चारों ओर बीजेपी कांग्रेस की गूंज सुनाई दे रही है. अपनी साख बचाने एड़ी चोटी एक कर दी है. कड़कती धूप जहां कभी बाहर नहीं निकलते थे, आज वो बाहर निकलकर पैदल चल रहे हैं. क्योंकि उन्हें वोट लेना है. क्या ये ऐसे ही हमेशा मतदाताओं के बीच जाकर सुख दुख नहीं बाट सकते ? जैसे अभी लोगों के बीच मिल रहे क्या हमेशा ऐसे ही खरा उतरेंगे ? खैर अब ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि नेता लोगों के पास जाते हैं या फिर लोग नेता के पास आते हैं ? वैसे आज शाम से ही पहले चरण का प्रचार-प्रसार थम गया है. उम्मीदवार घर-घर जाकर प्रचार कर सकेंगे. 29 अप्रैल को शहडोल लोकसभा के लिए मतदान होना है.

कौन है हिमाद्री सिंह

हिमाद्री सिंह पुष्पराजगढ़ के राजेंद्रग्राम से आती हैं. उनके पिता का नाम दलवीर सिंह है. स्व. दलवीर सिंह 3 बार सांसद रह चुके हैं. दो बार केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं. मां का नाम राजेश नंदिनी है. स्व नंदिनी कांग्रेस की सांसद रह चुकी हैं. हिमाद्री के पति बीजेपी नेता नरेंद्र सिंह मरावी है. नरेंद्र हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव हार चुके हैं. मां और पिता के बदौलत आज भी पुष्पराजगढ़ के ग्रामीण इलाके के मतदाता हिमाद्री को वोट दे सकते हैं.

बीजेपी ने कांग्रेस से बगावत कर पार्टी में आई हिमाद्री सिंह को शहडोल लोकसभा से अपना उम्मीवार चुना है. बीजेपी ने सांसद ज्ञान सिंह का टिकट काट दिया है. उनके जगह पर हिमाद्री को टिकट मिला है. दो महीने पहले बीजेपी में शामिल हुई है. हिमाद्री 2016 में कांग्रेस से लोकसभा का उपचुनाव लड़ चुकी है, जिसमें करारी हार का सामना करना पड़ा था. हिमाद्री ये कहती हुईं बीजेपी में आई थी कि उनके पति और चाचा, ससुर बीजेपी में हैं, इसलिए वो भी आ गई. जबकि शादी से पहले हिमाद्री ने कहा था कि कुछ भी हो जाए, कांग्रेस नहीं छोड़ेंगी, राजनीति कभी भी वैवाहिक जिंदगी के बीच नहीं आएगी. लेकिन वो इस बात को भूल गए.

कांग्रेसी जुटे बीजेपी की प्रचार में

आप सोच रहे होंगे कि हम ऐसा क्यों कह रहे हैं. ऐसा इसलिए कह रहे क्योंकि जब हिमाद्री कांग्रेस में थी. तब एनएसयूआई कार्यकर्ता औऱ यूथ नेता कांग्रेस के पक्ष में प्रचार कर रहे थे, लेकिन अब हिमाद्री के बीजेपी में आने के बाद कुछ कार्यकर्ता अपनी रिस्ते को मजबूत करने औऱ जमीनी साख बचाने बीजेपी से हिमाद्री के लिए प्रचार कर रहे हैं. क्योंकि ये कार्यकर्ता जमीनी स्तर से जुड़े हुए हैं. जिसका फायदा बीजेपी की ओर जाता दिख रहा है. इसलिए बीजेपी को इसका फायदा मिलेगा. लेकिन कितना यह कहा नहीं जा सकता. हिमाद्री अपने नाम से नहीं बल्कि मोदी के नाम से वोट मांग रही हैं.

