मनेंद्र पटेल, दुर्ग। केंद्र सरकार ने अर्बन ट्रांसपोर्ट योजना के तहत सिटी बस की योजना भिलाई दुर्ग में भी शुरू की गई थी. लेकिन तीन साल में ठेका एजेंसी ने सिटी बसों का दम निकाल दिया. तीन साल से थमे बसों के पहिये अब जाकर चलने शुरू हुए हैं. लेकिन दुर्ग में सिर्फ 10 सिटी बसों का संचालन शुरू किया जा सका है. आज भी निगम की बस डिपो में खड़ी 40 कबाड़ हो चुकी सीट बसों की मरम्मत नहीं कि जा सकी है. जबकि 50 से अधिक सिटी बसों के संचालन शुरू करने के लिए निविदा जारी किए गए थे.

कंडम हुई नई बसें

केंद्र सरकार ने ग्रामीण इलाकों को शहर से जोड़ने और सस्ते दर पर आवगमन के लिए साल 2015 में यह योजना शुरू की थी. दुर्ग-भिलाई में 130 करोड़ की लागत से यह योजना शुरू की गई थी. शुरुआत में 115 बसों का लक्ष्य था, लेकिन दुर्ग जिले के लिए सिर्फ 69 बसें ही उपलब्ध कराई गई. उसमें भी 56 बसें ही सड़कों पर दौड़ रही थी, 13 नई बसें परमिट नहीं मिलने के चलते कबाड़ में तब्दील हो गई. तीन साल में 56 नई बसें भी कंडम हो गई. इन बसों को खरीदने राज्य सरकार द्वारा भिलाई निगम के संचित निधि से लिए गए 10 करोड़ रुपये लिए गए, वह भी डूब गए.

अर्बन पब्लिक सर्विस सोसायटी ने कहा था कि यह पैसे निगम को वापस कर दिए जाएंगे लेकिन आज तक वह पैसा नहीं मिल सका है. भिलाई दुर्ग के धमधा, पाटन, अहिवारा और कुम्हारी की सड़कों पर ये सिटी बसें चलती थी. वहीं ग्रामीणों को भिलाई, दुर्ग आने-जाने में सीटी बस में कम किराया देना पड़ता था. लेकिन अब लगभग एक लाख लोगों को बसों की सुविधा बंद होने से ऑटो रिक्शा और निजी बसों का सहारा लेना पड़ता है. क्योंकि दुर्ग जिले के पाटन, अहिवारा, धमधा, भिलाई, उतई कुथरेल, परपोड़ी जैसे ग्रामीण इलाकों के लिए सीटी बसे वरदान बन चुकी थी. इसे शुरू करने से पुनः यात्रियों की सुविधाएं बढ़ेंगी. तो वहीं निगम ने अपने जानकारी में लगभग ढाई करोड़ रुपये में बसों की मरम्मत की जानकारी भेजी है.

10 बसे हीं दौड़ रही सड़कों पर

अब इसके संचालन के लिए नगरीय प्रसाशन विभाग की ओर से प्रयास शुरू किए गए, लेकिन अब तक सिर्फ 10 बसे हीं सड़कों पर उतर पाई है. पूरी तरह बसों के बसों के संचालन के लिए और कितने दिनों यात्रियों को इंतजार करना पड़ेगा, यह तो जिम्मेदार अधिकारी ही बताएंगे. लेकिन कबाड़ बसों के मरम्मत में फिर से लाखों रुपये निगम को खर्च करने पड़ रहे हैं.

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