रायपुर। एसीबी और ईओडब्ल्यू के प्रमुख रहे IPS अधिकारी मुकेश गुप्ता की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. भाजपा विधायक ननकी राम कंवर के बाद अब पूर्व विधायक और भाजपा सरकार में वित्त आयोग के अध्यक्ष रहे वीरेन्द्र पाण्डेय ने गुप्ता के खिलाफ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से शिकायत की है. उन्होंने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि मुकेश गुप्ता अभियुक्तों को बचाने, गवाहों पर दबाव डालने व सरकारी दस्तावेजों को नष्ट कर निर्दोषों को झूठे मामलों में फंसाते थे और उनका साथ एसपी रजनेश सिंह दिया करते थे. उन्होंने सीएम से की गई शिकायत में जांच की मांग की है.

पाण्डेय ने अपनी शिकायत में कई मामलों का जिक्र किया. उन्होने शिकायत में कहा है कि ईओडब्ल्यू में अपराध क्रमांक 53/2014 प्रथम इत्तिला पुस्तक में पृष्ठ क्रमांक 30, 31, 32, एवं 33 में दर्ज किया है. इसी तरह अपराध क्रमांक 54/2014 प्रथम इत्तिला पुस्तक के पृष्ठ क्रमांक 34, 35, 36 एवं 37 में दर्ज किया गया है. अपराध क्रमांक 55/2014 प्रथम इत्तिला पुस्तक के पृष्ठ क्रमांक 38, 39, 40 एवं 41 में दर्ज की गई है. अपराध क्रमांक 57/2014 प्रथम इत्तिला पुस्तक के पृष्ठ क्रमांक 42, 43, 44 एवं 45 में लेख किया गया है. उन्होंने लिखा है कि महत्वपूर्ण यह है कि अपराध क्रमांक 56/ 2014 को प्रथम इत्तिला पुस्तक के पृष्ठ क्रमांक 42, 43, 44, 45 में लेख किया जाना चाहिए था. किन्तु पूर्व में उसे अवैध रुप से विजय सिंह ठाकुर, गोविंद राम देवांगन, अबरार बेग, बीडीएस नरबरिया आदि से जिनके पास से करोड़ों रुपये संपत्ति जब्त किया गया था. उनके विरुद्ध कंप्यूटर से फर्जी एफआईआर दर्ज की गई (प्रथम इत्तिला पुस्तक की जगह) जब इन लोगों से रिश्वत प्राप्त हो गई तो वह कंप्यूटर की सादे कागज की फर्जी एफआईआर फाड़कर सादे कागज में फर्जी एफआईआर आलोक अग्रवाल के विरुद्ध कंप्यूटर से दर्ज की गई. यह ईओडब्ल्यू के कम्प्यूटर की एफएसएल की जांच से प्रमाणित हो जाएगा.

वीरेन्द्र पाण्डेय ने अपनी शिकायत में लिखा है कि दोनों अधिकारियों को तत्कालीन सरकार से राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था. वर्ष 2015 में ईओडब्ल्यू में संघारित प्रथम इत्तिला पुस्तक क्रमांक 1 से शुरु होनी चाहिए पूर्व में पृष्ठ क्रमांक 1 से 5 में एक झूठा मुकदमा मुकेश गुप्ता एवं रजनेश सिंंह ने कायम करवाया. कथित अभियुक्त से रिश्वत प्राप्त कर एफआईआर बुक को फाड़ दिया गया और दिनांक 1 जनवरी 2015 को अपराध क्रमांक 1/2015 प्रथम इत्तिला पुस्तक के पृष्ठ क्रमांक 6, 7, 8, 9 एवं 10. अपराध क्रमांक 2/15 प्रथम इत्तिला पुस्तक के पृष्ठ क्रमांक 12, 13, 14 एवं 15. अपराध क्रमांक 3/2015 प्रथम इत्तिला पुस्तक क्रमांक 16, 17 एवं 18. अपराध क्रमांक 4/2015 इत्तिला पुस्तक क्रमांक 19, 20, 21 एवं 22. अपराध क्रमांक 6/2015 प्रथम इत्तिला पुस्तक क्रमांक 23, 24, 25.

वहीं अपराध क्रमांक 5/2015 प्रथम इत्तिला पुस्तक में दर्ज नहीं है. इसे कंप्यूटर में सादे कागज में दर्ज किया गया है. आलोक अग्रवाल से रिश्वत की मांग की गई जिसे उसने देने से इंकार कर दिया साथ ही अबरार बेग, गोविन्द राय, विजय सिंह ठाकुर, गोविन्द राम देवांगन, बीडीएस नरबरिया जिनके पास पास से करोड़ों रुपये बरामद हुए, रिश्वत प्राप्त कर कंप्यूटर में लेख की गई प्रथम सूचना पत्र को फाड़कर फेंक दिया गया और बाद में पुनः कम्प्यूटर से अपराध क्रमांक 5/2015 की एफआईआर सादे कागज में दर्ज किया गया.

वीरेन्द्र पाण्डेय ने सभी मामलों के दस्तावेजों को सौंपते हुए लिखा है कि इन दस्तावेजों से यह स्पष्ट हो जाएगा कि मुकेश गुप्ता एवं रजनेश सिंह ने अधीनस्थ कर्मचारियों को डरा धमकाकर ईओडब्ल्यू थाने में संधारित प्रथम इत्तिला पुस्तिका में प्रथम सूचना दर्ज नहीं करायी. कूटरचित दस्तावेज तैयार कराये, यह जानते हुए कि वे कूटरचित हैं.