भाजपा प्रत्याशी पति से ज्यादा अमीर

भाजपा प्रत्याशी हिमाद्री सिंह द्वारा शपथ पत्र में दिए गए जानकारी के अनुसार वह अपने पति नरेन्द्र मरावी से बहुत ज्यादा अमीर है. हिमाद्री के पास 58 लाख 45 हजार 292 रूपए तो पति नरेन्द्र मरावी के पास मात्र 2 लाख 19 हजार 16 रूपए की सम्पत्ति है. हिमाद्री के पास करोड़ों की जमीन है. निर्वाचन आयोग को दी गई जानकारी के अनुसार हिमाद्री सिंह के पास नगद 50 हजार रूपए तथा विभिन्न बैंकों में 790292 रूपए हैं. जबकि पति नरेन्द्र सिंह मरावी के पास नगद 5 हजार रूपए तथा विभिन्न बैंकों में 19095 रूपए हैं. हिमाद्री सिंह के पास बीमा के रूप में 20 हजार रूपए, फॉच्र्युनर गाड़ी 35 लाख, 1 टै्रैक्टर 2.50 लाख, 35 तोला सोना 11 लाख 20 हजार रूपए, चांदी के बर्तन व जेवरात लगभग 13 लाख 5 हजार रूपए दर्शाए गए हैं. जमीन में हिमाद्री ने शपथ पत्र में पति के साथ 1 करोड़ 5 लाख की सम्पत्ति बताई है. इससे पूर्व हिमाद्री सिंह ने पहली बार लोक सभा उपचुनाव शहडोल 2016 में कांग्रेस की ओर से प्रत्याशी के रूप में अपनी सम्पत्ति ब्यौरा में नगद 10 लाख रूपए के साथ कुल 21 लाख 40 हजार तथा अचल सम्पत्ति 2 करोड़ 85 लाख रूपए का बताया था. हिमाद्री शिक्षा में बीए उत्तीर्ण है.

कौन है प्रमिला सिंह

प्रमिला सिंह शहडोल से ही आती हैं. 2013 में जयसिंह नगर से बीजेपी की विधायक रह चुकी है. उनके पति सागर संभाग के कमिश्नर है. विधानसभा में टिकट कटने से नाराज होकर कांग्रेस में शामिल हो गई थीं. उनकी जगह पर जैतपुर के विधायक जयसिंह मरावी को टिकट दे दिया गया था. अब कांग्रेस ने प्रमिला सिंह को शहडोल लोकसभा से अपना प्रत्याशी चुना है.

कांग्रेस ने प्रमिला पर भरोसा जताया है. इस भरोसे पर खरा उतरने के लिए प्रमिला ने दिन रात मेहनत कर क्षेत्र में प्रचार-प्रसार किया है. प्रमिला यह कहती हुई कांग्रेस में शामिल हुई थी कि जिसने 5 साल तक लोगों और बीजेपी की सेवा की. उसे टिकट नहीं दिया गया. राजनीति नहीं करना चाहती बल्कि लोगों के कल्याण के लिए काम करना चाहती हूं.

कांग्रेस प्रत्याशी के पास रिवाल्वर और अधिक संपत्ति भी

कांग्रेस की उम्मीदवार प्रमिला सिंह के पास कुल चल-अचल सम्पत्ति के रूप में 72 लाख 55 हजार 659 रूपए तथा पति अमरपाल सिंह के पास 14 लाख 12 हजार 86 रूपए व पुत्र के नाम 10 लाख 62 हजार 50 रूपए दर्शायी गई है. इसमें प्रमिला सिंह के हाथ 3 लाख नगद, विभिन्न बैंक खातों में 2496368 रूपए हैं. पति अमरपाल सिंह के पास 12 हजार रूपए नगद तथा विभिन्न बैंक खातों में 592782 रूपए बताए गए हैं. इसके अलावा प्रमिला सिंह के नाम विभिन्न बीमा राशि 387641 रूपए की है. टाटा सफारी कीमत 1391000 रूपए, आभूषण चांदी 1 किलोग्राम 38 हजार रूपए, सोना 405 ग्राम कीमत 1239000 रूपए दर्शाया गया है. जबकि पति अमरपाल सिंह के पास आभूषण मात्र 30 ग्राम कीमत 91800 रूपए के हैं. प्रमिला सिंह के पास 32 बोर रिवाल्वर कीमत 122513 रूपए तथा घरेलू सामान अनुमानित 2 लाख, पेट्रोल पम्प 10 लाख 81 हजार 137 रूपए (डीजल-पेट्रोल) की जानकारी दी गई है. पति अमरपाल के पास .32 बोर रिवाल्वर कीमत 86117 रूपए, रायफल .22 बोर कीमत 14408 रूपए, घरेलू सामान अनुमानित कीमत 15 लाख रूपए की सम्पत्ति है. वहीं जमीनी सम्पत्ति में प्रमिला सिंह के पास 1 एकड़ जमीन तो पति अमरपाल सिंह के नाम 17 एकड़ जमीन के साथ गैर कृषि भूमि लगभग 23 हजार 490 वर्ग फीट अनुमानित कीमत 1 करोड़ आंका गया है. प्रमिला सिंह शिक्षा में एमए पास बताई गई है.

