आशुतोष तिवारी, रीवा। रीवा में ब्लैक फंगस के 36 मरीज जिन्दगी से जंग लड़ रहे हैं. अधिकांश मरीजों की ऑपरेशन कर जान बचाई जा सकती है, लेकिन ऑपरेशन थिएटर में उपकरण पर्याप्त नहीं है, लेकिन जो मौजूद हैं वह काफी पुराना और पर्याप्त नहीं है. ऐसे में इन उपकरणों से एक दिन में एक ही ऑपरेशन हो पा रहा है. लिहाजा गंभीर मरीजो की जान जोखिम में है और ऑपरेशन के इंतजार करना पड़ रहा है. ऐसे में अस्पताल से फंगस के दो मरीज भाग गए, जिसकी खोज प्रशासन ने अबतक नहीं कर पाई है.
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दरअसल संजय गांधी हॉस्पिटल, रीवा में ब्लैक फंगस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. रीवा मेडिकल कॉलेज में संभाग के चार जिले के 36 ब्लैक फंगस मरीजों का इलाज चल रहा है. इलाज के दौरान 10 की मौत हो चुकी है, जबकि 6 की हालत गंभीर है. इसके अलावा 2 मरीज अस्पताल छोड़कर भाग गए हैं. साथ ही सफल ऑपरेशन से 3 मरीजों को जीवनदान भी मिला है. इंडोस्कोपी जांच में कई ब्लैक फंगस इंफेक्शन से ग्रसित मरीजों के आंख और साइनस में नैक्रोज्ड टिश्यू मिले हैं. ये मरीज कोविड और नान- कोविड के हैं.
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जानकारी के मुताबिक जिले में 8 मरीज ऐसे हैं जिन्हें आईसीयू में रखा गया है. अस्पताल में इंजेक्शन और दवा की किल्लत तो पहले से ही थी, अब अस्पताल में पर्याप्त उपकरण नहीं होने से ऑपरेशन में देरी हो रही है. ऐसे में आधुनिक और बेहतर उपकरण की खरीदी के लिए नाक, कान, गला विभाग ने डीन से तत्काल व्यवस्था करने का आग्रह किया है. विभाग ने इंटीग्रेटेड पॉवर कांसोल सिस्टम विथ माइक्रोडिब्राइडर, हैण्डपीस, ब्लेड्स एक सेट, स्टील्थ स्टेशन, ईएनटी नैविगेसन सिस्टम, मांटगोमेरी यंग्स राइनोफोर्स क्लिप एप्लीकेटर, एडवांस इमेजिंग मोडलिटि विथ ट्राली, हाई वैक्यूम सक्शन एपरेट्स, फेस सर्जरी इंस्टूमेंट, क़ाबलेटर सर्जरी सिस्टम, पीडियाट्रिक एंड एडल्ट इंडोस्कोपीस, साइनोस्कोप, इलैक्ट्रोकोपर यूनिट, हाई स्पीड नेजल ड्रिल जैसे प्रमुख उपकरण मांगे है.
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ब्लैक फंगस के मरीज अस्पताल में सांसे गिन रहे हैं. एक ऑपरेशन की किट होने से दूसरे मरीज का ऑपरेशन संभव नहीं हो पा रहा है. इसके अलावा ऑपरेशन के बाद इनका स्टरलाइजेशन किया जाता है, जिसमें काफी समय खराब हो रहा है और मरीजों का समय पर इलाज नहीं हो रहा है. गंभीर मरीजों को ऑपरेशन के इंतजार करना पड़ रहा है. इसके बाद नए उपकरण मंगाने की कवायद शुरू की गई है. ये उपकरण आने के बाद से एक दिन में दो मरीजों का ऑपरेशन हो सकेगा.
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