रायपुर। छत्तीसगढ़ के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने कहा है कि लोगों का जीवन स्तर ऊंचा उठाना विकास की हर योजना और गतिविधि का मूल उद्देश्य होना चाहिए. हम विकास का जो भी मॉडल अपनाए, वह रोजगार देने वाला हो, टिकाऊ हो और लोगों को आर्थिक रूप से समृद्ध करने वाला हो. सिंहदेव ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा हाई इम्पैक्ट मेगा वाटरशेड परियोजना पर आयोजित कार्यशाला में यह विचार व्यक्त किए.

मेगा वाटरशेड परियोजना के विभिन्न आयामों, उद्देश्यों एवं इसके क्रियान्वयन के बारे में परियोजना के साझीदारों को जानकारी देने इस एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन आज रायपुर में सिविल लाइन स्थित नवीन विश्रामगृह में किया गया था. कार्यशाला में परियोजना में शामिल 12 जिलों के जिला पंचायतों और 26 जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, मनरेगा में कार्यरत सहायक परियोजना अधिकारी, भारत ग्रामीण आजीविका फाउंडेशन, एक्सिस बैंक फाउंडेशन और सिविल सोसाइटी कार्पोरेशन्स के प्रतिनिधि तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों ने हिस्सा लिया.

कार्यशाला को संबंधित करते हुए पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने कहा कि वनों के प्रबंधन के अधिकार का विकेन्द्रीकरण जरूरी है. तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को उनकी मेहनत का पूरा मूल्य मिले, इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण की दर प्रति मानक बोरा ढाई हजार रूपए से बढ़ाकर चार हजार रूपए की है. उन्होंने उम्मीद जताई की मेगा वाटरशेड परियोजना के सभी साझेदार अपनी भूमिका बेहतर ढंग से निभाएंगे और यह एक उपयोगी और स्थायी आर्थिक लाभ देने वाली परियोजना साबित होगी. सिंहदेव ने कार्यशाला में परियोजना के ब्रोशर और विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (DPR) का भी विमोचन किया.

कार्यशाला को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव आरपी. मंडल, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक पी.सी. मिश्रा, मुख्यमंत्री के कृषि सलाहकार प्रदीप शर्मा, संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी, भारत ग्रामीण आजीविका फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रमाथेश अम्बस्टा, प्रमुख कार्यक्रम अधिकारी कुलदीप सिंह एवं एक्सिस बैंक फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जैकब निनान ने भी संबोधित किया.

मेगा वाटरशेड परियोजना

छत्तीसगढ़ शासन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, केन्द्र सरकार द्वारा गठित भारत ग्रामीण आजीविका फाउंडेशन, एक्सिस बैंक फाउंडेशन और 13 सिविल सोसाइटी कार्पोरेशन्स की संयुक्त साझेदारी में प्रदेश में हाई इम्पैक्ट मेगा वाटरशेड परियोजना की शुरूआत की जा रही है. चार वर्ष की परियोजना अवधि में 12 जिलों के 26 विकासखंडों के लगभग सात लाख हेक्टेयर में भूमि और जल उपचार के द्वारा एक लाख छोटे और सीमांत परिवारों की आमदनी स्थायी तौर पर बढ़ाने का लक्ष्य है. इसके अंतर्गत करीब साढ़े तीन लाख हेक्टेयर भूमि की फसल क्षमता में वृद्धि की जाएगी. परियोजना के तहत ग्राम पंचायतें क्रियान्वयन एजेंसी होंगी. मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के अभिसरण से करीब एक हजार 200 पंचायतों में इस परियोजना का क्रियान्वयन किया जाएगा.

मेगा वाटरशेड परियोजना में शामिल जिले एवं विकासखंड

मेगा वाटरशेड परियोजना के लिए प्रदेश के 12 जिलों के 26 विकासखंडों का चयन किया गया है. इनमें सरगुजा जिले के लुंड्रा और बतौली विकासखंड, सूरजपुर के प्रतापपुर और भैयाथान विकासखंड, रायगढ़ के घरघोड़ा और खरसिया विकासखंड, कोरबा के पाली और पोड़ी-उपरोड़ा विकासखंड, कोरिया के भरतपुर और मनेन्द्रगढ़ विकासखंड, धमतरी के मगरलोड और कुरूद विकासखंड, कांकेर के नरहरपुर, भानुप्रतापपुर, दुर्गकोंदूल और चारामा विकासखंड, सुकमा के छिंदगढ़ और सुकमा विकासखंड, बस्तर के बकावंड और जगदलपुर विकासखंड, दंतेवाड़ा के दंतेवाड़ा और कुआंकोंडा विकासखंड तथा कबीरधाम जिले के बोड़ला और पंडरिया विकासखंड शामिल हैं.