क्या कहता है सियासी समीकरण ?

सियासी समीकरण की बात की जाए तो, प्रेमिला सिंह भले ही विधायक रही हो, लेकिन वो लोगों के बीच अपनी छाप ज्यादा नहीं छोड़ पाईं हैं. विधायकी के दौरान अपने ही क्षेत्र में जानी जाती थी. पुष्पराजगढ़ में उन्हें बहुत ही कम लोग जानते हैं. वहां उनकी पैठ नहीं है. जिससे पुष्पराजगढ़ के मतदाताओं से उन्हें ज्यादा वोट मिलने की उम्मीद नहीं दिख रही है. क्योंकि जमीनी स्तर पर सबसे ज्यादा भूमिका सरपंचों की होती है. जो पंचायतों में काम कर ग्रामीणों से घुले मिले होते हैं. तो इसमें सरपंचों की एक अहम भूमिका रह सकती है. हालांकि शहडोल शहरी क्षेत्र होने से कांग्रेस को कुछ फायदा मिल सकता है, लेकिन मोदी की नाम की वजह से युवाओं में खासा असर नहीं पड़ेगा.

जबकि हिमाद्री पुष्पराजगढ़ में ही पली बढ़ी है, उन्हें सभी जानते हैं. इसकी असल वजह है उनके मां-पिता. जिन्हें सब जानते है और दलवीर और राजेश नंदिनी के नाम से उन्हें वोट मिल सकता है. हिमाद्री अपने माता-पिता के नाम से वोट नहीं मांग रही थी, लेकिन कांग्रेस के पोस्टर में अपनी माता-पिता की तस्वीर देखकर वो भी अपने पोस्टर में उनकी तस्वीर छपवा ली है. जिससे ग्रामीण इलाकों में इसका फायदा मिलेगा. हालांकि लोग यह भी कह रहे हैं कि हिमाद्री को पुर्खों से चली आ रही कांग्रेसी राजनीति को नहीं छोड़ना था. वो अकेले ही बची थी जो कांग्रेस को आगे बढ़ा सकती थीं लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.

क्या इस बार बदलेगा इतिहास ?

शहडोल लोकसभा का एक इतिहास ये भी है कि पुष्पराजगढ़ से या कहें कि पाठ से ही अभी तक शहडोल लोकसभा के लिए सांसद चुनते आए है. तो क्या बार भी कुछ ऐसा होगा ? क्या पुष्पराजगढ़ की जनता इस परंपरा को कायम रख पाएगी ? क्या इस बार भी यहीं से ही सांसद चुना जाएगा ? या फिर इस बार समीकरण बदलेगा ? इससे पहले बीजेपी से दलपत सिंह परस्ते पांच बार औऱ ज्ञान सिंह तीन बार सांसद रह चुके हैं. हिमाद्री जब कांग्रेस से लोकसभा उप चुनाव लड़ी थी, तो वो काफी कम अंतरों से हारी थी. तो क्या इस अतंर का फायदा कांग्रेस को मिलेगा या फिर हिमाद्री को मिलेगा ?

अब देखना यह होगा कि 29 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव में कौन किस पर कितना भारी पड़ता है. क्या ये दलबदलू नेताओं पार्टी के उम्मीदों के अनुसार खरा उतर पाएंगे ? खैर अब तो ये 23 मई का नतीजे आने के बाद ही पता चल सकेगा.